एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में क्या अंतर होता है?

Dec 24, 2019, 15:28 IST

चुनाव परिणाम आने से पहले टीवी चैनलों पर कहा जाता है कि हमारे एग्जिट पोल में फलां पार्टी को बहुमत या बढ़त मिलती दिख रही है. इसी तरह का एक और शब्द होता है 'ओपिनियन पोल'. क्या आप इन दोनों शब्दों का मतलब और इन दोनों में अंतर जानते हैं? यदि नहीं तो आइये इस लेख के माध्यम से  इन दोनों के बीच के अंतर के बारे में अध्ययन करते हैं.

What is the difference between exit poll and opinion poll?
What is the difference between exit poll and opinion poll?

भारत में सात चरणों के चुनावों के बाद 19 मई, 2019 को एग्जिट पोल रिलीज़ हुए थे. देखा जाए तो एग्जिट पोल एक प्रकार का प्रेडिक्शन या अनुमान देते हैं. अलग-अलग न्यूज़ चैनल्स अपने एग्जिट पोल देते हैं. साथ ही आपको बता दें कि न्यूज़ चैनल्स के अलावा भी कई एजेंसियां हैं जो डाटा को एनलाइज़ करती हैं और अपने एग्जिट पोल निकालती हैं.

एग्जिट पोल क्या होता है?
543 निर्वाचन क्षेत्रों पर हमारे देश में इलेक्शन लड़े गए हैं, ये इलेक्शन सात चरणों में हुए थे. इसका रिजल्ट 23 मई, 2019 को चुका है. लोक सभा का चुनाव हर पांच साल में होता है इसलिए इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. लोग रिजल्ट को जानने के लिए काफी इच्छुक रहते हैं और ऐसे में एग्जिट पोल का काफी महत्व होता है.

एग्जिट पोल में न्यूज़ चैनल या फिर जो लोग डाटा को कलेक्ट कर रहें होते हैं  वे अन्य लोगों से पूछते हैं जो वोट देकर आते हैं कि उन्होंने किसको वोट दिया है? अब इसका सैंपल साइज़ निर्भर करता हैं कि एग्जिट पोल कितना बड़ा है.

कुछ एग्जिट पोल होते हैं जहां पर एक निर्वाचन क्षेत्र में 2000 से लेकर 3000 लोगों से पूछा जाता है कि उन्होंने किसको या किस पार्टी को वोट दिया है. अलग कास्ट के लोग, धर्म के लोग इत्यादि लोगों से पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है. इसके बाद जब सारा डाटा इकट्ठा हो जाता है, इस पर विश्लेषण किया जाता है और अनुमान लगाया जाता है कि किसकी सरकार बनने वाली है.

यहीं आपको बता दें कि एग्जिट पोल भारत में, अमेरिका में, ऑस्ट्रेलिया में इत्यादि जहां पर लोकतंत्र है वहा पर होते हुए अधिकतर मिल जाएँगे.

ओपिनियन पोल क्या होता है?
ओपिनियन पोल वोटिंग से पहले होता है. यानी कि वोटिंग करने से पहले लोगों से पूछा जाता है कि वो किसको वोट करेंगे, या किस पार्टी को फेवर करते हैं. इस आधार पर जो डाटा इकट्ठा होता है उसको ओपिनियन पोल कहते हैं. कई सारे न्यूज़ चैनल्स इलेक्शन से पहले ओपिनियन पोल दिखाते हैं.

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क्या आपने कभी सोचा है कि भारत मैं एग्जिट पोलस 19 मई को ही क्यों दिए गए, इससे पहले क्यों नहीं?
इस बार का इलेक्शन सात चरणों में हुआ, पहला चरण, दूसरा चरण इत्यादि हर चरण के खत्म होने के बाद एग्जिट पोल सामने क्यों नहीं आया. इसका कारण है इलेक्शन कमीशन.

2004 में, इलेक्शन कमीशन ने कानून मंत्रालय से कहा कि Representation of People’s Act में कुछ हमको बदलाव करने की आवश्यकता है और हमको दोनों, एग्जिट और ओपिनियन पोल को बैन करना होगा. क्योंकि इलेक्शन कमीशन को ऐसा लगता है कि इससे लोग प्रभावित होते हैं ना कि सिर्फ भारत में बल्कि अन्य काई लोकतांत्रिक देशों में भी देखा गया है कि जो हवा चल रही होती है या फिर जिस पार्टी के फेवर में मेजोरिटी वोट कर रही होती है ज्यादातर लोग उसी पार्टी को वोट करना शुरू कर देते हैं.

मान लीजिये कि पहले चरण में अगर एग्जिट पोल ये बताता है कि कोई एक पार्टी जीतने वाली है तो हो सकता है कि दूसरे चरण में लोग इससे प्रभावित होकर उसी पार्टी को वोट करना शुरू कर दें और पूरे इलेक्शन पर ये काफी प्रभावशाली हो सकता है. इसलिए इलेक्शन कमीशन के अनुसार एक निर्दिष्ट अवधि के लिए ओपिनियन और एग्जिट पोल बैन किए जाएंगे ताकि लोगों या वोटर पर इसका प्रभाव ना पड़े.

फरवरी 2010, में इस संस्तुति को स्वीकार कर लिया गया मगर जो बैन था वो सिर्फ एग्जिट पोल पर लगाया गया ना कि ओपिनियन पोल पर. इस बैन को इंट्रोडक्शन सेक्शन 126(A) Representation of People’s Act, 1951 के तहत लगाया गया.

क्या एग्जिट पोल का डाटा विश्वसनीय होता है?
100% ये नहीं कहा जा सकता है कि एग्जिट पोल में जो बताया जाता है वही होता है. भारत में चुकी आबादी काफी ज्यादा है, निर्वाचन क्षेत्र भी बड़ा है इत्यादि हम एग्जिट पोल पर पूर्ण रूप से विशवास नहीं कर सकते हैं. क्योंकि पिछले तीन चुनावों में एग्जिट पोल सही साबित नहीं हुए थे. 2004 के चुनावों में देखा जाए तो एग्जिट पोल के अनुसार NDA सरकार वापिस पॉवर में आएगी लेकिन UPA पॉवर में आ गई थी.

दूसरी तरफ अगर हम बाहर के देशों को देखते हैं जैसे यूरोप में जर्मनी, फ्रांस इत्यादि, वहां पर आबादी ज्यादा नहीं होती है, ज्यादातर लोग एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं, साथ ही लोग काफी फ्रैंक होकर अपनी बात बता देते हैं. इसलिए वहां पर एग्जिट पोल का नतीजा लगभग सही हो सकता है.

मगर इस बात को भी नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि विकसित देशों में भी कभी-कभी एग्जिट पोल गलत साबित हो जाते हैं. जैसे ऑस्ट्रेलिया में एग्जिट पोल में बताया गया था कि कंजरवेटिव पार्टी आएगी परन्तु ऐसा नहीं हुआ था. इसलिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि पूर्ण रूप से एग्जिट पोल पर विश्वास नहीं किया जा सकता है.

तो अब आप जान गए होंगे कि एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल क्या होते हैं और एग्जिट पोल विश्वसनीय होते हैं या नहीं.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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