चुनौती स्वीकारें, हर क्षेत्र में आगे बढे|

इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफी हद तक अधिकारों के लिए लडना सीख लिया है, हालांकि महिला अधिकारों व सशक्तीकरण के लिए हो रहा संघर्षभी सामाजिक अंतर्विरोधों से गुजर रहा है...

Mar 7, 2013, 15:10 IST

इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफी हद तक अधिकारों के लिए लडना सीख लिया है, हालांकि महिला अधिकारों व सशक्तीकरण के लिए हो रहा संघर्षभी सामाजिक अंतर्विरोधों से गुजर रहा है। इस कश्मकश के बावजूद आज बडे बदलाव देखने को मिल रहे हैं जो सुखद होने के साथ ही समाज में कॅरियर से लेकर राजनीति, सिस्टम, घर, परिवार तकरीबन हर खांचे में बदलावों का संकेतक भी हैं।

कॅरियर ने दी सेंटर पोजीशन

आज महिलाओं को पता है कितरक्की की दौड में वही जीतेगा जिसमें कांफिडेंस के साथ सब्जेक्ट पर मजबूत पकड होगी। उन्हें इस बात का भी अहसास है कि बगैर आर्थिक आत्मनिर्भरता के सफलता की सीढी चढने में रोडा आ सकता है। यही कारण है कि महिलाओं ने आज कॅरियर को अपनी आत्मनिर्भरता से जोडकर देखना शुरु कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक देश में कुल वर्क फोर्सका एक तिहाई महिलाएं ही हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स भी इसे मानता है कि आर्थिक परिवर्तनों की बयार ने भारतीय महिलाओं को प्रभावित किया है। प्रोफेशनल सेक्टर में बढे अवसरों को उन्होंने तेजी से अपने पक्ष में भुनाया है जिसके चलते वह महिलाएं जो कल तक अपने फैसलों के लिए परिवार का मुंह ताकती थीं आज स्वयं के और परिवार के निर्णय लेने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

हर सेक्टर में महिलाएं

नब्बे के दशक के प्रारंभ में देश की इकोनॉमी के दरवाजे खुलने के साथ ही महिलाओं के लिए अवसरों का रास्ता ही खुल गया। नतीजतन आज देश के लगभग सभी सेक्टरों में महिलाओं को हर तरह की भूमिका में देखा जा सकता है। आज महिलाएं न केवल पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैंबल्कि देश की इकोनॉमी के ग्रोथ में अपना योगदान दे रही हैं। आज तो महिलाओं की मौजूदगी सब जगह है। आज हवाईजहाज से लेकर मेट्रो ट्रेन, ऑटो रिक्शा की ड्राइविंग सीट पर महिलाएं दिख जाएंगी तो पेट्रोल पंप, बस परिचालक के कामों में भी निपुण महिलाओं की कमी नहीं है।

धुंधला दीं हाथों की लकीरें


चंदा कोचर हुनर से मिली जीत

कभी महिलाएं कैलकुलेशन बेस्ड बैंकिंग सेक्टर के लिए वर्कफिट नहीं मानी जाती थीं। लेकिन देश की दूसरी सबसे बडी बैंक आईसीआईसीआई की प्रमुख चंदा कोचर ने अकेले दम पर इस अवधारणा को बदला दिया है। बेहतरीन एकेडमिक रिकॉर्ड रखने वाली चंदा के नेतृत्व में आईसीआईसीआई ने 2001 से 2004 तक देश के बेस्ट रिटेल बैंक का अवॉर्ड जीता। तो चंदा ने भी इस दौरान मोस्ट पॉवरफुल बिजनेस वूमेन ऑफ दि इयर जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम किए।

मिताली राज मुश्किलें देती हैं सकून


भारत में क्रिकेट का दीवानापन जगजाहिर है। पर जब बात महिला क्रिकेट की आती है तो यही लोकप्रियता न जाने कहां चली जाती है। ऐसी चुनौतियों में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज का चुनौतियों से दो-दो हाथ करने का जज्बा बहुतों को उम्मीद बंधा देता है। महज 17 साल की उम्र में भारतीय टीम में जगह बनाने वाली मिताली महिला क्रिकेट की हस्ती है।

टेसी थॉमस अग्नि को दिए पंख

अग्नि मिसाइल के विकास में केरल की 49 वर्षीय वैज्ञानिक टेसी थॉमस की बडी भूमिका है। अग्नि मिसाइल के विकास में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें अग्नि पुत्री के नाम से भी जाना जाता है।

