जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?

आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि  पेट्रोल-डीजल की कीमतों में क्या-क्या शामिल होता है और जीएसटी के दायरे में आते ही जनता और सरकार पर क्या असर पड़ेगा।

Sep 17, 2021, 16:47 IST
जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?
जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?

आसमान छूती पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने बार-बार इस सवाल को उजागर किया है कि क्या इसे जीएसटी के दायरे में लाना उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित होगा या नहीं? बता दें कि अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में लाया जाता है और 28 फीसद की अधिकतम स्लैब में रखा जाता है तो इनकी कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। इस मुद्दे पर आज लखनऊ में होने वाली 45 वीं जीएसटी परिषद की बैठक में विचार किया जा सकता है। 

आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि  पेट्रोल-डीजल की कीमतों में क्या-क्या शामिल होता है और जीएसटी के दायरे में आते ही जनता और सरकार पर क्या असर पड़ेगा।

क्या क्या शामिल होता है पेट्रोल-डीजल की कीमतों में?

प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार का टैक्स, भाड़ा और डीलर का कमीशन शामिल होता है। 

जब जुलाई 2017 में जीएसटी पेश किया गया था, तो कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था क्योंकि इन चीज़ों पर केंद्र और राज्य सरकारों की राजस्व निर्भरता है। 

पेट्रोल-डीजल की मोजूदा दर

कोविड-19 महामारी के बाद जैसे ही मार्केट उबरा, वैश्विक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली। बढ़ती कीमतों की वजह से इस जीएसटी के दायरे में लाने की मांग बढ़ गई है। 

  पेट्रोल डीजल
बेस प्राइस  40.78 रुपये 40.97 रुपये
भाड़ा 0.32  रुपये 0.30  रुपये
उत्पाद शुल्क 32.90  रुपये 31.80  रुपये
डीलर का कमीशन 3.84  रुपये 2.59  रुपये
वैट 23.35  रुपये 12.96  रुपये
कुल 101.19  रुपये 88.62 रुपये

इस साल अप्रैल से इसकी खुदरा दरों में 41 वृद्धि के कारण ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। हालांकि, पिछले 11 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई संशोधन नहीं हुआ है क्योंकि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने वैश्विक तेल कीमतों पर नजर बनाई हुई है।

दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 101.19 रुपये और डीजल की कीमत 88.62 रुपये है। बाकी शहरों में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। 

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आने वाले दिनों में कटौती होने की संभावना है क्योंकि वैश्विक तेल में फिर से नरमी आने की उम्मीद है। ऑयल कार्टेल ओपेक और उसके सहयोगी धीरे-धीरे उत्पादन स्तर को बढ़ाने पर सहमत हुए हैं जिससे कीमतों में बढ़ोतरी को रोका जा सकेगा।

जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कैसे बदलाव आएगा?

यदि जीएसटी परिषद ईंधन की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला करता है, तो केंद्र और राज्यों द्वारा ईंधन की कीमतों पर लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क और वैट की विभिन्न दरों को पूरे देश में एक समान जीएसटी दर से बदल दिया जाएगा जिससे पेट्रोल, डीजल के आधार मूल्य पर अधिकतम 28 प्रतिशत कर होने की संभावना है।

इस वक्त दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइस 40.78 रुपये है और फ्रेट चार्ज को मिलाकर डीलरों के लिए यह रकम 41.10 रुपये है। इसमें 32.90 रुपये का उत्पाद शुल्क, 3.84 रुपये डीलर का कमीशन और डीलर कमीशन पर 23.35 रुपये का वैट जोड़ा जाए तो दिल्ली में पेट्रोल का खुदरा बिक्री मूल्य मिलता है, जो 101.19 रुपये है।

लेकिन अगर ये जीएसटी के दायरे में आ जाए, तो उत्पाद शुल्क (जो केंद्र का हिस्सा है) और वैट (जो राज्य का हिस्सा है) समाप्त हो जाएगा और आधार मूल्य पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा जो 11.50 रुपये है। इसमें हम डीलर का 3.84 रुपये का कमीशन जोड़ने के बाद पेट्रोल की खुदरा कीमत घटकर 56.44 रुपये हो जाएगी।

इसी तरह डीजल की बात की जाए तो डीजल के लिए दिल्ली में डीलरों से 41.27 रुपये का शुल्क लिया जाता है। अगर ऊपर दिए गए तरीके के अनुसार गणना की जाए तो डीजल की कीमत मौजूदा 88.62 रुपये से घटकर 55.41 रुपये हो जाएगी।

सरकारी राजस्व पर जीएसटी का क्या प्रभाव पड़ेगा?

केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य वैट (मूल्य वर्धित कर) पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य का लगभग आधा है। उन्हें जीएसटी के तहत लाने से राज्यों का राजस्व प्रभावित होगा। पंप की कीमतों पर लगने वाली यह 28 फीसदी टैक्स राशि केंद्र और राज्यों के बीच समान अनुपात में बांटी जाएगी।

महामारी के बीच कम बिक्री के बावजूद भी 2020-21 में पेट्रोल और डीजल से केंद्र का कर संग्रह 88% से बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। बात दें कि केंद्र ने मार्च-अंत और मई 2020 के बीच पेट्रोल पर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया था। 

यदि पेट्रोल-डीजल की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो राज्यों को बहुत नुकसान होगा क्योंकि उनके पास कर राजस्व का सबसे अधिक हिस्सा है। इसके उलट, उपभोक्ताओं को फायदा होगा क्योंकि जाएसटी के दायरे में आते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिलेगी। 

क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों का निर्धारण कैसे होता है?

क्या आप पेट्रोल पम्प पर अपने अधिकारों के बारे में जानते हैं?

Arfa Javaid
Arfa Javaid

Content Writer

Arfa Javaid is an academic content writer with 2+ years of experience in in the writing and editing industry. She is a Blogger, Youtuber and a published writer at YourQuote, Nojoto, UC News, NewsDog, and writers on competitive test preparation topics at jagranjosh.com

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