रेडियो जॉकी : जी भर कर बातें करने वाला करियर

बढिय़ा आवाज के साथ मनोरंजन की कला में माहिर बिंदास युवा आज अपनी आवाज को नई पहचान देने के लिए रेडियो जॉकी के प्रोफेशन की ओर मुड़ रहे हैं. पर इस क्षेत्र में सफलता तभी मिल सकती है, जब आपमें अपनी आवाज पर कंट्रोल के साथ गहरी कल्पनाशीलता भी हो.
रेडियो जॉकी : जी भर कर बातें करने वाला करियर
रेडियो जॉकी : जी भर कर बातें करने वाला करियर

दुनिया में कई तरह के लोग हैं. सबकी अलग अलग पसंद हैं. किसी को घूमना अच्छा लगता है तो किसी को शांतचित एकाग्र रहने में मजा आता है.कोई कोलाहल भरे माहौल में थोड़ी देर मस्ती कर आनंदित हो उठता है तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें किसी से भी जी भर कर बातें करने में मजा आता है तथा उन्हें संतुष्टि का एक एहसास होता है. यह बात तो सही है कि जब हम किसी से बातें करते हैं तो हमारी भावनाएं तथा मानसिक उदगार बाहर निकलते हैं जिससे हमारा मन हल्का होता है और हम रिलैक्स महसूस करते हैं. अगर आपको भी बातें करने में मजा आता है तो अपनी इस आदत को अपना पैशन बनाइये और इसी को लेकर अपना करियर भी बनाइये.जी हाँ ऐसा ही एक करियर है, रेडियो जॉकी का जहाँ हमें जी भर कर बातें करने का अवसर मिलता है.

आजकल दर्जनों एफएम चैनलों ने रेडियो जॉकी के कॅरियर को नई ऊंचाइयां दी हैं. इंटरनेट रेडियो, डिजिटल रेडियो, एफएम और कॉमर्सियल रेडियो चैनल्स के साथ कम्युनिटी रेडियो के विस्तार से रेडियो का सुनहरा दौर एक बार फिर लौट आया है. यदि आपमें इससे संबधित प्रशिक्षण और कौशल है, तो आप इस क्षेत्र में संतोषजनक कॅरियर की नींव रख सकते हैं.

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खासी चर्चित फिल्म 'लगे रहो मुन्नाभाई में विद्या बालन ने आरजे का रोल कर अपनी अदा और आवाज से सबका मन मोह लिया था. यदि आपमें भी यह कला है तो रेडियो जॉकी का जॉब आपको बोलने का भरपूर मौका तो देगा ही, साथ ही अपने हॉबी और कॅरियर दोनों को एक साथ चलाने का अवसर भी प्रदान करेगा.
फिल्म 'लगे रहो मुन्नाभाई में विद्या बालन मजेदार शो प्रेजेंट करती हैं और स्टेशन की स्टार आरजे बन जाती हैं. अगर गौर से देखा जाए तो यह दिल के दरवाजे खोलकर जी भरकर बोलने का कॅरियर है. यदि ग्लैमर की चकाचौंध में आप भी शामिल होना चाहते हैं तो आप भी बन सकते हैं आरजे यानी रेडियो जॉकी. इन दिनों इस तरह के प्रोफेशनल लोगों की इंडस्ट्री में काफी मांग बहुत बढ़ रही है.

एफएम  के कारण रेडियो जॉकी की मांग बढ़ी

एक समय था जब लोग समाचार से लेकर मनोरंजक प्रोग्रामों का लुत्फ रेडियो के जरिए ही उठाया करते थें.लेकिन टेलीविजन की पॉपुलैरिटी  ने रेडियोके क्रेज को लगभग खत्म सा ही कर दिया था. ऐसे में एफएम रेडियो की मॉडर्न  अवधारणा ने रेडियो के क्रेज को सातवें असमान पर पहुंचा दिया है. इस दौरान रेडियो की तस्वीर कुछ ऐसी बदली कि तमाम लोग पूरे-पूरे दिन रेडियो पर गाना सुनना पसंद करते हैं.ज्यादातर लोग कार में एमपीथ्री के बजाय एफएम को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. शायद यह एफएम की लोकप्रियता ही है कि आज मैट्रो शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे शहरों में भी एफएम का प्रसार हो रहा है. इसमें सबसे अहम रोल रेडियो जॉकी का होता है.

रेडियो जॉकी बनने के लिए कोर्सेज

जैसे-जैसे रेडियो का क्रेज बढ़ता जा रहा है, वैसे ही कुछ संस्थानों ने इसमें कोर्स भी कराना शुरु कर दिया है. रेडियो का कोर्स करने के लिए देश में कई संस्थान हैं जो डिप्लोमा और सर्टिफिकेट लेवल के कोर्स कराते हैं, जिनकी अवधि अलग अलग होती है. इनमें से कुछ संस्थान वॉइस ओवर और मिक्सिंग में क्रैश कोर्स भी कराते हैं जो कि रेडियो का ही एक हिस्सा है.

