परिवर्तन प्रकृति का नियम है और विकास के लिए अनिवार्य जरूरत भी। यदि भारत की बात करें, तो अब जमाना काफी बदल चुका है और युवाओं की सोच भी उसी के अनुरूप बदली है। इसका सर्वाधिक फायदा देश को हो रहा है। यही कारण है कि हम विकासशील से विकसित देश बनने की ओर अग्रसर हैं। लेकिन आजादी के समय ऐसी स्थिति नहीं थी। हालात ये थे कि भारत को अपनी मामूली सी मामूली जरूरतों के लिए भी विदेश का मुंह ताकना पडता था। इस स्थिति में बेहतर अवसर या जॉब की बात करना बेमानी था। लेकिन आजादी के बाद हमने अपनी महत्ता समझी और अपनी जरूरतों के अनुरूप प्रतिभा बढाई। आज भारत अपने मेड इन इंडिया ब्रांड की बदौलत वैश्विक बाजार में धाक जमा रहा है। टाइम मैग्जीन का एक हालिया सर्वे भी इसी बात की तस्दीक करता है, जिसके अनुसार आज भारत दुनिया का टॉप सीईओ एक्सपोर्टर बनकर उभरा है। पेप्सिको, सिटी बैंक, मास्टर कार्ड समेत दुनिया की 12 शीर्ष कंपनियों के सीईओ आज भारतीय ही हैं। ऐसे में हम यहां उन सेक्टर्स की बात करेंगे, जिन्होंने आजादी के बाद मेड इन इंडिया ब्रांड को तो आगे बढाया ही, इसके साथ ही काफी संख्या में युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित किया।
आइटी से आई क्रांति
देश की अर्थव्यवस्था में पिछले दो दशकों में जो सबसे बडे क्रातिकारी परिवर्तन हुए हैं, उसे आइटी सेक्टर से जोडकर देखा जाता है। माना जाता है कि इसी क्षेत्र की बदौलत ही पूरी दुनिया में भारत की छवि में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं और विदेश में मेड इन इंडिया एक अलग ब्रांड बनकर उभरा है। आज विश्व की सभी बडी कंपनियां भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स को रखना चाहती है। इससे विदेश ही नहीं देश को भी फायदा पहुंच रहा है। इन दिनों आइटी सेक्टर देश के लिए फॉरेन एक्सचेज का सबसे बडा जरिया बन गया है। एक अनुमान के मुताबिक, आने वाले 5 वर्षो में यह क्षेत्र देश के लिए 130 बिलियन डॉलर का राजस्व, करीब 14 मिलियन जॉब्स और जीडीपी में 7 फीसदी की हिस्सेदारी रखेगा। आज यह फील्ड अकाउंटिंग, केपीओ, चूमन रिसोर्स, लीगल आउटसोर्सिग तक अपना दायरा बढा चुका है। इस क्षेत्र में हर रोज उतर रहीं नई-नई कंपनियां इसे स्पष्ट करने के लिए काफी हैं। इस समय आइटी से जुडी इस अपेक्षाकृत नई इंडस्ट्री में 400 से ज्यादा कंपनियां कदम रख चुकी हैं, जहां करीब बीस लाख लोगों को सीधा रोजगार मिला हुआ है। इस सेक्टर की बडी खासियत इसका जॉब सेंट्रिक होना है, जो ग्रेजुएट, अंडरगे्रजुएट सभी को काम के अच्छे अवसर देता है।
कृषि ने बढाई साख
आजादी के समय हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं थे। लेकिन देश की बडी जनसंख्या इसी से जुडी हुई थी और जीडीपी में भी इसका सर्वाधिक योगदान था। हालात को समझते हुए भारतीय कृषि, वैज्ञानिक तरीके से होने लगी। इसका परिणाम यह हुआ कि आज हम आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि खाद्यान्न निर्यात भी कर रहे हैं और काफी संख्या में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी दे रहे हैं। आज कृषि केवल रोजी रोटी का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि इसका तेजी से व्यवसायीकरण भी हुआ है। पैक्ड फूड, मांस व पोल्ट्री उत्पाद, ग्रेन प्रोसेसिंग, जूट, गन्ना, कपास उत्पादन, मत्स्य पालन जैसे बहुत से क्षेत्र इसी के अंर्तगत आते हैं, जो मेड इन इंडिया ब्रांड को आगे बढा रहे हैं। इस समय यह भारत में सबसे अधिक रोजगार देनेवाले सेक्टर में से एक है और भविष्य में सबसे अधिक संभावनाओं वाला क्षेत्र माना जा रहा है। सरकार भी इस क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान दे रही है और दूसरी हरितक्रांति की बात कह रही है।
