आज के कार्पोरेट जगत में सेलेक्शन प्रोसेस में बहुत सारे परिवर्तन होते जा रहे हैं. खास कर उन कैंडिडेट्स के लिए जिन्होंने अभी अभी कॉलेज की पढ़ाई समाप्त कर नौकरी की तलाश शुरू की है. उनके लिए कुछ खास चयन प्रक्रिया अपनाई जाती है. हर कंपनी अनुभवी और अधिक जानकार कैंडिडेट्स को हायर करना चाहती है. इसलिए पूरे देश में कॉलेज पाठ्यक्रमों के अंतर्गत इंटर्नशिप की मांग और महत्व दोनों दिनोदिन बढ़ता जा रहा है. लेकिन किसी भी अच्छे संस्थान से इंटर्नशिप करने के लिए आपको सबसे पहेल वहां अपना रिज्यूमे भेजना होता है और आपकी फर्स्ट राउंड इन्टरव्यू के लिए कॉल आपको आपके रेज्यूमे के आधार पर ही की जाती है.
इसलिए आपको अपना रेज्यूमे बनाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए.
अपनी उपलब्धियों और मुख्य कार्य का वर्णन करें
ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स अपने अचीवमेंट्स और ड्यूटी में अंतर नहीं समझ पाते हैं और अपने रेज्यूमे में अचीवमेंट्स की जगह बड़ी शान से अपने सारे ड्यूटीज का वर्णन कर बैठते हैं. कभी कभी तो कुछ ऐसी घटनाओं का भी जिक्र कर बैठते हैं जिनका उनकी उपलब्धि से कोई लेना देना ही नहीं होता है. इसलिए उपलब्धि और कर्तब्य का अंतर समझें और हमेशा अपनी उपलब्धियों का जिक्र ही अपने रेज्यूमे में करें.
महत्वपूर्ण तथ्यों को पहले लिखें
चूंकि एक पोस्ट के लिए कई सारे रेज्यूमे एच आर के पास आते हैं और सभी रेज्यूमे को शुरू से अंत तक पढ़ना एच आर के लिए संभव नहीं हो पाता है. इसलिए वे प्रारंभ के कुछ महत्वपूर्ण सूचनाओं के आधार पर कुछ रेज्यूमे सेलेक्ट कर लेते हैं. इसलिए रेज्यूमे में अपनी उपलब्धियों का उसके महत्व के अनुसार कम्रिक रूप में ही वर्णन करें. अगर कोई उपलब्धि उस जॉब से मैच नहीं करती तो उसे छोड़ देने में ही भलाई है.
रेफरेंस देना न भूलें
कुछ स्टूडेंट्स अपने रेज्यूमे के अंत में लिखते हैं कि रिक्वेस्ट पर रेफरेंस उपलब्ध है. यह सिर्फ समय की बर्बादी के सिवाय और कुछ नहीं है. यदि आपके पास रेफरेंस उपलब्ध है,तो उसका वर्णन अपने रेज्यूमे में अवश्य करें. प्रत्येक नियोक्ता रेफरेंस पर एक नजर जरुर डालता है. इतना ही नहीं उसमें से उसे जो ज्यादा प्रभावी लगता है उससे वह आपके विषय में कुछ जानकारी भी हासिल करता है. कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति का रेफरेंस न दे जिनसे आपका सिर्फ औपचारिक सम्बन्ध हो. ऐसे लोग जो आपको अच्छी तरह जानते हैं तथा आपके विषय में सकारत्मक टिप्पणी ही देंगे सिर्फ उन्हीं लोगों का जिक्र रेज्यूमे में करें. अन्यथा आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है तथा जॉब हाथ में आकर भी हाथ से निकल सकती है.
ऑब्जेक्टिव का उल्लेख अवश्य करें
बहुत सारे स्टूडेंट्स इस उलझन में होते हैं कि रेज्यूमे में ऑब्जेक्टिव लिखना चाहिए या नहीं. आजकल ज्यादातर काउन्सेलर्स रेज्यूमे में ऑब्जेक्टिव लिखने पर जोर देते हैं. हालांकि इसे लिखने के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है. लेकिन आप अपना ऑब्जेक्टिव लिखते हैं तो उस विषय में आपकी स्पष्ट और सही समझ होनी चाहिए. अर्थहीन ऑब्जेक्टिव या फिर बिना किसी समझ के ऑब्जेक्टिव का उल्लेख कई बार आपके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है. इसलिए बहुत सोच समझ कर अपने ऑब्जेक्टिव का उल्लेख रेज्यूमे में करें.
इसलिए नियोक्ता एवं एच आर के ऊपर अपनी अच्छी, साफ सुथरी और सकारात्मक छाप छोड़ने के लिए अपना रेज्यूमे बनाते समय इन कुछ महत्वपूर्ण बातों का विशेष रूप से ख्याल रखें.
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