Positive India: जानें कैसे एक किराने की दुकान चलाने वाले की बेटी ने हर मुश्किल का सामना कर क्लियर किया UPSC और बनी IAS

Jun 19, 2020, 14:53 IST

श्वेता अग्रवाल 2013 में UPSC की परीक्षा पास कर बनीं IRS, 2014 में फिर परीक्षा दे कर पाई 141वीं रैंक और बनी IPS परन्तु IAS बनने का सपना रहा अधूरा। इसी सपने को पूरा करने के लिए 2015 में फिर से दी UPSC सिविल सेवा परीक्षा और 19वीं रैंक हासिल कर श्वेता अग्रवाल बनीं IAS अधिकारी 

Positive India: जानें कैसे एक किराने की दुकान चलाने वाले की बेटी ने हर मुश्किल का सामना कर क्लियर किया UPSC और बनी IAS
Positive India: जानें कैसे एक किराने की दुकान चलाने वाले की बेटी ने हर मुश्किल का सामना कर क्लियर किया UPSC और बनी IAS

अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता और उसे पाने के लिए किया गया कड़ा परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता है। पश्चिम बंगाल की श्वेता अग्रवाल ने यह बात सच कर दिखाई। एक मारवाड़ी रूढ़िवादी संयुक्त परिवार में रहने वाली श्वेता ने 8 साल की उम्र में ही यह जान लिया था कि केवल शिक्षा ही उनके आर्थिक और सामाजिक हालात बदल सकती है। माता पिता के समर्थन और कड़ी मेहनत से श्वेता ने UPSC सिविल सेवा की परीक्षा तीन बार लगातार पास की और 2015 में बनीं IAS अधिकारी। जानें IAS श्वेता अग्रवाल के संघर्ष की कहानी: 

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बंगाल के हुगली जिले की रहने वाली हैं श्वेता 

2015 के यूपीएससी एग्जाम में 19वीं रैंक हासिल करने वाली श्वेता की सफलता की कहानी बेहद संघर्षों और चुनौतियों से होकर गुजरी है। श्वेता का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके परिवार में कुल 28 लोग थे और पिता एक किराने की दुकान में काम करते थे। श्वेता के पैदा होते ही उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा क्योंकि उनके दादा-दादी को पोते की आस थी। लेकिन श्वेता के माता-पिता को इस बात से फर्क नहीं पड़ता था और वे अपनी बेटी की परवरिश को लेकर भरोसेमंद थे।

तंग आर्थिक स्थिति होने के बावजूद माता पिता ने बड़े स्कूल में कराया एडमिशन 

श्वेता के माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे उन्हें किसी अच्छे स्कूल में पढ़ा सकें। लेकिन उनके पिता का सपना था कि वह श्वेता को अच्छी शिक्षा दें। यही सोचकर उन्होंने श्वेता का दाखिला कोलकाता के सेंट जोसेफ स्कूल में करा दिया। यह स्कूल अच्छा तो था, लेकिन यहां की फीस काफी ज्यादा थी, जिसे भरने के लिए उन्हें कई तरह के काम करने पड़े। कहीं से पैसे इकट्ठे करके उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई पूरी करवाई। श्वेता बताती हैं कि गरीबी का ये आलम था कि रिश्तेदारों द्वारा भेंट किए गए थोड़े पैसों को भी वे मां को दे देती थीं ताकि उनकी स्कूल की फीस पूरी हो सके।

अपने परिवार से पहली ग्रेजुएट हैं श्वेता 

श्वेता बताती हैं 'स्कूल से निकलने के बाद जब कॉलेज में एडमिशन लेने की बारी आई तो उनके चाचा ने उनसे कहा कि लड़की कितना भी पढ़ ले आखिर में तो उसे चौका बर्तन ही करना होता है। उनके परिवार में किसी ने इसके पहले ग्रैजुएशन नहीं किया था। श्वेता पहली ऐसी थी जो आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रतिबद्ध थी। इसके बाद श्वेता ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में एडमिशन लिया और वहां से न केवल अच्छे नंबरों से पास हुईं बल्कि कॉलेज के टॉप स्टूडेंट्स में भी उनका नाम आया।

Delloite से नौकरी छोड़ कर की UPSC की तैयारी 

कॉलेज से निकलने के बाद श्वेता को Delloite में अच्छी नौकरी मिल गई। लेकिन उनके मन में अफसर बनने का सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दिया। श्वेता बताती हैं की उनके मैनेजर ने उनसे कहा की UPSC की परीक्षा हर वर्ष 5 लाख से ज़्यादा बच्चे लिखते हैं जिसमे से केवल 90 ही IAS बन पाते हैं। क्या वह इतना बड़ा रिस्क लेने को तैयार है? इस पर श्वेता का कहना था की उन्हें उन 90 सीटों में सिर्फ 1 सीट की ही आवश्यकता है और इसके लिए वह कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं। श्वेता ने नौकरी से इस्तीफा दे कर एक कोचिंग क्लास में एडमिशन लिया परन्तु वह संतुष्ट नहीं थी। इसीलिए वह कोचिंग छोड़ कर सेल्फ स्टडी करने के लिए अपने घर वापस लौट गईं। 

2013 और 2014 में भी हुआ था UPSC सिविल सेवा में सिलेक्शन 

श्वेता ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में अपना पहला एटेम्पट 2011 में दिया था। उस समय वह परीक्षा के लिए तैयार नहीं थी परन्तु उनके माता पिता क आग्रह पर उन्होंने परीक्षा दी। श्वेता जानती  साल वह परीक्षा पास नहीं कर पाएंगी परन्तु उन्होंने यह भी जाना की परीक्षा को कड़ी मेहनत और एकाग्रता से पढ़ने के बाद पास किया जा सकता है। उन्होंने 2013 में पूरी तैयारी की साथ UPSC  की परीक्षा दी और 497वीं रैंक हासिल की। उस साल  श्वेता का चयन IRS के लिए हुआ। श्वेता अपनी सफलता से खुश तो थी परन्तु संतुष्ट नहीं थी। IAS बनने की चाह में उन्होंने 2014 में फिर एक बार परीक्षा दी और इस बार उन्हें 141वीं रैंक के साथ IPS के लिए चुना गया।

UPSC सिविल सेवा 2015 में 19वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS अफसर  

श्वेता ने IPS के पद को स्वीकार तो लिया था परन्तु मन में बचपन से IAS बनने का जो सपना था वो अभी भी जीवित था। श्वेता ने 2015 में अपने एक आखिरी एटेम्पट को देने का फैसला किया और इस बार 19वीं रैंक हासिल कर IAS बन गई। यही नहीं श्वेता जगरवाल 2015 की वेस्ट बंगाल स्टेट टोपर भी रहीं। 

यह उनकी कड़ी मेहनत और आत्म विश्वास का ही नतीजा है जो बिना निराश हुए अपने सपने को मन में जीवित रख कर श्वेता ने कामयाबी हासिल की। 

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Sakshi Saroha is an academic content writer 3+ years of experience in the writing and editing industry. She is skilled in affiliate writing, copywriting, writing for blogs, website content, technical content and PR writing. She posesses trong media and communication professional graduated from University of Delhi.
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