आईएएस टॉपर 2015: टीना धाबी, अतहर आमिर और जसमीत सिंह के सफलता की प्रमुख रणनीतियां

May 11, 2016, 17:52 IST

यूपीएससी ने सिविल सेवा (आईएएस) परीक्षा का परिणाम 10 मई 2016 को घोषित किया है. दिल्ली की टीना दाबी ने यूपीएससी सीएसई 2015 की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है जबकि अतहर आमिर ने दूसरा और जसमीत सिंह ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा की सूची में तीसरा रैंक हासिल किया है.

यूपीएससी ने सिविल सेवा (आईएएस) परीक्षा का परिणाम 10 मई 2016 को घोषित किया है. दिल्ली की टीना दाबी ने यूपीएससी सीएसई 2015 की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है जबकि अतहर आमिर ने दूसरा और जसमीत सिंह ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा की सूची में तीसरा रैंक हासिल किया है.
सफलता के इस मुकाम को हासिल करने में इन प्रतिभाओं ने विभिन्न रणनीति को अपनाया और उनमे जो महत्वपूर्ण है उसे हम आपके लिए संक्षेप में यहाँ प्रस्तुत कर रहे है. इन उपायों पर अमल करके आप भी इस परीक्षा में सरलता से सफलता हासिल कर सकते है जैसे की आईएएस परीक्षा 2015 में टीना दाबी, अतहर आमिर और जसमीत सिंह जैसे प्रतिभाओं ने अपने तैयारी के दौरान किया और भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में सर्वोच्च स्थान हासिल किया.
टीना दाबी - रैंक 1
संघ लोक सेवा आयोग के प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा 2015 का अंतिम परिणाम 10 मई मंगलवार घोषित किया गया और यह लगातार दूसरा साल है जब शीर्ष स्थान को एक महिला ने प्राप्त किया है. 22 साल पुरानी दिल्ली की टीना दाबी इस साल घोषित परिणाम में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया और यह उनके पहला प्रयास था. टीना ने वैकल्पिक विषय के रूप में राजनीति विज्ञान का चयन किया था.
लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक करने वाली टीना ने जीसस एंड मैरी कॉन्वेंट स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण किया है. वह आरंभ से ही एक मेधावी छात्रा रही है और 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा में उन्होंने 90% से ऊपर अंक प्राप्त किया. न केवल स्कूली शिक्षा में बल्कि राजनीति विज्ञान की छात्रा के रूप में टीना ने विश्वविद्यालय में स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी है.
यूपीएससी परीक्षा में प्राप्त की गई सफलता के रणनीति के बारे में चर्चा करते हुए टीना ने कहा कि वह जब वह सिर्फ 11 वीं कक्षा में थी, तब से ही वह इसके बारे में सोचना आरंभ कर चुकी थी और यही वजह है कि उसने विशेषज्ञता वाले विषयों के चयन के लिए विज्ञान के ऊपर मानविकी को प्राथमिकता दिया. टीना औसतन एक दिन में 8 घंटा का अध्ययन नियमतः करती थी और बीच में छोटा ब्रेक लेती रहती थी.
वह कहती हैं कि लगातार अध्ययन करने के कारण एक प्रकार की नीरसता को मिटाने के लिए वह जेन ऑस्टेन और अन्य उपन्यासों को पढ़ती थी. वह कहती है की हालाँकि उसने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए उसने कोई खास रणनीति नहीं अपनाई लेकिन प्रारंभिक परीक्षा के लिए उसने सीसैट पर अधिक ध्यान केंद्रित किया क्योंकि वह एक मानविकी पृष्ठभूमि से आती है.
अपने वैकल्पिक विषय राजनीति विज्ञान के तैयारी के संबंध में टीना का कहना है की उसने बुनियादी अवधारणाओं की स्पष्टता पर ध्यान केन्द्रित किया और साथ ही पाठ्य पुस्तकों को पढने पर ध्यान दिया.  अध्ययन के दौरान विषयों से मन नहीं ऊबे, इसके लिए उसने नियमित अंतराल पर अध्ययन किये जाने वाले विषयों और टॉपिक को बदलकर पढने पर जोर दिया. उसने एक वर्ष के लिए एक कोचिंग संस्थान भी ज्वाइन किया और साथ ही मौक टेस्ट सीरीज के लिए भी दाखिला लिया था.
अपने सफलता का श्रेय टीना अपने परिवार को देती है विशेष रूप से अपने माँ हिमाली दाबी को जो खुद एक प्रशिक्षित इंजीनियर है. उसके पिता जसवंत दाबी दूरसंचार विभाग में काम करते है और उनका परिवार बीएसएनएल कालोनी मध्य दिल्ली में रहती है.
अतहर अमीर उल शफी खान - रैंक 2
इस साल की परीक्षा के परिणामों में दूसरा रैंक हासिल करने वाले जम्मू एवं कश्मीर राज्य के  अतहर आमिर उल शफी खान है. 23 वर्ष के शफी खान राज्य से सबसे युवा छात्र है जिसने इस  प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त किया है.
