हर साल 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहला सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल 2006 को मनाया गया था। भारत में सिविल सेवाएं सबसे प्रतिष्ठित सेवओं में से एक हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक बड़े पद पर पहुंच सरकारी नौकरी में यह सबसे बड़ी सरकारी सेवा मानी जाती है। यही वजह है कि हर साल लाखों युवा दिन-रात अपने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए मेहनत करते रहते हैं।
हालांकि, यहां सफलता का स्वाद केवल कुछ हजारों युवा ही चख पाते हैं, जबकि लाखों युवा भीड़ में बाहर हो जाते हैं। केंद्रीय स्तर पर सिविल सेवा की परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) और राज्य स्तर पर राज्य परीक्षा संघ आयोग की ओर से आयोजित की जाती है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में सिविल सेवा का जनक किसे कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
क्या होती है सिविल सेवा
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि सिविल सेवा क्या होती है, तो आपको बता दें कि सिविल सेवा में कार्यरत सरकारी अधिकारियों का निकाय, जो कि न राजनीतिक है और न ही न्यायिक, वह सिविल सेवा होती है।
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भारत में कितने प्रकार की है सिविल सेवा
भारत में तीन प्रकार की सिविल सेवाएं मौजूद हैं। इसमें अखिल भारतीय सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी केंद्र और राज्य सरकार, दोनों में काम करते हैं। वहीं, केंद्रीय सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी केवल केंद्र सरकार के विभागों में काम करते हैं। इसके अलावा राज्य सिविल सेवाओं के कर्मचारी सिर्फ राज्य के विभागों के लिए काम करते हैं।
भारत में किसे कहा जाता है सिविल सेवा का जनक
अब यहां सवाल है कि आखिर किसे भारत में सिविल सेवा का जनक कहा जाता है, तो आपको बता दें कि भारत में सिविल की स्थापना वारेन हेस्टिंग और लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा की गई थी। हालांकि, लॉर्ड कार्नवालिस को ही हम सिविल सेवा के जनक के रूप में जानते हैं।
क्यों कहा जाता है सिविल सेवा का जनक
अब आप सोच रहे होंगे कि जब दो लोगों ने मिलकर सिविल सेवा की स्थापना की, तो कार्नवालिस को ही सिविल सेवा का जनक क्यों कहा जाता है। आपको बता दें कि कार्नवालिस द्वारा सिविल सेवा का पुनर्गठन करने के साथ-साथ इसका आधुनिकीकरण किया गया। साथ ही कार्नवालिस द्वारा उच्च स्तरीय सिविल सेवा और निम्न स्तरीय सिविल सेवा को पेश किया था।
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