प्रकृति की प्रत्येक वस्तु के पैटर्न और डिजाइन अक्सर अपने बचपन के दिनों से ही हमें काफी आश्चर्य चकित करते हैं. देश-दुनिया के महान गणितज्ञ जानते हैं कि, प्रकृति में जेयोमेट्री के पैटर्न और डिज़ाइन्स सब जगह देखे जा सकते हैं. अब जबकि हम डिजाइनिंग के एक्सपर्ट्स बन चुके हैं लेकिन फिर भी, अभी हमें डिजाइनिंग के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत कुछ जानना, सीखना और करना है. इसलिए, हमारे देश भारत में डिजाइन एजुकेशन का महत्त्व इन दिनों बढ़ता ही जा रहा है. आइये आगे पढ़ें यह आर्टिकल:
भारत में डिज़ाइन एजुकेशन लगातार बढ़ रहा है महत्त्व
जहां पहले डिज़ाइन बनाना केवल चित्रकारों या आर्टिस्ट्स का विषय था, अब डिजाइनिंग में जियोमेट्रिक पैटर्न्स, इंजीनियरिंग ड्राइंग्स और टेक्निकल डिजाइनिंग के साथ सॉफ्टवेयर कॉन्सेप्ट में डिजाइनिंग जैसेकि ग्राफ़िक, डिजिटल या वेब डिज़ाइनिंग भी शामिल हो चुकी है. खैर, अगर हम आधुनिक इंटरनेट और डिजिटल युग की बात करें तो डिजाइनिंग कॉन्सेप्ट्स अब हमारे रोज़मर्रा के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं और इसलिए ड्राइंग के साथ-साथ डिजाइनिंग का महत्त्व भी कई एजुकेशनल फ़ील्ड्स जैसेकि मैथ्स, इंजीनियरिंग, साइंस, एस्ट्रोनॉमी, जियोग्राफी, जियोलॉजी, आर्किटेक्चर, फैशन, इंटीरियर, क्लोथिंग, फुटवियर्स एंड एक्सेसरीज़, मशीन्स, ऑटोमोबाइल्स, ग्राफ़िक, वेब, सॉफ्टवेयर के साथ-साथ आर्टिफीशल इंटेलिजेंस में भी साफ़ नजर आ रहा है.
डिज़ाइनिंग और डिज़ाइन एजुकेशन से मिलते हैं अनेक फायदे
अब हमारे मन में यह सवाल भी उभर सकता है कि जिस डिजाइनिंग की हम बात कर रहे हैं, वह इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों है? दरअसल, डिज़ाइन्स और पैटर्न्स प्राकृतिक तौर पर हमारे दैनिक जीवन का ऐसा अभिन्न हिस्सा हैं जिन्हें अपने जीवन से अलग करके हम कभी भी सभ्य मानव समाज में नहीं जी सकते हैं. हमारा अपना शरीर, मकान, दुकान, कपड़े, खाने-पीने के बर्तन, खाना परोसने का तरीका, घर का फर्नीचर और अन्य सामान, बच्चों के स्कूल-कॉलेज, हॉस्पिटल्स और यहां तक कि रोड्स भी सब किसी न किसी डिज़ाइन या पैटर्न का खुबसूरत उदाहरण ही तो है. अगर हम आसान शब्दों में कहें तो ‘डिज़ाइन’ के माध्यम से हम सोच समझकर अपनी आवश्यकताएं पूरी करने के साथ-साथ अपनी प्रॉब्लम्स को भी सॉल्व करते हैं जैसेकि, सडकों और रोड्स पर लगातार बढ़ते हुए ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए सबवेज़, ओवरहेड ब्रिजेज, और टनल्स आदि को डिज़ाइन करना.
इसी तरह, डिज़ाइन एजुकेशन हासिल करके हम डिजाइनिंग की विभिन्न फ़ील्ड्स में एक्सपर्ट्स बन जाते हैं. दरअसल, कोई भी आर्किटेक्ट बिना किसी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन या डिग्री के आजकल देश-दुनिया में किसी खूबसूरत और उपयोगी बिल्डिंग का डिज़ाइन बिलकुल तैयार नहीं कर सकता है. इसी तरह, फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किये बिना ये पेशेवर फैशन डिजाइनिंग की फील्ड में इम्प्रेसिव प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं. इसलिए आप किसी भी डिजाइनिंग की फील्ड में अगर अपना करियर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले आप समुचित डिज़ाइनिंग एजुकेशनल क्वालिफिकेशन अर्थात अंडरग्रेजुएट या पोस्टग्रेजुएट डिग्री/ डिप्लोमा या सर्टिफिकेट हासिल कर लें.
