मेक्सिको में मिली 'खोई हुई' प्राचीन सभ्यता, जिसे देख वैज्ञानिक भी हैरान

Dec 30, 2022, 12:38 IST

LIDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) स्कैनिंग के बाद मैक्सिको में  एक विशाल प्राचीन शहर के छिपे हुए निशानों का पता चला है, जो इसकी पहले की अनदेखी विशेषताओं का खुलासा करता है. आइये जानते हैं इसके बारे में सब कुछ.

Archaeologists found traces of a massive ancient city in Mexico
Archaeologists found traces of a massive ancient city in Mexico

हाल ही में एक विशाल प्राचीन शहर के छिपे हुए निशान  मेक्सिको के लैंडस्केप में पाए गए हैं.

आधुनिक सड़कें और विकास प्राचीन शहरी केंद्रों के साथ अधिक समानताएं साझा करते हैं, जितना कि हम अक्सर महसूस करते हैं , जो निश्चित रूप से मैक्सिको सिटी के उत्तर-पूर्व में लगभग 40 किलोमीटर (25 मील) की दूरी पर स्थित विशाल तेयॉतिवाकन (Teotihuacan) प्राचीन दुनिया के हैं.

ऐसा बताया गया है कि तेयॉतिवाकन लगभग 100 BCE से 550 CE के बीच में प्राचीन दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक था. यह लगभग 21 स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ था. इसमें कई पिरामिड, प्लाजा, कमर्शियल  और रिहायशी इमारतें थी. इनके कुछ ढांचे आज भी देखे जा सकते हैं.

इस सभ्यता का पता लगाने के लिए, किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया?

शोधकर्ताओं ने LIDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) स्कैनिंग का उपयोग यह प्रत्यक्ष करने के लिए किया कि तेयॉतिवाकन की आकृति, इसका अधिकांश भाग अब निर्मित और छिपा हुआ आज भी उसी स्थान पर बनाई गई सड़कों और संरचनाओं में परिलक्षित होता है या दिखाई पड़ता है वो भी लगभग 1,500 सालों के बाद.

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LIDAR क्या है?

LIDAR एरियल मानचित्रण तकनीक भूमिगत संरचनाओं और सामग्रियों को मापने के लिए परावर्तित लेजर प्रकाश का उपयोग करती है.  इसकी मदद से जो ढांचें अंडरग्राउंड हैं उनकों लेजर लाइट रिफलेक्ट करके देखा जा सकता है.

ऐसा कहा जा सकता है कि सदियों पहले, मेक्सिको शहर के पास एक प्राचीन सभ्यता हुआ करती थी. यह सभ्यता तेयॉतिवाकन थी और मेक्सिको शहर के उत्तरपूर्व में लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित थी. परन्तु इसका ज्यादा तर इलाका छिपता चला गया. 

एक नए शोध में पाया गया है कि इस सभ्यता के लगभग 1500 साल बाद भी यहाँ बनीं सड़कों और ढांचों में तेयॉतिवाकन के निशान दिखते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया की प्राचीन समाज में इंजिनियरिंग का काफी अच्छा और बेमिसाल काम किया गया था. खगोलीय ज्ञान के आधार पर पहले यहाँ के लोग नदियों के रास्ते बनाते थे. यहाँ तक कि शहर बनाने के लिए मिट्टी से लेकर चट्टानों तक को ट्रांसपोर्ट करते थे.

यह काम धरती पर दिखता है?

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, के मानवविज्ञानी पुरातत्वविद् नवा सुगियामा के अनुसार "हम अतीत में नहीं रहते हैं, लेकिन हम उसके ऐक्शन्स के निशानों में रहते हैं." ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि तेयॉतिवाकन जैसे शहर में उन ऐक्शन्स का जमीन पर नतीजा आज भी दिखता है. 

 इन प्राचीन फीचर्स की तस्वीर LIDAR मैप से दिखाई गई है जो अब तेज़ी से खत्म हो रही है और गायब होने का खतरा है. परन्तु इस तरीके से हम उन्हें संरक्षित कर सकते हैं.

यह शहर प्राचीन निशानों पर बसा है 

जैसा की उपर बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने LIDAR तकनीक का उपयोग किया है. जमीनी सर्वे और पहले इखट्टे किए गए डेटा के आधार पर आज के तेयॉतिवाकन घाटी और प्राचीन सभ्यता की तुलना की. ऐसा पाया गया कि लगभग 65% के शहरी इलाके उसी प्रकार के एंगल पर बने हुए थे जैसे की प्राचीन सभ्यता में. 

आज भी प्राचीन दीवारों के निशानों पर ढांचे खड़े किए जा रहे हैं. नदियों की दिशा को भी तेयॉतिवाकन सभ्यता में मोड़ा जाता था और फिर नेहरों को बनाया जाता था. शोध में यह भी पाया गया है कि आज के पानी के रास्तों में से 16.9 किलोमीटर हिस्से की उत्पत्ति प्राचीन तेयॉतिवाकन लैंडस्केप में दिखती है.

कई ढांचे अब तबाह हो गए हैं 

शोधकर्ताओं ने अपने प्रकाशित पेपर में लिखा है कि, "तेयॉतिवाकन घाटी की पर्यावरण, सांस्कृतिक और अकादमिक बनावट से मनुष्यों की जमीन को बदलने की क्षमता को समझा जा सकता है." 

शोध में यह आकलन किया गया है कि लगभग 372,056 स्क्वेयर मीटर (4,004,777 स्क्वेयर फीट) आर्टिफिशल ग्राउंड 300 साल में बिछाया गया. कुल मिलाकर, 298 फीचर्स और 5,795 मानव निर्मित ढांचे खोजे गए जो पहले रेकॉर्ड्स में नहीं थे. ऐसा भी पता चला है कि 200 से अधिक फीचर्स खनन में तबाह हो गए.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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