साइंस एंड टेक ने बढाई धाक
किसी भी देश की तरक्की में साइंस एंड टेक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसके बिना तीव्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। आजादी के समय हम इस मामले में काफी पीछे थे और मेडिसिन से लेकर डिफेंस जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी विदेशी ब्रांड पर निर्भर थे। आज हम सभी क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों के साथ हाथ मिलाकर उनके साथ कदमताल कर रहे हैं और कुछ मामलों में मेड इन इंडिया की साख इतनी बढ गई है कि वे लोग हमारे ब्रांड का इस्तेमाल कर रहे हैं। साइंस एंड टेक्नोलॉजी के बल पर कृषि से लेकर डिफेंस में हमने काफी प्रगति कर ली है। इंजीनिरिंग एंड गुड्स मैन्यूफैक्चरिंग का क्षेत्र आर्थिक उन्नति की नई प्रस्तावना बुन रहा है। इसके अंर्तगत विमानन, लोहा-इस्पात, ऊर्जा, आटोमोबाइल,रक्षा उत्पाद, सेटेलाइट लॉन्चिग आदि बहुत से क्षेत्र आते हैं, जो देश को आर्थिक फायदा तो पहुंचाते ही हैं। साथ ही सामरिक, वैज्ञानिक, भू-राजनतिक समीकरण के इस दौर में देश की साख भी विकसित कर रहे हैं। यही कारण है कि आज प्रतिभा और रिसर्च के बल पर हम चंद्रयान की योजना बना रहे हैं और अधिक मात्रा में विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहे हैं । इससे युवाओं को भी काफी संख्या में चैलेंजिंग जॉब मिल रहे हैं और युवा मेड इन इंडिया ब्रांड की पहुंच आसमान और लोगों के दिलों में बनाने के लिए अनवरत काम कर रहे हैं।
मार्केट की शान
देश की इकोनॉमिक ग्रोथ व जॉब मार्केट को गर्माहट देने वाले क्षेत्र में ज्वैलरी डिजाइन,स्टोन कटिंग प्रमुख हैं। इन दिनों पूरी दुनिया में भारत की बनी ज्वैलरी व डिजाइन की मांग है, जिसके चलते यह क्षेत्र एक बडा जॉब जेनरेटर बन रहा है। इस सेक्टर में गहनों का विदेशों से आयात कर उनको री-डिजाइन कर विदेश निर्यात किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, ज्वैलरी व हीरे के कुल वैश्विकव्यापार में भारत की हिस्सेदारी करीब 55 फीसदी की है व क रीब सात लाख लोग सीधे तौर पर इस काम से जुडे हैं। आज सरकार इस क्षेत्र को और ज्यादा प्रोत्साहन दे रही है, जिसके तहत देश के बडे बिजनेस सेंटर्स के नजदीक ही डायमंड कटिंग हब खोले जा रहे हैं और निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी स्तर पर अनेक तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। हम कह सकते हैं कि आइटी के बाद मेड इन इंडिया की साख बढाने में ज्वैलरी व कटिंग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
लेदर ने लौटाई रौनक
देश की तरक्की को पंख लगाने में लेदर इंडस्ट्री ने अहम भूमिका निभाई है। आजादी के समय कच्चा माल होने के बावजूद हम विदेशी ब्रांड के गुलाम थे और अपना शौक पूरा करने के लिए उन्हें मुंहमांगी कीमत देते थे। आज भारत ही नहीं विदेशों में मेड इन इंडिया की धूम है। इसे फॉरेन रेवेन्यू पैदा करने वाले टॉप सेक्टर्स में से एक माना जाता है।
जोश डेस्क
देश की तरक्की को पंख लगाते जॉब्स
परिवर्तन प्रकृति का नियम है और विकास के लिए अनिवार्य जरूरत भी
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