भारत में डिजाइनिंग के विभिन्न कोर्सेज और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
हमारे देश में स्टूडेंट्स डिजाइनिंग से जुड़े विभिन्न एजुकेशनल या टेक्निकल कोर्सेज कर सकते हैं बशर्ते:
- सर्टिफिकेट लेवल कोर्स:किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशन बोर्ड से किसी भी स्ट्रीम में 10 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो.
- डिप्लोमा लेवल कोर्स:किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशन बोर्ड से किसी भी स्ट्रीम में 12 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो.
- ग्रेजुएट लेवल कोर्स:किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशन बोर्ड से किसी भी स्ट्रीम में 12 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो.
- मास्टर लेवल कोर्स:किसी उपयुक्त या समान विषय में ग्रेजुएट डिग्री.
महत्त्वपूर्ण नोट: इसके अलावा देश के टॉप IITs, IIMs या किसी टॉप कॉलेज/ यूनिवर्सिटी से डिजाइनिंग की फील्ड से संबंधित विभिन्न इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट कोर्सेज करने के लिए स्टूडेंट्स को एंट्रेंस एग्जाम पास करना होता है.
डिजाइनिंग के प्रमुख पार्ट्स
जब हम किसी डिज़ाइन को देखते हैं तो हम अक्सर उस डिज़ाइन की खूबसूरती की तारीफ करते हैं लेकिन क्या कभी हम यह भी सोचते हैं कि डिजाइनिंग के प्रमुख हिस्से कौन से होते हैं?.... या फिर, डिजाइनिंग की फील्ड में अपनी क्रिएटिविटी दिखाने के लिए आर्टिस्ट्स या पेशेवर किन प्रमुख पॉइंट्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं?. दरअसल, किसी भी डिज़ाइन को तैयार करने के लिए जो जरुरी हिस्से होते हैं उनमें लाइन्स, शेप्स, कलर एंड कलर कॉम्बिनेशन, कलर कंट्रास्ट, डिज़ाइन बैलेंस, टाइपोग्राफी, साइज़, टेक्सचर एंड स्पेस, वैल्यू, रिदम और रिपिटीशन आदि शामिल हैं और किसी डिज़ाइन को तैयार करते समय इनका पूरा ध्यान रखना ही पड़ता है. इन सभी जरूरी पॉइंट्स की जानकारी हमें वास्तव में डिज़ाइन एजुकेशन से ही मिलती है.
डिजाइनिंग प्रोसेस के विभिन्न पार्ट्स
अगर आप किसी भी फील्ड के लिए बेहतरीन डिज़ाइन्स तैयार करना चाहते हैं तो आपको डिजाइनिंग प्रोसेस के इन चार प्रमुख सिद्धांतों या पॉइंट्स को ध्यान में रखना चाहिए:
- सबसे पहले तो आपको अपनी उस आवश्यकता या प्रॉब्लम को समझना होगा जिसके लिए आप डिज़ाइन तैयार कर रहे हैं.
- फिर आप अपने डिज़ाइन या पैटर्न में खास विशेषताओं पर अपना फोकस रखें. ऐसा करने पर आपको अपनी आवश्यकता या प्रॉब्लम के मुताबिक डिज़ाइन तैयार करने में मदद मिलेगी.
- अगले पॉइंट में डिज़ाइन के आधार पर ऑफर किये जाने वाले भावी सोल्यूशन्स शामिल होते हैं.
- आखिर में, डिज़ाइन तैयार करने या डिजाइनिंग प्रोसेस का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा है ऐसे डिज़ाइन्स पेश करना जो उपयोगी हों या हमारी जरूरत और प्रॉब्लम को पूरी तरह सॉल्व कर दें.
