भारत के उत्तर में जब भी प्रमुख राज्यों की बात होती है, तो इसमें हरियाणा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। सांस्कृतिक विरासत और देशी ठाठ-बाठ के साथ समृद्ध इतिहास से भरपूर हरियाणा अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही भारत की कृषि में इस राज्य का अहम योगदान है।
यही वजह है कि हरियाणा को हम कृषि प्रधान राज्य के रूप में भी जानते हैं। भारत के इस राज्य को हरि की धरती भी कहा जाता है। इसके अलावा इतिहास में हरियाणा के पानीपत में हुई तीन महत्वपूर्ण लड़ाइयों को कौन भूल सकता है। आपने हरियाणा के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि हरियाणा का कौन-सा जिला पीतल नगरी के रूप में भी जाना जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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हरियाणा का परिचय
सबसे पहले हम एक नजर हरियाणा राज्य के परिचय पर डाल लेते हैं। हरियाणा राज्य की स्थापना 1 नवंबर, 1966 को की गई थी, जो कि 44,212 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
यहां की जनसंख्या की बात करें, तो साल 2011 में यहां की कुल जनसंख्या 253,51,462 दर्ज की गई थी। भारत का यहा राज्य चार राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है।
यह प्रमुख रूप से राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों के साथ सीमा साझा करता है। वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों में यह दिल्ली और चंडीगढ़ के साथ भी अपनी सीमा साझा करता है।
हरियाणा में कुल कितने जिले हैं
हरियाणा में कुल जिलों की बात करें, तो यहां कुल जिलों की संख्या 22 है, जो कि 6 मंडलों में आते हैं। यहां कुल 73 उपमंडल और 93 तहसील हैं।
कौन-सा जिला है पीतल नगरी
अब सवाल है कि हरियाणा का कौन-सा जिला पीतल नगरी के रूप में जाना जाता है। आपको बता दें कि हरियाणा का रेवाड़ी जिला पीतल नगरी के रूप में जाना जाता है।
क्यों कहा जाता है पीतल नगरी
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर रेवाड़ी जिले को ही हम पीतल नगरी के रूप में क्यों जानते हैं। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि पानीपत की लड़ाई में सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य द्वारा पीतल की तोप का इस्तेमाल किया गया था। वहीं, सम्राट रेवाड़ी के रहने वाले थे।
उन्होंने रेवाड़ी में पीतल की तोपों को तैयार करवाया था। इसके साथ ही युद्ध में इस्तेमाल हुए कई पीतल के हथियारों को यहां बनाया गया था। देश के आजाद होने के बाद यहां पीतल का काम अधिक हुआ करता था। घर-घर में पीतल के उत्पादों को तैयार किया जाता था, जिससे इस शहर को हरियाणा की पीतल नगरी के रूप में जाना जाने लगा।
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