15वें वित्त आयोग के बारे में मुख्य तथ्य (Key facts about 15th Finance Commission)
गठन: 27 नवंबर 2017
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष: नंद किशोर सिंह
15वें वित्त आयोग के पूर्णकालिक सदस्य: अशोक लाहिड़ी, अजय नारायण झा और अनूप सिंह
पार्ट टाइम सदस्य: रमेश चंद, शक्तिकांता दास ने नवंबर 2017 से दिसंबर 2018 तक आयोग के सदस्य के रूप में कार्य किया था.
सचिव: श्री अरविंद मेहता
मूल विभाग: आर्थिक मामलों का विभाग, वित्त मंत्रालय
संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 280
गठन: भारत के राष्ट्रपति द्वारा
अवधि: 5 वर्ष (2021 -2026), वार्षिक रिपोर्ट-2020-21
वित्त आयोग क्या है(What is Finance Commission)
वित्त आयोग भारत के राष्ट्रपति द्वारा गठित एक संवैधानिक निकाय है जो केंद्र के करों में राज्यों की हिस्सेदारी पर अपने सुझाव राष्ट्रपति को देता है.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 280 राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्षों की अवधि के लिए वित्त आयोग के गठन की परिकल्पना करता है. 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन श्री एन.के. सिंह हैं.
15 वें वित्त आयोग की अवधि 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2025 तक होनी थी, लेकिन दो नए केंद्र शासित प्रदेश बनने के कारण वार्षिक रिपोर्ट (2020-21) बनायी गयी और इसकी सिफारिशों को 1 फरवरी, 2020 को संसद के पटल पर रखा गया था. वित्त आयोग द्वारा 2021-26 की अवधि के लिए दूसरी रिपोर्ट में अन्य सुझाव दिए जाएंगे और इस अंतिम रिपोर्ट को 30 अक्टूबर, 2020 तक राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा.
इससे पहले 14वें वित्त आयोग की अध्यक्षता भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर श्री वाई.वी. रेड्डी ने की थी जिन्होंने केंद्र के करों में राज्यों को 42% हिस्सा देने की अनुशंसा की थी.
15 वें वित्त आयोग की पहली रिपोर्ट (2020-21 की अवधि) में ये मुख्य सिफारिशों में शामिल हैं:-
राज्यों को टैक्स में हिस्सा:(Devolution of Taxes to States for 2020-21)
वित्त वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए, केंद्र के करों में राज्यों का हिस्सा 41% करने का सुझाव दिया गया है जो कि पिछली अवधि (2015-20) की तुलना में एक प्रतिशत कम है. यह एक प्रतिशत की कमी नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेशों- लद्दाख और जम्मू एवं कश्मीर को केंद्र सरकार द्वारा धनराशि देने के लिए की गई है.
राज्यों को कर हस्तांतरण के मानदंड इस प्रकार हैं:-(Criteria for devolution for FY 2020-21)
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय करों में प्रत्येक राज्य की हिस्सेदारी तय करने के मानदंड क्या हैं और प्रत्येक मानदंड को कितना वेटेज दिया गया है? इसका उल्लेख नीचे की तालिका में दिया गया है.
मानदंड | 14वां आयोग 2015-20 | 15वां आयोग 2020-21 |
आय अंतर (Income Distance) | 50.0 | 45.0 |
जनसंख्या (1971) | 17.5 | - |
जनसंख्या (2011) | 10.0 | 15.0 |
क्षेत्र (Area) | 15.0 | 15.0 |
वन क्षेत्र (Forest cover) | 7.5 | - |
वन और पारिस्थितिकी | - | 10.0 |
जनसांख्यिकी प्रदर्शन | - | 12.5 |
टैक्स के प्रयास (Tax efforts) | - | 2.5 |
कुल | 100 | 100 |
Sources: Report for the year 2020-21, 15th Finance Commission; PRS.
कर हस्तांतरण के मानदंदों की व्याख्या इस प्रकार है;
1. इनकम डिस्टेंस (Income distance):-
राज्य की आय और उस राज्य की उच्चतम आय के बीच के अंतर को आय अंतर (इनकम डिस्टेंस) कहा जाता है. जिन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय कम है, उन्हें विभिन्न राज्यों के बीच बराबरी कायम करने के लिए अधिक बड़ा हिस्सा दिया जाएगा.
2. जनसांख्यिकी प्रदर्शन: (Demographic performance):-
संदर्भ की शर्तें (टीओआर): 15वें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों के लिए केवल 2011 जनसंख्या डेटा का उपयोग किया और इसने 1971 की जनगणना को कोई ‘भार’ नहीं दिया.
यह जनसांख्यिकी मानदंड उन राज्यों को पुरस्कृत करने के लिए पेश किया गया है जिन्होंने अपनी जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया है. इसकी गणना 1971 की जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक राज्य के कुल प्रजनन अनुपात के व्युत्क्रम (रेसिप्रोकेल) का इस्तेमाल करते हुए की जाएगी.इसका मतलब है कि जिस राज्य का प्रजनन अनुपात कम (Lower Fertility Ratio) है, उसे इस मानदंड पर उच्च अंक मिलेगा.
3. कर प्रयास (Tax Efforts):-
इस संकेतक का उपयोग उन राज्यों को पुरस्कृत करने के लिए किया गया है जिनके पास कर संग्रह दक्षता अधिक है. अर्थात अधिक कर जमा करने वाले राज्यों को पुरस्कृत किया जायेगा.
इसकी गणना वर्ष 2014, 2015 और 2016 के बीच तीन वर्ष के दौरान प्रति व्यक्ति औसत कर राजस्व और प्रति व्यक्ति औसत राज्य जीडीपी के अनुपात के रूप में की गई है.
4. वन और पारिस्थितिकी (Forest and Ecology):-
यह मानदंड किसी राज्य की कुल वन सघनता का सभी राज्यों की कुल सघनता में हिस्सा निर्धारित करके निर्धारित किया गया है.
वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए सभी राज्यों को कुल 8,55,176 करोड़ रुपये दिए जायेंगे. सभी राज्यों के हिस्से में उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा हिस्सा (1,53,342 करोड़ रुपये) होगा जो कि कुल कर आवंटन का लगभग 17.93% है.
हमें 15वें वित्त आयोग की सभी सिफारिशों को जानने के लिए 30 अक्टूबर, 2020 तक इंतजार करना होगा क्योंकि 15वां वित्त आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट को 30 अक्टूबर, 2020 को सौंपागा.
तो यह थी जानकारी 15वें वित्त आयोग की वार्षिक रिपोर्ट के बारे में. यह टॉपिक IAS / PSC / SSC / BANKING और CDS आदि परीक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए इसे ध्यान से पढ़ें.
14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा
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