भारत में डिज़ाइनिंग के प्रमुख इंस्टीट्यूशन्स
हमारे देश में भी डिजाइनिंग का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. दरअसल, डिजाइनिंग सिर्फ आर्टिस्ट्स या मूर्तिकारों का पेशा ही नहीं है बल्कि इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, इंटीरियर डिजाइनिंग और फैशन डिजाइनिंग जैसे कई प्रोफेशन्स में काम आती है. भारत में डिजाइनिंग की फील्ड से जुड़े प्रमुख इंस्टीट्यूट्स निम्नलिखित हैं:
• नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, अहमदाबाद/ विजयवाड़ा/ कुरुक्षेत्र/ बैंगलोर/ गांधीनगर
• इंडस्ट्रियल डिज़ाइन सेंटर, IIT, मुंबई
• नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी
• सृष्टि स्कूल ऑफ़ आर्ट, डिज़ाइन एंड टेक्नोलॉजी, बैंगलोर
• MIT इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, पुणे, महाराष्ट्र
• जेडीडी इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
• आईईसी स्कूल ऑफ आर्ट एंड फैशन, नई दिल्ली
• इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ आर्ट एंड फैशन टेक्नोलॉजी (आईआईएएफटी)
• नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
• आईएमएस-डिज़ाइन एंड इनोवेशन अकादमी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
• इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, दिल्ली/ आगरा/ जम्मू/ कोच्ची/ इंदौर/ पुणे/ सुरत
भारत में डिजाइनिंग के प्रमुख जॉब प्रोफाइल्स और करियर स्कोप
आजकल के इस डिजिटल, इंटरनेट और स्पेशलाइजेशन के युग में यूं तो अधिकतर पेशों के साथ डिजाइनिंग का संबंध है लेकिन कुछ पेशे ऐसे है जो डिज़ाइन बेस्ड ही हैं. यहां पेश है भारत में डिजाइनिंग की फील्ड से जुड़े कुछ प्रमुख प्रोफेशन्स या जॉब प्रोफाइल्स की एक लिस्ट:
• ज्वैलरी डिजाइनर
• फैशन डिजाइनर
• फैशन कंसलटेंट
• पर्सनल स्टाइलिस्ट
• इलस्ट्रेटर
• राइटर एंड ड्राफ्टर
• एम्ब्रायडरी मेकर
• म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी मैनेजर
• गेम डिज़ाइनर
• वेब डिज़ाइनर
• ग्राफ़िक डिज़ाइनर
• लेक्चरर/ प्रोफेसर – डिजाइनिंग
• फैशन जर्नलिस्ट/ राइटर/ क्रिटिक
• पैटर्न मेकर/ कॉस्टयूम डिज़ाइनर/ क्लॉथ डिज़ाइनर
• टेक्निकल डिजाइनर
• ऑटोमोबाइल डिज़ाइनर
• इंजीनियर – सिविल/ मैकेनिकल
• आर्किटेक्ट – बिल्डिंग/ इन्फ्रास्ट्रक्चर डिज़ाइन
• प्रोडक्ट डिज़ाइनर
• इंटीरियर डिज़ाइनर
भारत में डिजाइनिंग में मिलने वाला सैलरी पैकेज
हमारे देश में डिजाइनिंग की विभिन्न फ़ील्ड्स से संबंधित पेशेवरों को अच्छा सैलरी पैकेज मिलता है. इस फील्ड में शुरू में जहां किसी फ्रेशर ग्राफ़िक डिज़ाइनर को 3 लाख रुपये का सालाना पैकेज मिलता है वहीँ कुछ वर्षों के अनुभव के बाद ये पेशेवर 8 लाख रुपये का सालाना सैलरी पैकेज भी लेते हैं. इसी तरह, किसी टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएटेड मैकेनिकल और सिविल इंजीनियर्स को शुरू में ही 8 – 10 लाख रुपये तक सालाना सैलरी पैकेज मिल जाता है. एक प्रोडक्ट डिज़ाइनर या इंटीरियर डिज़ाइनर को भी शुरू के दिनों में 25-30 हजार रुपये मासिक का सैलरी पैकेज मिल जाता है. दरअसल, अन्य सभी प्रमुख वर्किंग प्रोफेशन्स की तरह ही डिजाइनिंग की फील्ड से संबंधित विभिन्न पेशेवरों के सैलरी पैकेज पर उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, टैलेंट और वर्क एक्सपीरियंस का काफी असर पड़ता है. इसी तरह, एम्पलॉयर कंपनी की फाइनेंशल कंडीशन और मार्केट में उस कंपनी की साख के मुताबिक भी इन पेशेवरों का सैलरी पैकेज निर्धारित होता है.
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