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

रेडियो जॉकी का काम पूरी तरह व्यक्ति के अपने टैंलेट पर निर्भर करता है. वैसे तो इस फील्ड में जाने के लिए आपके अपने दमखम के अलावा किसी विशेष सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ चैनल सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स को वरीयता देते हैं. वहीं एकेडमिक क्वालिफिकेशन की बात की जाए तो यहां ज्यादातर चैनल ग्रेजुएट लोगों को वरीयता देते हैं. इसके अलावा रेडियो जॉकी बनने के लिए म्यूजिक की बेसिक नॉलेज होना जरूरी है. इसके अलावा नई-पुरानी फिल्मों के गाने, लोकल भाषा का ज्ञान, सही उच्चारण और आवाज के उतार चढ़ाव की कला, कंप्यूटर की नॉलेज इस फील्ड में आपको तरक्की की नई सीढ़ी दे सकती है.

ऑडिशन टेस्ट

किसी फील्ड में एंट्री करने का सबसे पॉपुलर तरीका है, ऑडिशन टेस्ट पास करना. यह बेहद कॉम्पिटिटिव होता है. ऑल इंडिया रेडियो समय-समय पर आरजे की नियुक्ति के लिए कई शहरों में ऑडिशन कराता है. फाइनल सेलेक्शन के बाद आरजे को दो महीने की इनहाउस ट्रेनिंग दी जाती है.

रोजगार के अवसर

रेडियो जॉकी की जॉब सुबह 9 से 5 वाली नहीं होती है. उनको कभी भी प्रोग्राम शो होस्ट करने को कहा जा सकता है. इनके जॉब प्रोफाइल में म्यूजिक सेलेक्शन, स्क्रिप्ट राइंटिग और रेडियो शो प्रजेंट करना शामिल किया जाता है. रेडियो जॉकी का प्रेजेंटेशन का तरीका किसी भी प्रोग्राम को हिट करा सकता है. रेडियो जॉकी के तौर पर आप नए-पुराने रेडियो एफएम चैनल्स में जॉब पा सकते हैं, तो वहीं ऑल इंडिया रेडियो जैसे संस्थानों में भी काम  पाने के बढिय़ा मौके होते हैं. यही नहीं अपने टैलेंट के सही इस्तेमाल के जरिए आप विदेशी रेडियो स्टेशंस में भी काम पा सकते हैं. आरजे का काम आवाज पर निर्भर होता है, इसलिए इस क्षेत्र में बेहतर आवाज के साथ काम का एक्सपीरियंस भी अहम है. जैसे-जैसे आप का अनुभव बढ़ता जाएगा, इस क्षेत्र में आपकी तरक्की का ग्राफ भी उतना ही बढ़ेगा।. इस कारण इसमें अवसर अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक है.

संभावित सैलरी

रेडियो जॉकी के जानकारों को सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों दोनों में काम करने का मौका मिलता है. सरकारी संस्थान में पे-स्केल पर वेतन आधारित होता है, वहीं गैर सरकारी संस्थानों में भी आप अपने टैलेंट के बल पर अच्छी सैलरी के हकदार बन सकते हैं. गैर सरकारी संस्थान में अनुभव के साथ-साथ सैलरी बढ़ती रहती है.

संगीत के प्रति प्रेम होना जरुरी

बढिय़ा आवाज के साथ मनोरंजन की कला में माहिर बिंदास युवा आज अपनी आवाज को नई पहचान देने के लिए रेडियो जॉकी के प्रोफेशन की ओर मुड़ रहे हैं. पर इस क्षेत्र में सफलता तभी मिल सकती है, जब आपमें अपनी आवाज पर कंट्रोल के साथ गहरी कल्पनाशीलता भी हो. यही नहीं आपको आवाज के उतार-चढ़ाव के जरिए लोगों को प्रभावित करने की कला में पारंगत भी होना चाहिए इसके अलावा आरजे का म्यूजिक लवर होना उसके काम की पहली शर्त है, जिसमें   बॉलीवुड के गीत-संगीत की  जानकारी के साथ इंटरनेशनल म्यूजिक का भी ज्ञान अहम होगा. अच्छा आरजे अपनी स्क्रिप्ट खुद लिखता है, इसलिए अपने प्रोग्राम को दिलचस्प बनाने के लिए मनोरंजक ढंग से लिखने की कला उसे आनी चाहिए और लिखने के बाद उसे उतने ही चुटीले अंदाज के साथ प्रस्तुत करने का हुनर भी उसके लिए उतना ही जरूरी है.

रेडियो जॉकी का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान

इस समय अलग से रेडियो कोर्स के अलावा जर्नलिज्म कोर्स के अंतर्गत एक विषय के रूप में भी इसकी पढ़ाई होती है. ऐसे में यदि आप बढिय़ा आवाज के मालिक हैं तो आवाज के इस प्रोफेशन में आप बेशक हाथ आजमा सकते हैं. रेडियो जॉकी कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान हैं :

  • एकेडमी ऑफ ब्रॅाडकॉस्टिंग, चंडीगढ़
  • मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, अहमदाबाद
  • जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, मुंबई
  • एकेडमी ऑफ रेडियो मैनेजमेंट, दिल्ली

 

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