सुनीता नारायण संघर्षने दी पहचान

देश में बदलाव के लिए केवल बैठे-बैठे सोचने से कुछ नहीं होता है बल्कि उसके लिए सडकों पर उतरने की जरूरत होती है। इस बात को देश की जानी मानी पर्यावरणविद् सुनीता नारायण से बेहतर और कौन जानता होगा। पर्यावरण रक्षा के लिए सालों से आम लोगों मे जागरुकता फैला रही सुनीता आज सेंटर फॉर इंवायरमेंट कम्यूनिकेशन की निदेशक है। इकोलॉजिकल ग्लोबलाइजेशन, ग्रीन पॉलिटिक्स जैसे उनके विचार इन दिनों लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।

एस पद्मावती हाथ में मलहम

दुनिया के टॉप कॉर्डियोलॉजिस्ट में भारत की शिवरामकृ ष्णन अय्यर पद्मावती यानि एस पद्मावती का नाम शीर्ष में गिना जाता है। मेडिकल क्षेत्र में उनका योगदान देखते हुए सरकार ने उन्हें 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया।

रितु कुमार फैशन जगत की शान

फैशन जगत में यूं तो महिलाओं का सालों से बोल बाला रहा है। लेकिन बदलते दौर में उनके सामने आई चुनौतियों को कतई नजर-अंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसी ही कई चुनौतियों को स्वीकार कर टॉप फैशन डिजाइनर रितु कुमार ने फेम पाया है। और पिछले दिनों सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है।

महिलाओं के लिए योजनाएं

इन दिनों ज्यादातर सरकारी योजनाओं में महिलाओं के लिए छूट का प्रावधान है। बैंकों के जरिए महिला उद्यम को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कई योजनाएं (जीएसएस) चला रही है जिनमें खासतौर पर महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाता है। इन योजनाओं के तहत 30 फीसदी महिलाओं को लोन देने का प्रावधान है। बालिका एजूकेशन लोन में भी ब्याज में एक फीसदी छूट का नियम लागू है। यही नहीं स्टैम्प ड्यूटी छूट, माइक्र ोफाइनेंस, महिला समृद्धि योजना, डेवलेपमेंट ऑफ वीमेन एंड चिल्ड्रेन इन रुरल इंडिया जैसी योजनाएं भी यहां सरकारी जागरूकता को रेखांकित करते है।

क्यों मनाते हैं महिला दिवस

यूरोपीय देशों में पहली बार 18 मार्च 1911 को महिला दिवस के रूप में मनाया गया। हालांकि तब इसे इंटरनेशनल वर्किग वीमेन डे कहा जाता था। महिला दिवस को आधिकारिक पहचान देने का श्रेय साम्यवादी रूस को जाता है। पहली बार सन 1917 में सेंट पिट्सबर्ग में आयोजित महिला दिवस (फरवरी माह का अंतिम रविवार) 8 मार्च को मनाया गया (ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 1917 में यह दिन 8 मार्च को पडा)। तब से पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सम्पूर्ण विश्व की महिलाएं देश, जाति-पात, भाषा, राजनीति और सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर स्नेह व मातृत्व के साथ ही शक्ति सम्पन्न स्त्री की मूर्ति सामने आती है।

बदला महिलाओं का संसार

कॅरियर में कामयाबी उसी को मिलती है जो अपना शत प्रतिशत योगदान देता है। ऐसा करने वाला हर व्यक्तिसंस्थान की प्रगति के साथ खुद की कॅरियर ग्रोथ सुनिश्चित कर आगे बढता है। यही कारण है कि आज कॅरियर के मैदान में महिलाएं तेजी से आगे बढ रही हैं। इसमें प्रमुख सेक्टर हैं..

