निंदा प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव में क्या अंतर होता है?

Jul 20, 2018, 16:19 IST

निंदा प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव में मुख्य अंतर यह है कि यदि निंदा प्रस्ताव लोकसभा में पारित हो जाता है तो सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं होता है लेकिन यदि अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो सरकार गिर जाती है. इस लेख में इन दोनों प्रस्तावों के बीच के अन्य अंतरों के बारे में बताया गया है.

Voting in Parliament
Voting in Parliament

लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत जनता द्वारा चुनी गयी सरकार होती है. लोग अपने मताधिकार का  प्रयोग करके अपने पसंद की सरकार चुनते हैं और उम्मीद करते हैं कि जन प्रतिनिधि उनकी उम्मीदों पर खरे उतरें. लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष एक रथ के दो पहिये जैसे होते हैं. ऐसे कई मौके आते हैं जब विपक्ष, सत्ता में बैठी सरकार के कई मुद्दों से सहमती नहीं रखता है या किसी सरकार के किसी काम को नापसंद करता है तो ऐसी स्थिति में विपक्ष द्वारा निंदा प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव जैसे कदम उठाये जाते हैं. इस लेख में इन्ही दो प्रस्तावों में अंतर के बारे में बताया गया है.

कृपया ध्यान दें कि संसद में, तीन प्रकार के निंदा मतदान (censure voting) होते हैं. जिसमें सबसे ऊपर अविश्वास मतदान होता है जिसमें जीतना सरकार के लिए जरूरी होता है ताकि वह सत्ता में बनी रहे. इसके बाद स्थगन प्रस्ताव होता है, इसमें हारने पर सरकार तो नहीं गिरती है लेकिन सरकार की बदनामी होती और निकट भविष्य में सरकार गिरने का खतरा बढ़ जाता है.

निंदा प्रस्ताव क्या होता है?

यह प्रस्ताव वास्तव में विपक्ष द्वारा सरकार की नीतियों और कार्यों के प्रति असंतोष प्रकट करने या सरकार के कार्यों की निंदा करने के लिए निचले सदन में लाया जाता है. निंदा प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद,किसी एक मंत्री या कुछ मंत्रियों के विरुद्ध उनकी नीतियों का विरोध करने या उनके द्वारा काम न करने के विरोधस्वरूप पेश किया जाता है.

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अविश्वास प्रस्ताव का क्या मतलब होता है?

अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रस्ताव है, जिसे विपक्ष द्वारा लोक सभा में केंद्र सरकार को गिराने या कमजोर करने के लिए रखा जाता है. यह प्रस्ताव संसदीय मतदान द्वारा पारित या अस्वीकार किया जाता है.

निंदा प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव में अंतर इस प्रकार है;

निंदा प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव

 1. यह प्रस्ताव किसी एक मंत्री, कई मंत्रियों और पूरे मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लाया जा सकता है

 यह सिर्फ पूरे मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लाया जा सकता है.

 2. लोक सभा में इसे स्वीकारने का कारण बताना जरूरी होता है.

 लोक सभा में इसे स्वीकारने का कारण बताना जरूरी नहीं होता है.

 3. यह मंत्री परिषद् की कुछ नीतियों या कार्यों के खिलाफ निंदा के लिए लाया जाता है.

 यह लोक सभा में मंत्रिपरिषद के बहुमत को देखने के लिए लाया जाता है.

 4. यदि यह लोक सभा में पास हो जाता है तो मंत्रिपरिषद को त्याग पत्र देना आवश्यक नहीं होता है.

 यदि यह लोक सभा में पास हो जाता है तो पूरी मंत्रिपरिषद को त्याग पत्र देना आवश्यक होता है.

ऊपर दिए गए बिन्दुओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि निंदा प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव में मुख्य अंतर यह है कि यदि निंदा प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं होता है लेकिन यदि अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो सरकार गिर जाती है.

अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है और इसे पेश करने की क्या प्रक्रिया है?

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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