आपने संभवत: टीवी पर या किसी प्रदर्शनी में मनुष्य की तरह चलते रोबोट या जोखिम भरी परिस्थितियों में काम करते हुए मशीनी मानव को अवश्य देखा होगा। चांद और मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले रोबोट के बारे में देखा, सुना और पढा होगा। आपको ताज्जुब होता होगा कि बिल्कुल इंसान की तैयार काम कर रहे रोबोट को आखिर किस तरह बनाया गया होगा? दरअसल, रोबोटिक्स आधुनिक विज्ञान की अनुपम देन है। यह मूलत: इंजीनियरिंग का क्षेत्र है, जिसकी सहायता से रोबोट का डिजाइन और उसके उपकरण बनाए जाते हैं। इसके बाद इसे कम्प्यूटर से जोडकर इसे खासतौर पर जोखिम भरे कार्यो के लिए उपयोगी बनाया जाता है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिक्स और सॉफ्टवेयर की मदद ली जाती है।
बढता इस्तेमाल
पिछले कुछ सालों में फैक्ट्रियों में भी रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढा है। इसकी मदद से उत्पादन को कई गुना बढाने में मदद मिली है। स्टील, लेदर या गैस उत्पादों से संबंधित कारखानों में रोबोट का प्रयोग बडे पैमाने पर किया जा रहा है। इतना ही नहीं, अब तो सीमावर्ती दुर्गम पहाडी और बर्फीले इलाकों में चौकसी के लिए भी रोबोट का इस्तेमाल किया जाने लगा है और इसके लिए बकायदा रोबोट आर्मी तक बनाई जाने लगी है। इसके अलावा, न्यूक्लियर साइंस, समुद्री खोज आदि में भी रोबोट का खूब इस्तेमाल हो रहा है। रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में रुचि रखने वाले युवा इस फील्ड में चमकदार करियर बना सकते हैं। आज रोबोट का इस्तेमाल एंटी बॉम्ब स्क्वॉड, रेस्क्यू ऑपरेशन, मानवरहित विमान, कार व रेल चलाने, घरेलू नौकर, सुरक्षा गार्ड आदि के रूप में भी खूब किया जा रहा है। जिस तरह इसका प्रयोग बढ रहा है, उसे देखते हुए अगर आने वाले समय में हर काम रोबोट करता हुआ दिखाई दे तो इसमें कोई ताज्जुब वाली बात नहीं होगी।
आवश्यक योग्यता
इस क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को पीसीएम से बारहवीं करने के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग या कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में से किसी एक में बीटेक की डिग्री लेनी होगी। इसके बाद रोबोटिक्स स्पेशलाइजेशन के साथ एमटेक भी किया जा सकता है। रोबोटिक्स का दायरा काफी बडा होने के कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कम्प्यूटर एडेड मैन्युफैक्चरिंग, कम्प्यूटर इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम, कम्प्यूटेशनल जियामेट्री, रोबोट मोशन प्लानिंग, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड माइक्रो-प्रोसेसर या रोबोट मैनुपुलेटर्स आदि में स्पेशलाइजेशन किया जा सकता है। एक ट्रेंड रोबोटिक्स इंजीनियर अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में कर सकता है, जैसे- मॉडर्न वारफेयर, सर्जरी, नैनोटेक्नोलॉजी, स्पेस रिसर्च आदि।
संभावनाएं
रोबोटिक्स में एमई डिग्री हासिल करने वालों के लिए रोबोट मैन्युफैक्चरिंग, उनकी प्रोग्रामिंग, उनके लिए आर्टिफिशियल उन्हें मेंटेन रखने और उनकी खराबी ठीक करने वाली दुनिया भर की कंपनियों में खूब काम मिल सकता है। स्पेस रिसर्च (जैसे-नासा, इसरो) के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में आरंभिक सैलॅरी के रूप में तीन से दस लाख रुपये सालाना की कमाई हो सकती है। अनुभव बढने के साथ कमाई की कोई सीमा नहीं रह जाती।
भारत में उपलब्ध कोर्स
आईआईटी, कानपुर में स्थित सेंटर फॉर रोबोटिक्स ऐंड मैक्ट्रॉनिक्स रोबोटिक्स में मास्टर डिग्री कोर्स संचालित करता है। इसके अलावा, देश के अन्य आईआईटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस के तहत भी रोबोटिक्स की पढाई होती है। इलेक्ट्रॉनिक्स की पढाई कर चुके स्टूडेंट निजी संस्थानों से भी रोबोटिक्स का कोर्स कर सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद
जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता
बिडला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड साइंस, पिलानी
एडवांस रोबोट इंस्टीट्यूट, 7/56, डीबी गुप्ता रोड, करोलबाग, नई दिल्ली,
फोन : 011-23553551-9, 45712345
श्री सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग, प्रसनथिनिलयाम, तमिलनाडु।
अरुण
(नई दिल्ली में कार्यरत रोबोटिक्स टेक गुरु दिवाकर से बातचीत पर आधारित)
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