फैशन और सौंदर्य के प्रति अत्यधिक जागरूक वर्तमान दुनिया में किसी का व्यक्तित्व (पर्सोनालिटी) उसके द्वारा पहने गए कपड़े और फ़ुटवियर से सामने आती है। हाल फिलहाल में फ़ुटवियर की मांग बढ़ी है तथा लोगों में इसके चॉयस में विविधता आई है। लोगों में स्टाइलिश फुटवियर के प्रति क्रेज काफी बढा है। भारत फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग में चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। सरकार भी फ़ुट वियर सेक्टर को कई तरीके से प्रोत्साहित कर रही है। इसके तहत केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए निर्यात को बढ़ावा दे रही है। यदि कोई पढ़ाई के साथ-साथ क्रिएटिव भी है, तो उसके लिए फुटवियर डिजाइनिंग में करियर एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
कार्य
फुटवियर इंडस्ट्री में कई स्तरों पर कार्य होते हैं, जैसे-डिजाइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग। डिजाइनिंग के तहत कस्टमर की रुचि और उनकी आवश्यकता को देखते हुए नए पैटर्न डिजाइन करने पड़ते हैं। डिजाइनर के रूप में सफल होने के लिए क्रिएटिविटी, मार्केट ट्रेंड की समक्ष और कम्प्यूटर की जानकारी जरूर होनी चाहिए। इस फील्ड में हार्ड वर्क की जरूरत होती है इसलिए जिन्हें फ़ुट वियर डिजाईनिंग में करियर बनाना हो उन्हें हार्ड वर्क में सक्षम होना चाहिए हैं। इसमें डिजाईन के कार्य के तहत फ़ुट वियर के नए पैटर्न और स्टाइल को तैयार करने का कार्य करना होता है। मेनुफेक्चरिंग में मशीनों के संचालन हेतु स्किल्ड टेक्निशियन की जरूरत होती है। इसके अलावा यहां पर मार्केटिंग का काम होता है, जिसमें क्लाइंट से संपर्क करना एक्स्हिबिशन एवं फेयर का आयोजन करना और एडवरटाइजिंग की रणनीति बनाना शामिल है।
योग्यता
10+2 करने के बाद फुटवियर डिजाइनिंग के कोर्स में प्रवेश पाया जा सकता है। देश के प्रमुख फुटवियर संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं। ये कोर्स एक साल से लेकर तीन साल की अवधि वाले होते हैं। पीजी डिप्लोमा के लिए किसी भी विषय में स्नातक होना जरूरी है। एफडीडीआई में एडमिशन के लिए ऑल इंडिया सेलेक्शन टेस्ट (एआईएसटी) आयोजित किया जाता है। इसमें सफल होने के बाद ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू लिया जाता है। इसके बाद एफडीडीआई में एडमिशन मिल जाता है। यहां अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं।
कोर्स
नॉएडा और चेन्नई स्थित फ़ुटवियर डिजाईन एंड डेवेलोपमेंट इंस्टिट्यूट (FDDI), द सेंट्रल फ़ुटवियर ट्रेनिंग सेंटर (CFTC) और द सेंटर फॉर लेदर रिसर्च इंस्टिट्यूट (CLRI), चेन्नई में अंडर ग्रेजुएट स्तर पर कोर्स उपलब्ध हैं. पोस्ट-ग्रेजुएट स्तर पर फ़ुटवियर साइंस एंड इंजीनिरिंग में स्पेशलाईजेशन किया जा सकता है। टेक्नीकल कोर्स के अलावा FDDI में फ़ुटवियर टेक्नोलॉजी (MFT) में 18 माह के डिप्लोमा कोर्स की तरह ह्यूमन रिसोर्स डेवेलपमेंट (Human Resource Development) में कोर्स उपलब्ध है। टेक्नीकल कोर्स के अलावा FDDI में फ़ुटवियर टेक्नोलॉजी (MFT) में 18 माह के डिप्लोमा कोर्स की तरह ह्यूमन रिसोर्स डेवेलपमेंट (human resource development) में कोर्स उपलब्ध है। इस कोर्स में प्रवेश के लिए मेकनिकल या प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में बी/बी.टेक की योग्यता होनी चाहिए। लेदर टेक्नोलोजी में ग्रेजुएट या फिजिक्स में पोस्ट-ग्रेजुएट भी इस कार्यक्रम को ज्वाइन कर सकते हैं। फ़ुटवियर टेक्नोलॉजी में सुपरवाईजरी कोर्स (SFT) और फ़ुटवियर डिजाईनिंग में डिप्लोमा (DFD) जैसे पाठ्यक्रम भी हैं। SFT के लिए साइंस ग्रेजुएट या मेकेनिकल इंजीनियरिंग या लेदर टेक्नोलोजी में डिप्लोमाधारी होना चाहिए। DFD के लिए सामान्य ग्रेजुएट या फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएट की योग्यता होनी चाहिए।
अवसर
मंदी के दौर में भी एफडीडीआई में सौ प्रतिशत प्लेसमेंट हुआ। इससे बिलकुल साफ है कि फुटवियर डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद जॉब की कोई समस्या नहीं है। आरएनसीओएस द्वारा जारी इंडियन फुटवियर मार्केट फोरकास्ट टू 2012 के मुताबिक, इंडियन फुटवियर रिटेल मार्केट तेजी से बढ रहा है। भारत में बाटा, लखानी, एक्शन, सुपरहाउस और लिबर्टी जैसी देशी कंपनियों के साथ नाइक, रिबॉक, वुडलैंड, ली-कूपर जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां न केवल अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार कर रही हैं, बल्कि रोजगार के नए मौके भी उपलब्ध करा रही हैं।
कमाई
फुटवियर कंपनी में डिजाइनर का अहम रोल होता है। इसलिए वे सैलॅरी के लिए डील भी कर सकते हैं। वैसे, शुरुआती दौर में डिजाइनर की सैलॅरी प्रतिमाह 12 से 18 हजार रुपये हो सकती है।
संस्थान
1. फुटवियर डिजाइन ऐंड डेवलॅपमेंट इंस्टीटयूट (एफडीडीआई), नोएडा
2. सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीटयूट, आगरा
3. अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
4. मुजफ्फरपुर इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुजफ्फरपुर
5. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
6. इंस्टीटयूट ऑफ गवर्नमेंट लेदर वर्किंग स्कूल, मुंबई
7. एवीआई स्कूल ऑफ फैशन ऐंड शू टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़
8. कॉलेज ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी,कोलकाता
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