भारत में सभी लोग नारायण मूर्ति या अज़ीम प्रेमजी के नाम से तो अच्छी तरह परिचित हैं. अगर आप भी इनकी तरह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से संबद्ध एजुकेशनल क्वालिफिकेशन हासिल करनी होगी और इसके लिए आपको टेक्नोलॉजी, मैथमेटिक्स तथा कंप्यूटर्स के साथ ही टेक्नोलॉजिकल, एनालिटिकल और लॉजिकल सेंस में भी माहिर बनना होगा. आइये इस आर्टिकल में हम भारत में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के करियर ऑप्शन के साथ ही सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की विभिन्न फ़ील्ड्स और एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी हासिल करें ताकि हमारे देश में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर करियर बनाना आपके लिए आसान हो जाए.
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: एक परिचय
यह कंप्यूटर की एक ब्रांच है जो कंप्यूटर सिस्टम्स और सॉफ्टवेयर सहित विभिन्न एप्लीकेशन्स के निर्माण और विकास से संबद्ध है. सॉफ्टवेयर इंजिनियर्स कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स के प्रिंसिपल्स को सॉफ्टवेयर सिस्टम्स के डिज़ाइन, विकास और टेस्ट के लिए अप्लाई करते हैं ताकि कंप्यूटर्स विभिन्न जटिल कामों को असरदार तरीके से पूरा कर सकें. ये इंजीनियर्स सॉफ्टवेयर्स के डिज़ाइन और डेवलपमेंट से संबद्ध कार्य करते हैं और इनके कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं:
- सॉफ्टवेयर डिज़ाइन
- सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट
- सॉफ्टवेयर टेस्टिंग
- सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस
- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग मैनेजमेंट
- सॉफ्टवेयर कॉन्फ़िगरेशन मैनेजमेंट
- सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट प्रोसेस
- सॉफ्टवेयर क्वालिटी चेक
भारत में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: करियर पाथ्स
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक बहुमुखी फील्ड है जिसमें कंप्यूटर आधारित एप्लीकेशन्स के डेवलपमेंट के विभिन्न आस्पेक्ट्स से संबंधित कार्य शामिल हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की फील्ड में 4 प्रमुख स्पेशलाइजेशन एरियाज निम्नलिखित हैं:
- एप्लीकेशन डेवलपमेंट
इसमें प्रॉब्लम-सॉल्विंग और नॉन-वेब आधारित सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का अध्ययन प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज जैसेकि, जावा और अन्य लैंग्वेजेज के माध्यम से किया जाता है.
- सिस्टम्स डेवलपमेंट
इसमें एप्लीकेशन डेवलपमेंट की सपोर्ट के लिए डिजाइनिंग और कोडिंग का काम शामिल है और सी++ तथा सी जैसी लैंग्वेजेज शामिल हैं.
- वेब डेवलपमेंट
वेब डेवलपमेंट सबसे लोकप्रिय करियर ऑप्शन्स में से एक ऑप्शन के तौर पर उभरा है और इसके तहत किसी वेब ब्राउज़र में काम करने वाले डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर से संबद्ध कार्य आते हैं जिनके लिए विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज जैसेकि, पीएचपी, जावा स्क्रिप्ट और एचटीएमएल का इस्तेमाल किया जाता है.
- एम्बेडेड सिस्टम डेवलपमेंट
इस काम के तहत कंप्यूटिंग सिस्टम्स और सॉफ्टवेयर की डिजाइनिंग आती है ताकि नॉन-कंप्यूटिंग डिवाइसेज जैसेकि, ऑटोमोबाइल्स पर काम किया जा सके. इसमें प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज जैसेकि, सी और असेंबली लैंग्वेजेज का इस्तेमाल किया जाता है.
भारत में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के महत्वपूर्ण कोर्सेज
आप सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में अपना करियर साइंस स्ट्रीम में 12वीं क्लास का बोर्ड एग्जाम पास करने के ठीक बाद शुरू कर सकते हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में उपलब्ध विभिन्न कोर्सेज निम्नलिखित हैं:
डिप्लोमा कोर्सेज
- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा
- एडवांस्ड सॉफ्टवेयर और नेटवर्क टेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा.
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्सेज आमतौर पर 1 वर्ष की अवधि के होते हैं और इन डिप्लोमा कोर्सेज में एडमिशन लेने की एलिजिबिलिटी केवल साइंस स्ट्रीम में 12वीं क्लास का बोर्ड एग्जाम पास करना है.
बैचलर डिग्री कोर्सेज
- बीई (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
- बीएससी (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
- बीटेक (कंप्यूटर साइंस और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
- बीटेक (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री कोर्सेज की अवधि 4 वर्ष होती है और इन बैचलर डिग्री कोर्सेज में एडमिशन लेने की एलिजिबिलिटी केवल साइंस स्ट्रीम में 12वीं क्लास का बोर्ड एग्जाम पास करना है.
इसके अलावा, टॉप सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कॉलेज जेईई और एआईईईई जैसे ऑल इंडिया एंट्रेंस टेस्ट्स के माध्यम से एडमिशन ऑफर करते हैं.
