Success Story: मां ने पशुपालन कर चलाया घर का खर्च, बेटे विशाल ने 484वां रैंक के साथ सिविल सेवा में हासिल की सफलता

Apr 23, 2023, 12:52 IST

Success Story: विशाल मूलरूप से बिहार के रहने वाले हैं। उनके पिता का साल 2008 में निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी मां ने पशुपालन कर घर का खर्च चलाया। वहीं, विशाल ने दिन- रात तैयारी कर UPSC सिविल सेवा के लिए मेहनत की और 484वां रैंक हासिल करत हुए उन्होंने इसमें सफलता प्राप्त की। 

विशाल यूपीएससी 484 रैंक
विशाल यूपीएससी 484 रैंक

Success Story: UPSC सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। इसके साथ ही यह सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल है। इस वजह से युवा दिन-रात इस परीक्षा की तैयारी करते हैं। हालांकि, दिन-रात मेहनत करने के बाद भी इसमें सफलता सुनिश्चित नहीं होती है। इसके बाद भी युवा इस परीक्षा की तैयारी करते हैं और सफलता के शिखर तक पहुंचने के इंतजार में रहते हैं। आज हम आपको बिहार के रहने वाले विशाल की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके ऊपर से पिता का साया 2008 में उठ गया था। इसके बाद मां ने पशुपालन कर घर का खर्च चलाया। विशाल ने सिविल सेवाओं की तैयारी की और 484वां रैंक लाकर सफलता हासिल की। 

 

विशाल का परिचय

विशाल मूलरूप से बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। उन्होंंने अपने जिले से ही स्कूली शिक्षा पूरी की। साइंस विषयों के साथ पढ़ने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की तैयारी की और साल 2013 में IIT कानपुर में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने बीटेक में स्नातक किया 

 

साल 2008 में उठ गया था पिता का साया

विशाल जब छोटे थे, तब साल 2008 में उनके ऊपर से उनके पिता का साया उठ गया था। उनके पिता मजदूरी कर घर का खर्च चलाते थे। ऐसे में विशाल के परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था। 



मां ने पशुपालन कर चलाया घर का खर्च

विशाल की मां रीना देवी ने आर्थिक संकट के दौरान घर में बकरी व भैंस को पालकर घर का खर्च चलाया। इस दौरान परिवार को कई खर्चों में समझौता भी करना पड़ा। वहीं, विशाल के पिता क सपना था कि बेटा बड़ा होकर अधिकारी बने और देश की सेवा करे। ऐसे में विशाल ने सिविल सेवाओं में जाने का निर्णय कर लिया था। 



सिविल सेवाओं की शुरू की तैयारी

विशाल ने आईआईटी करने के बाद रिलायंस कंपनी में नौकरी हासिल कर ली थी, जिसके बाद परिवार में आर्थिक परेशानी कम हो गई थी। हालांकि, उन्हें पिता का सपना सच करना था, जिसके लिए उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने इसके लिए एनसीईआरटी के साथ-साथ अन्य स्टैंडर्ड पुस्तकों का अध्ययन किया। सही रणनीति बनाई और सिविल सेवा का प्रयास किया। 

 

484 रैंक पाकर मिली सफलता 

विशाल ने सिविल सेवा परीक्षा में 484 रैंक पाकर सफलता हासिल की, जिसके बाद उन्होंने अपने पिता का सपना सच कर दिया। वह अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और अध्यापक गौरी शंकर को देते हैं।

 

हम उम्मीद करते हैं कि आपको विशाल की कहानी प्रेरक लगी होगी। इसी तरह की अन्य प्रेरक कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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