इवेंट मैनेजमेंट- कहा जाता हैकि मैनेजमेंट के गुण महिलाओं में कुदरती होते हैं। ऐसे में इवेंट मैनेजमेंट उनकी इसी क्वालिटी को व्यावसायिक कलेवर देता है। यहां वे कॉरपोरेट मीटिंग, सेमिनार से लेकर म्यूजिकल कंसर्ट, फैशन शो, वेडिंग प्लानिंग में मौका पा सकती हैं।

एचआर- चूमन रिसोर्स में महिलाओं के लिए यह वक्त गोल्डेन है। आज कॉरपोरेट जगत बेहतर कम्यूनिकेशन, व्यावहारिक समझ जैसी जरूरी क्वालिटी से प्रभावित होकर महिलाओं को वरीयता दे रहा हैं।

इंटीरियर डेकोरेशन- इंटीरियर डेकोरेशन महिलाओं का पसंदीदा वर्किग डोमेन बनकर उभरा है। इस फील्ड में किसी संस्थान से जुडकर या फिर अपना खुद का काम शुरु कर कामयाबी की इबारत लिखी जा सकती है। शहरी क्षेत्रों में योग्य इंटीरियर डेकोरेटर की खूब मांग है।

जर्नलिज्म- आज से 12 साल पहले कारगिल रणभूमि में रिपोर्टिंग कर सुखिर्यो में आईं बरखा दत्त ने कई महिलाओं के लिए यह राह खोली है। सख्त चुनौतियों के बीच यहां परचम लहराने वाली महिलाओं का लोहा पुरुष भी मानते हैं।

एडवरटाइजमेंट- एडवरटाइजमेंट महिलाओं के लिए बडी संभावनाओं वाला क्षेत्र बनकर उभरा है। इसमें काम आने वाली क्रिएटिविटी, कम्यूनिकेशन स्किल्स इस ट्रेड को महिलाओं के लिए स्पेशल बनाते हैं। यहां महिलाओं को अपनी क्रिएटिविटी दिखाने का पूरा मौका मिलता है।

टीचिंग- टीचिंग एक ऐसा फील्ड है जहां धर्य, संवेदनाएं जैसी चीजें काफी मायने रखती हैं, खासतौर पर प्राइमरी स्कूल लेवल पर। शायद यही कारण है कि टीचिंग महिलाओं का पसंदीदा कॅरियर माना जाता है। इसी कारण इस फील्ड में महिलाओं का वर्चस्व बढा है।

मेडिकल- मेडिकल सेक्टर में महिलाओं की डिमांड हमेशा से रही है। चिकित्सक के अलावा यहां नर्सिग, क्लीनिक मेंटीनेंस जैसे कार्यो में खूब संभावनाएं हैं।

यहां भी महिलाओं की इंट्री

आज पुरुष वर्चस्व वाले सेक्टरों में महिलाएं मौजूदगी दर्ज करा रही हैं..

वकालत- आज वकालत की फील्ड महिलाओं के लिए नई बात नहीं है। जिया मोदी, फातिमा बीबी, सुजाता वी. मनोहर, जस्टिस रूमा पाल जैसे कुछ मशहूर नाम इसी बात की गवाह हैं।

डिफेंस- महिलाओं को युद्ध जैसी परिस्थितियों में भेजने (कॉम्बेट रोल) पर काफी वक्त से बहस चल रही है। बहराल नतीजा कुछ भी निकले लेकिन तीनों सेनाओं में बडी संख्या में महिलाओं की इंट्री उनके जज्बे की गवाह है। सेना की मेडिकल, एजूकेशन, सिग्नल, आर्मी सर्विस कोर, एवियेशन कोर में महिलाएं अपना दम खम दिखा रही हैं। सैन्य मेडिकल कोर से बतौर लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर हुईं डॉ. पुनीता अरोडा आज भी इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं।

सिविल सेवा- कभी सिविल सेवा भी पुरुष वर्चस्व वाले क्षेत्रों में गिना जाता था लेकिन आज ऐसा नहीं है। अब तो सी-सैट जैसी परीक्षाओं के फाइनल रिजल्ट में महिला उम्मीदवारों की बढ रही संख्या को दिखा रही है। देश की पहली महिला आईएएस इला बसंत जोशी से लेकर निरूपमा राव, किरण बेदी, कंचन चौधरी, लतिका शरन, एस दिव्य दर्शिनी जैसे कई नाम इन दिनों केवल नाम भर नहीं बल्कि महिलाओं के लिए सुनहरे कल की कहानी के दस्तावेज हैं।

जेआरसी टीम

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    आप जागरण जोश पर सरकारी नौकरी, रिजल्ट, स्कूल, सीबीएसई और अन्य राज्य परीक्षा बोर्ड के सभी लेटेस्ट जानकारियों के लिए ऐप डाउनलोड करें।

    Trending

    Latest Education News