Positive India: कभी 12वीं में फेल होने के डर से स्कूल ने एडमिट कार्ड देने से किया था इंकार, आज हैं एक IAS अफ़सर - जानें डॉ. नितिन शाक्य की कहानी

Dec 17, 2020, 10:50 IST

नितिन को 12वीं में फेल होने के डर से स्कूल वालों ने एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया था परन्तु उन्होंने अपनी मेहनत से ना केवल डॉक्टर की उपाधि हासिल की बल्कि IAS अफसर भी बनें। 

UPSC Success Story Dr Nitin Shakya IAS in hindi
UPSC Success Story Dr Nitin Shakya IAS in hindi

मुसीबत के समय में इंसान या तो बिखर जाता है या निखर जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है डॉ. नितिन शाक्य की। पढ़ाई में एवरेज से भी कमज़ोर छात्र रहे नितिन को 12वीं कक्षा में स्कूल ने एडमिट कार्ड देने से भी इंकार कर दिया था। यहीं से नितिन के जीवन में संघर्ष की शुरुआत हुई जिसके बाद उन्होंने MBBS की डिग्री हासिल की, फिर एनेस्थीसिया में पोस्टग्रेजुएशन और अंत में UPSC परीक्षा में सफलता हासिल की। आइये जानते हैं उनके संघर्षपूर्ण सफर के बारे में:

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माँ की रिक्वेस्ट पर मिला था 12वीं बोर्ड परीक्षा का एडमिट कार्ड 

नितिन पढ़ाई में इतने कमजोर थे कि उनकी प्रिंसिपल को लगता था कि अगर वे बोर्ड परीक्षा देंगे तो पक्का फेल होंगे और उनके स्कूल का नाम खराब होगा।  इसी कारण से स्कूल वालों ने उन्हें एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया था। तब नितिन की माँ ने स्कूल में रिक्वेस्ट की और तब उन्हें एडमिट कार्ड दिया गया। इस  घटना से नितिन काफी प्रभावित हुए और आखिरकार उन्होंने स्ट्रेटजी बनाई और परीक्षा में बहुत कम दिन रह जाने के बावजूद इतनी मेहनत की कि न सिर्फ एग्जाम पास किया बल्कि कई विषयों में टॉप भी किया। 

PMT क्लियर कर बनें MBBS डॉक्टर 

12वीं कक्षा में अच्छे अंक लाने के बाद नितिन ने PMT की एंट्रेंस परीक्षा दी और एक अच्छी रैंक हासिल की। इसके बाद उन्हें देश  प्रतिष्ठित मौलाना आजाद  मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया। MBBS की डिग्री हासिल करने के बाद नितिन ने एनेस्थीसिया में पोस्टग्रेजुएशन भी किया। हालांकि उनका यह सफर भी कुछ आसान नहीं था। नितिन की अंग्रेजी काफी कमज़ोर थी और इसी कारण उन्हें अक्सर कॉलेज में दूसरे लोगों से बात करने में संकोच होता था। फिर उन्होंने खुद को समझाया और हर एक्टिविटी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। नितिन ने किसी भी परिस्थिति में खुद को कमज़ोर नहीं माना बल्कि डट कर उसका सामना किया। 

गरीब बच्चों की मदद के लिए चुनी UPSC की राह 

अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान नितिन स्लम के बच्चों के इलाज के लिए जाते थे। यहाँ वह उन बच्चों को मुफ्त इलाज तो देते थे पर उन्हें आभास हुआ कि उन बच्चों को बेहतर शिक्षा और अन्य सुविधाओं की भी ज़रूरत है। इस सब के लिए उन्हें डॉक्टर के साथ-साथ प्रशासन की मदद की भी ज़रूरत थी। नितिन के मन में यहीं से एक IAS अधिकारी बनने का ख्याल आया। वह IAS बन कर देश के गरीब लोगों के जीवन में सुधार लाना चाहते थे। 

चौथे एटेम्पट में किया UPSC क्लियर 

नितिन की तैयारी की शुरुआत तो अच्छी हुई पर फिर वे लगातार फेल होते गए। पहले प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा पास कर ली परन्तु फाइनल रिजल्ट में केवल 10 नंबर से उनका सिलेक्शन नहीं हो सका। पहले ही प्रयास में दोनों स्टेज क्लियर करने से उनका आत्म विश्वास बढ़ा और उन्हें लगने लगा की UPSC परीक्षा  उतनी कठिन नहीं है जैसा की अक्सर कहा जाता है। 

इसके बाद दूसरे प्रयास में नितिन मेंस परीक्षा पास नहीं कर सके और तीसरे प्रयास में वह प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर सके थे। तीन असफल प्रयास के बाद वे हार मान चुके थे और उन्हें लगा कि सिविल सेवा उनके लिए नहीं है। हालांकि परिवार के प्रोत्साहन से उन्होंने एक बार फिर प्रयास करने का फैसला किया। इस बार नितिन ने खूब मेहनत की और 2018 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर अपना सपना पूरा किया। 

नितिन दूसरे कैंडिडेट्स को सलाह देते हैं कि जीवन में जब भी असफलताएं आएं तो उनसे डर कर कभी रुके नहीं बल्कि सीख ले कर निरंतर प्रयास करते रहे।  कड़ी मेहनत से ही आप जीवन में आने वाली परेशानियों को पार कर सफलता हासिल कर सकते हैं। 

Sakshi Saroha is an academic content writer 3+ years of experience in the writing and editing industry. She is skilled in affiliate writing, copywriting, writing for blogs, website content, technical content and PR writing. She posesses trong media and communication professional graduated from University of Delhi.
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