डाटा निरूपन
परिचय (Introduction)-
कम्प्यूटर, यूजर द्वारा दिए गए विभिन्न प्रकार के डाटा तथा निर्देशों को संग्रहित करता है जैसे- ध्वनि, संख्या, टैक्स, ग्राफिक्स, रेखाचित्र आदि। ये सभी डाटा तथा निर्देश अलग-अलग होते हैं। परन्तु कम्प्यूटर में इन सभी डाटा तथा निर्देशों को एक ही भाषा तथा स्वरूप में संगृहित किया जाता है। ये स्वरूप 0 तथा 1 के रूप में होते हैं। यूजर द्वारा दिए गए सभी प्रकार के डाटा तथा निर्देश डाटा प्रतिनिधित्व के 0 तथा 1 इन दो अंकों में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को 'डाटा निरूपण' कहते हैं। डाटा निरूपण दो क्रियाओं के माध्यम से किया जाता है-
1. एनालॉग क्रियायें
2. डिजिटल क्रियायें
एनालॉग क्रियायें (Analog Operations)-
वे क्रियायें, जिनमें अंकों का प्रयोग नहीं किया जाता एनालॉग क्रियायें कहलाती हैं। एनालॉग क्रियाओं का प्रयोग मुख्य रूप से विज्ञान तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों में किया जाता है। क्योंकि इन क्षेत्रों में भौतिक मात्राओं का प्रयोग अधिकाशत: किया जाता है, जैसे- स्पीडोमीटर, वोल्टमीटर, थर्मामीटर,
डिजिटल क्रियायें (Digital Operation)-
आधुनिक कम्प्यूटर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (digital electronic circuits) द्वारा निर्मित होते हैं। इस परिपथ का मुख्य भाग ट्रांजिस्टर होता है जो दो अवस्थाओं 0-1 में कार्य करता है। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने वाली इन दो अवस्थाओं को सम्मिलित रूप से बाइनरी संख्या प्रणाली binary number system) कहते हैं। बाइनरी संख्या प्रणाली को संक्षेप में बिट (Bit) कहा जाता है।
4 बिट्स = 1 निबल
8 बिट्स = 1 बाइट
1024 बाइट्स = 1 किलोबाइट (KB)
1024 किलोबाइट = 1 मेगाबाइट (MB)
1024 मेगाबाइट = 1 गीगाबाइट (GB)
1024 गीगाबाइट = 1 टेराबाइट (TB)
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