मास्टर डिग्री कोर्सेज
- एमई (नॉलेज इंजीनियरिंग)
- एमई (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
- एमएससी (कंप्यूटर टेक्नीक)
- एमएससी (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
- एमटेक (कंट्रोल इंजीनियरिंग)
- एमटेक (कंट्रोल सिस्टम्स)
- एमटेक (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
न्यू इंडिया मिशन: माइनिंग इंजीनियरिंग का कोर्स और करियर स्कोप
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री कोर्सेज की अवधि 4 वर्ष है और इन कोर्सेज के लिए एलिजिबिलिटी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री है.
नोट: टॉप सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कॉलेज गेट जैसे ऑल इंडिया एंट्रेंस टेस्ट्स के माध्यम से एडमिशन ऑफर करते हैं.
डॉक्टोरल कोर्सेज
- पीएचडी (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
आप सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद ही सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पीएचडी कर सकते हैं और फिर, एकेडेमिक या रिसर्च फील्ड में आगे बढ़ सकते हैं.
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: जरुरी स्किल्स
सॉफ्टवेयर इंजिनियर्स के रोज़मर्रा के सामान्य कामकाज और स्किल सेट्स में निम्नलिखित शामिल है:
- निर्धारित समय के भीतर एंड-यूजर्स की आवश्यकता को एनालाइज करना और कॉस्ट-इफेक्टिव सॉफ्टवेयर सोल्यूशन तैयार करना.
- प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज जैसेकि, सी++, पाइथन, जावा और पीएचपी में फ्लुएंसी ताकि क्लाइंट्स की आवश्यकताओं को अच्छी तरह पूरा किया जा सके.
- कंप्यूटर सिस्टम्स और एप्लीकेशन्स में प्रोग्रामिंग, टेस्टिंग, मोनिटरिंग और डॉक्यूमेंटिंग के साथ चेंजेज करना.
- डिपार्टमेंटल गोल्स की जांच और उसके मुताबिक कस्टमर्स के कंप्यूटर सिस्टम्स को तैयार करना.
- मौजूदा कंप्यूटर प्रोग्राम्स की अपग्रेडिंग ताकि नए स्पेसिफिकेशन्स के साथ प्लेटफॉर्म्स को अपडेट किया जा सके.
- मौजूदा सॉफ्टवेयर सिस्टम्स और कंप्यूटर एप्लीकेशन्स में चेंजेज के साथ इम्प्रूवमेंट एरियाज की सिफारिश करना.
- प्रोजेक्ट रिक्वायरमेंट्स को पूरा करने के लिए सिस्टम इंस्टॉलेशन और मॉनिटर इक्विपमेंट फंक्शनिंग के साथ कोआर्डिनेशन करना.
- सभी सिस्टम्स के लिए सिस्टम सिक्यूरिटी और डाटा अश्योरेंस के लिए जवाबदेही.
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भारत में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: करियर प्रोस्पेक्टस
आजकल इंटरनेट और अन्य कम्युनिकेशन सिस्टम्स के निरंतर बढ़ते हुए इस्तेमाल के साथ, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में करियर हरेक इंडस्ट्री में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. आजकल, टॉप सॉफ्टवेयर कंपनियां जैसेकि आईबीएम, विप्रो लि., इनफ़ोसिस और डेल आदि उन फ्रेश सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को हायर कर रही हैं जो कंप्यूटर आधारित एप्लीकेशन डेवलपमेंट में काफी कुशल हैं.
किसी एंट्री-लेवल सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब में आमतौर पर मौजूदा डिज़ाइन्स को मॉनिटर और टेस्ट करने से संबद्ध कार्य शामिल होते हैं. लेकिन कुछ वर्षों के कार्य अनुभव के बाद, इन पेशेवरों को एप्लीकेशन बेस्ड सॉफ्टवेयर की डिजाइनिंग और डेवलपमेंट से संबंध कार्य सौंपे जा सकते हैं. जैसे-जैसे आपको इस पेशे में अनुभव और कुशलता प्राप्त होते जाते हैं, वैसे ही आपको काम के ज्यादा अवसर मिलने लगते हैं. उदाहरण के लिए, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में काफी अनुभव के साथ आप सिस्टम इंजीनियर्स या फ्रीलांस कंसल्टेंट्स के तौर पर काम कर सकते हैं या फिर, अपनी सॉफ्टवेयर कंसल्टिंग फर्म शुरू कर सकते हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की फील्ड में आप निम्नलिखित पेशेवरों के तौर पर काम कर सकते हैं:
- चीफ इनफॉर्मेशन ऑफिसर
- चीफ टेक्निकल ऑफिसर
- डायरेक्टर क्वालिटी इंजीनियरिंग
- इंडिपेंडेंट कंसलटेंट्स
- इनफॉर्मेशन सिस्टम्स मैनेजर
- प्रोजेक्ट मैनेजर
- सॉफ्टवेयर डिजाइनर्स
- सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजिनियर
- सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर्स
- सिस्टम डिजाइनर्स
भारत में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को मिलने वाला सैलरी पैकेज
सैलरी पैकेज के बारे में अगर हम बात करें तो, एक फ्रेशर के तौर पर आप रु. 25,000/- से रु. 30,000/- प्रति माह कमा सकते हैं. लेकिन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में कुछ वर्षों के कार्य अनुभव के बाद आपकी अधिकतम सैलरी की कोई सीमा नहीं रहेगी. अगर आप वास्तव में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो इस वीडियो में दी गई जानकारी से आपको इस संबंध में सही निर्णय लेने में निश्चित तौर पर मदद मिलेगी.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बनाएं अपना शानदार करियर
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