यह अतहर का दूसरा प्रयास था. अतहर के अनुसार उसने अपने कॉलेज के दिनों से ही उसने  तैयारी शुरू कर दी थी.  2014 में अपने पहले ही प्रयास में उसने 560 वीं रैंक प्राप्त किया और और इस समय वह भारतीय रेल यातायात सेवा का एक हिस्सा है तथा  लखनऊ में प्रशिक्षण पूरा कर रहा है.
अतहर हमेशा ही एक प्रतिभाशाली छात्र रहें है. अतहर ने आईआईटी हिमाचल से अपना इंजीनियरिंग किया था और वास्तव में उसने सीईटी, एआईईईई, बीआईटीएसऐटी  जैसे कई कठिन परीक्षाओं में भी उसने सफलता प्राप्त किया है.
अतहर का कहना है कि शाह फैसल, जिसने घाटी से 2010 में पहला स्थान प्राप्त किया था, ने  उसे सिविल सेवा के लिए प्रेरित किया. सफलता के श्रेय के बारे में अतहर का कहना है की  कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के साथ सही समय पर सही मार्गदर्शन बहुत जरूरी होता है. हालांकि वह विज्ञान पृष्ठभूमि से है, फिर भी अपने दोनों प्रयासों में उसने वैकल्पिक विषय के रूप में दर्शनशास्त्र को चुना.
उन्होंने एक वर्ष के लिए दिल्ली की एक कोचिंग संस्थान को भी ज्वाइन किया था, लेकिन उनका मानना है की स्वध्ययन सबसे जरूरी होता है. हमेशा उच्चस्तरीय पाठ्य पुस्तकों और समाचार पत्रों को पढने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा की हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, योजना पत्रिकाओं का उन्होंने अध्ययन किया और साथ ही ऑनलाइन ब्लॉग, विभिन्न वेबसाइटों पर उपलब्ध जानकारियों और सामग्रियों पर भी नजर रखा.
अतहर, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में मट्टन स्थित देविपोरा  ग्राम का निवासी है.
उनके पिता मोहम्मद शफी खान, गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, अनंतनाग में एक अर्थशास्त्र के शिक्षक है जबकि उसकी मां एक गृहिणी है.
जसमीत सिंह संधू - रैंक 3
देश के इस प्रतिष्ठित परीक्षा में तीसरा रैंक हासिल करने वाली एक और देल्हाईट जसमीत सिंह संधू है. यह जसमीत का चौथा प्रयास था जो की पहले से ही भारतीय राजस्व सेवा में सहायक आयुक्त के रूप में काम कर रहे है.
जसमीत ने 2010 से इसके लिए तैयारी आरंभ कर दिया था लेकिन अपने पहले दो प्रयासों में उन्हें विशेष रूप से सिविल सेवा के लिए कोई सफलता नहीं मिली और तीसरे प्रयास में उन्होंने आईआरएस में स्थान प्राप्त किया. मुख्य परीक्षा के लिए उनका वैकल्पिक विषय मनोविज्ञान था.
इन्होने सिर्फ एक महीने के लिए एक कोचिंग ज्वाइन किया और परीक्षा का तैयारी अपने दम पर किया. वह अपने सफलता का श्रेय नियमित रूप से किये जाने वाले परिश्रम को देते है. जसमीत आईआईटी रुड़की से स्नातक हैं और उनके पिता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में कार्यरत है.
अर्तिका शुक्ला - रैंक 4
इस वर्ष के चौथे रैंक को हासिल करने वाली 26 साल के अर्तिका शुक्ला हैं जो वाराणसी की  रहने वाली है. पेशे से वह एक डॉक्टर है जिन्होंने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली से एमबीबीएस कोर्स किया है. बाद में सिविल सेवा के अपने सपने को पूरा करने के लिए एसजीपीआई  चंडीगढ़ से एमडी पाठ्यक्रम को उन्होंने छोड़ दिया.
यह अर्तिका का पहला प्रयास था और उसने वैकल्पिक विषय के रूप में मेडिसिन को चुना था. उन्होंने किसी भी कोचिंग संस्थान को ज्वाइन नहीं किया और इसके बदले में उन्होंने अपने भाई  से मार्गदर्शन लिया जो भारतीय रेल यातायात सेवा में 2012 बैच में पहले से ही है. हालाँकि बाद में उन्होंने मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज और मौक साक्षात्कार में शामिल हुई. अपने सफलता का श्रेय शुक्ल अपने कठिन परिश्रम और सिंगल माइंडेड फोकस को देती है.
अर्तिका  के पिता श्री बी.के. शुक्ला वाराणसी में बच्चों के चिकित्सक है और माँ एक गृहिणी है.

Manish Kumar
Manish Kumar

Assistant Content Manager

A Journalist and content professional with 13+ years of experience in Education and Career Development domain in digital and print media. He has previously worked with All India Radio (External Service Division), State Times and Newstrackindia.com. A Science Graduate (Hons in Physics) with PGJMC in Journalism and Mass Communication. At Jagranjosh, he used to create content related to Education and Career sections including Notifications/News/Current Affairs etc. He can be reached at manish.kumarcnt@jagrannewmedia.com.

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