आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे की किसी भी विषय को पढ़ने का सही तरीका क्या है और आपको पहले थ्योरी पढ़नी चाहिए या पहले प्रश्नों के बारे में एक अच्छी एनालिसिस करनी चाहिए.
दोस्तों आज के इस दौर में जहाँ एक-एक मार्क्स के लिए फाइट हो रही है और क्यों न हो. बहुत सारे ऐसे एग्जामस हैं जहाँ एक मार्क्स पर हज़ारों रैंक निचे उपर हो जाती हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि हर छात्र कड़ी से कड़ी मेहनत करे और किसी भी कीमत पर अपनी पोजीशन या रैंक से समझौता न करे.
कम्पटीशन इतना बढ़ गया है कि अब बच्चों को क्लास 8 या क्लास 9 से ही कोचिंग क्लासेज में भेजा जा रहा है जहां उनको उनके क्लास के साथ-साथ कम्पटीशन के बारे में भी बताया जाता है और उनके अंदर किसी से कम्पीट करने कि भावना के साथ-साथ कम्पीट करने के सारे तरीके भी बताए जाते हैं.
इस तरह का प्रोसेस खास तौर पर बड़े शहरों में देखने को मिलता है और उसमें भी हर बच्चा ये सुविधा नहीं ले सकता क्योंकि फीस काफी अधिक होती है.
क्लास 12th पास करने के बाद छात्र छोटे शहरों से बड़े शहरों में कोचिंग करने के लिए जाते हैं और कई-कई सालों तक तैयारी भी करते हैं. कुछ छात्र इसमें कामियाब भी होते हैं.
इन सब के बावजूद हर छात्र के मन में ये सवाल रहता है कि पहले थ्योरी पढ़ें या पहले सवाल हल करें.
आमतौर पर क्या है पढ़ाई का ट्रेंड
अगर आप स्कूल या कोचिंग के छात्रों के पढ़ने के तरीके कि एनालिसिस करेंगे तो आप को अधिकतर छात्र ऐसे मिलेंगे जो पहले चैप्टर कि थ्योरी, कांसेप्ट और फोर्मुलों को अच्छी तरीके से पढ़ते हैं और फिर अंत में चैप्टर की एक्सरसाइज वाले हिस्से में आते हैं और सवालों को हल करना स्टार्ट करते हैं. ऐसा करना कोई गलत नहीं है क्योंकि कई छात्रों को यही तरीका अच्छा भी लगता है और बड़ी बात ये है कि अधिकतर स्कूलों और कोचिंग्स में भी यही तरीका अपनाया जाता है.
इस ट्रेंड में सबसे बड़ा नुक्सान यह है कि सारी थ्योरी पढ़ने के बाद जब छात्र प्रश्न हल करने बैठते हैं तो उनको बहुत सारे सवालों में परेशानी आती है और कई सवाल तो बिलकुल समझ नहीं आता और फिर छात्रों को वापिस आकर उन सारी चीज़ों को दुबारा पढ़ना पड़ता है जिसमें उनका समय ख़राब होता है.
आपको हमेशा चैप्टर पढ़ने से पहले उस चप्टर पर बेस्ड सवालों को देखना और पढ़ना चाहिए. छात्रों को पिछले पांच सालों के प्रश्न पत्रों को देख कर ये अंदाज़ा लगाना चाहिए कि आखीर किस चप्य्टर से कितने और किस तरह के प्रश्न पूछे गए हैं. थ्योरी और नुमेरिकल और थ्योरी का क्या अनुपात है. इन सब चीज़ों की एनालिसिस करने के बाद जब आप चैप्टर पढेंगे तो आपको ये अंदाज़ा रहेगा की किस कांसेप्ट को अधिक फोकस करना है और किस फोर्मुले के डेरिवेशन के एक-एक स्टेप पर किस तरह ध्यान देना है क्योंकि बहुत बार सवाल डायरेक्ट फोर्मुले पर न होकर बीच के स्टेप पर पूछे जाते हैं.
केवल एक सब्जेक्ट है जिसमें आप पहले चैप्टर कि थ्योरी पढ़ें मगर उसके साथ-साथ जोभी प्रश्न उदाहरण के लिए दिए गए है उनको भी काफी अच्छी तरीके से करें. जो छात्र उदाहरण पर ध्यान नहीं देते हैं उनके लिए केवल थ्योरी के सहारे कांसेप्ट को समझना बहुत मुशकिल हो जाता है.
सारांश: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि पढ़ाई किस तरीके से करें क्योंकि मेहनत तो सभी छात्र करते हैं लेकिन स्मार्ट तरीके से की जाने वाली मेहनत ही सफलता दिलाती है. हम आशा करते हैं कि इस लेख में हमने जो तरीका बताया है वो आपको आपकी पढ़ाई में काफी सहायक होगा.
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