विशेषज्ञों का मानना यह है कि यदि किसी स्टूडेंट की रुचि किसी खास क्षेत्र में है, तो ऐसी स्थिति में उसे उसी क्षेत्र में करियर का चुनाव करना चाहिए। मान लीजिए कि किसी की रुचि डिजाइनिंग के क्षेत्र में है और उन्हें लगता है कि वे डिजाइनिंग के क्षेत्र में कुछ कर सकते हैं, तो इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स उनके लिए उपयुक्त हो सकता है। क्योंकि इस समय यह तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। अगर चाहें, तो इनमें से किसी एक विषय पर आप भी स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।
कैसे होता है काम
कलात्मक होता है इंटीरियर डिजाइनर का काम। उसका मुख्य काम है क्लाइंट की इच्छा तथा बजट के अनुसार घर को सुंदर रूप देना। प्रथम चरण में घर की बनावट के आधार पर कम्प्यूटर की सहायता से मैप तैयार किया जाता है। अगर वह क्लाइंट को पसंद आ गया उन्होंने अपनी सहमति दे दी, तो उसी के अनुरूप घर को अंतिम रूप दे सकते हैं आप।
जरूरी है तकनीकी गुण
इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में सफलता क्लाइंट की अधिकतम संतुष्टि पर निर्भर करती है। इंटीरियर डिजाइनर में सिर्फ कलात्मक ही नहीं, टेक्निकल गुणों का समावेश होना भी बहुत जरूरी है। घर की सज्जा को अंतिम रूप देने तक की प्रक्रिया में डिजाइनर को कई लोगों से मिलना पडता है और बात भी करनी पडती है। ऐसी स्थिति में जरूरी यह है कि वह प्रभावशाली ढंग से बातचीत करना जानता हो। इंटीरियर डिजाइनर के विचारों पर अंतिम मोहर क्लाइंट के द्वारा ही लगती है, इसलिए यह भी जरूरी है कि क्लाइंट इंटीरियर डिजाइनर की बात को बिना किसी परेशानी के समझ सके। एक सफल डिजाइनर में यह गुण भी हो कि वह तकनीकी भाषा को आम भाषा में परिवर्तित कर सके। इसके अतिरिक्त, इंटीरियर डिजाइनरों के आवश्यक गुण हैं धैर्यवान तथा मृदुभाषी होना।
प्रोफेशनल कोर्स
इंटीरियर डिजाइनर बनने के लिए चार साल का बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) प्रोग्राम होता है। इसके अलावा, इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में स्कूल ऑफ इंटीरियर डिजाइन, अहमदाबाद में भी पांच वर्ष का कोर्स उपलब्ध है। भारत में कुछ संस्थान एक साल का डिप्लोमा कोर्स भी कराते हैं।
योग्यता
इस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए 12वीं में गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा इंग्लिश में कम से कम में 55 प्रतिशत अंक जरूरी हैं।
संभावनाएं
साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फॉर वुमन के एचओडी मीना दत्ता गुप्ता कहती हैं, पिछले कुछ समय से घर के प्रति जागरूकता ने इस क्षेत्र में अनेक विकल्पों को जन्म दिया है। इस क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं। आप चाहें, तो किसी बडी कंपनी के लिए काम कर सकते हैं या फिर स्वयं भी कोई कंपनी स्थापित कर सकते हैं। प्रोफेशनल्स किसी प्राइवेट डिजाइन फर्म या थियेटर में भी काम कर सकते हैं। पब्लिक सेक्टर में भी इंटीरियर डिजाइनरों की काफी मांग है। पब्लिक इंस्टीट्यूशंस जैसे टाउन प्लानिंग ब्यूरो, मेट्रोपोलिटन और क्षेत्रीय विकास डिपार्टमेंट में इंटीरियर डिजाइनरों की आवश्यकता है तथा भविष्य में भी इनकी मांग बनी रहेगी। जो व्यक्ति पार्ट-टाइम जॉब करना चाहते हैं तथा अपना खुद का बिजनेस करना चाहते हैं, वे भी थोडा-सा पैसा लगाकर इस क्षेत्र में करियर तलाश सकते हैं।
कमाई
मीना दत्ता गुप्ता कहती हैं, इस क्षेत्र में सैलॅरी की कोई निश्चित सीमा नहीं है। प्रारंभिक दौर में इंटीरियर डिजाइनर 6000 से लेकर 10,000 रुपये प्रति माह आसानी से कमा सकते हैं। जिन छात्रों ने किसी प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट से इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स किया है, उनकी शुरुआती सैलॅरी इससे भी ज्यादा हो सकती है। इस संबंध में आगे वे कहती हैं, इंटीरियर डिजाइनों की कमाई अनेक तथ्यों पर डिपेंड करती है। उनकी कमाई का आधार है उनकी क्रिएटिविटी। और वैसे भी उनकी विशेषता तथा कंपनी का मूलभूत ढांचा भी उनकी कमाई में अहम स्थान रखता है।
संस्थान
आर्क इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन ऐंड डिजाइन, जयपुर
अविनाशिलिंग इंस्टीट्यूट फॉर होम साइंस और हायर एजुकेशन फॉर वुमेन, नई दिल्ली
कारावली कॉलेज, मैंगलोर
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइन, चंडीगढ
रचना संसद स्कूल ऑफ इंटीरियर डिजाइन, मुम्बई
सेंट फ्रांसिंस इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट ऐंड डिजाइन, मुम्बई
स्कूल ऑफ इंटीरियर डिजाइन, अहमदाबाद
साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फॉर वुमेन, दिल्ली
यूबी ऐंड ए आर्किटेक्चर ऐंड एजुकेशन, नोएडा
मिताली जैन
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी
राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (एनआईटी) को पहले क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी) के नाम से जाना जाता था। सन् 1959 और सन् 1965 के बीच चौदह आरईसी की स्थापना हुई। सन 2002 में भारत सरकार के मानव संस्थान विकास मंत्रालय ने इन इंजीनियरिंग महाविद्यालयों का स्तर बढाया। इनका नाम राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, यानी एनआईटी कर दिया गया। एनआईटी के सभी कॉलेजों के विभिन्न तकनीकी शाखाओं में स्नातक, पीजी और डॉक्टरेट स्तर की शिक्षा दी जाती है। इन संस्थानों का सारा खर्च केंद्र सरकार के माध्यम से वहन किया जाता है। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भारत प्रौद्योगिकी संस्थानों के बाद इनका ही स्थान आता है।
कैसे हो प्रवेश?
इन संस्थानों के स्नातक स्तर के पाठयक्रमों में प्रवेश अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होती है, जिसमें बहू-विकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं।
प्रमुख कार्य
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर शिक्षा देना।
विद्यार्थियों की गुणवत्ता में बढोत्तरी करना।
प्लेसमेंट की सुविधा मुहैया कराना।
कहां-कहां हैं संस्थान
वर्तमान समय में एनआईटी निम्नलिखित जगहों पर स्थित हैं : इलाहाबाद, भोपाल, कालीकट, दुर्गापुर, कुरुक्षेत्र, जमशेदपुर, जयपुर, नागपुर, श्रीनगर, सूरतकल,तिरुचिरापल्ली, वारांगल, सिल्चर, हमीरपुर, जालंधर,पटना (पूर्व में, बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज), रायपुर (पूर्व में, शाशकीय इंजीनियरिंग कॉलेज), अगरतल्ला (पूर्व में, त्रिपुरा इंजीनियरिंग कॉलेज)।
जोश टीम
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