इस वजह से पड़ी थी भारत के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव, पढ़ें

भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज थॉमसन इंजीनियरिंग कॉलेज था, जिसे अब अब IIT रुड़की के नाम से जाना जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर किस प्रकार भारत के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव पड़ी थी।

Apr 8, 2025, 13:48 IST
पहला इंजीनियरिंग कॉलेज
पहला इंजीनियरिंग कॉलेज

भारत में तमाम इंजीनियरिंग कॉलेज मौजूद हैं, जिनमें हर साल बड़ी संख्या में छात्र दाखिला लेते हैं। हालांकि, देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला लेना आसान नहीं है, क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है।

आपने देश के अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेजों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि देश का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज कौन-सा है और इसकी नींव किस प्रकार पड़ी थी, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।  

स्थापना की पृष्ठभूमि

यह बात हम सभी जानते हैं कि 19वीं सदी के मध्य में भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। उस समय ब्रिटिश सरकार ने देश में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा विकसित करने की योजना बनाई – जैसे:

-नहरें (Canals)
-पुल (Bridges)
-सड़कें (Roads)
-सिंचाई परियोजनाएं (Irrigation Projects)

इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए उन्हें कुशल स्थानीय इंजीनियरों की जरूरत थी, क्योंकि ब्रिटेन से इंजीनियर बुलाना खर्चीला और समय लेने वाला था।

गंगा नहर परियोजना और इंजीनियरिंग कॉलेज की जरूरत

ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल प्रोबर्ट और बाद में कर्नल क्यूल के नेतृत्व में एक विशाल सिंचाई योजना शुरू की गई, जिसे हम आज गंगा नहर परियोजना (Ganga Canal Project) के नाम से जानते हैं।

यह एशिया की सबसे लंबी नहर परियोजनाओं में से एक थी, जो हरिद्वार से लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों तक फैली थी। इस परियोजना के लिए इंजीनियरों की आवश्यकता ने एक स्थायी शिक्षण संस्थान की जरूरत को जन्म दिया और यहीं से भारत के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज का विचार आया।

थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग (1847)

साल 1847 में देश के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव पड़ी। इसकी संस्थापक कंपनी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी थी, जिसे थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनीयरिंग नाम दिया गया। इसे ब्रिटिश अभियंता इंजीनियर जेम्स थॉमसन के नाम पर रखा गया था।
कॉलेज का उद्देश्य था स्थानीय भारतीय युवाओं को सिविल इंजीनियरिंग में प्रशिक्षित करना ताकि वे नहर, बांध, पुल आदि का निर्माण कर सकें।

कैसे बना IIT Roorkee

साल 1949 में कॉलेज को अपग्रेड कर के यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की बना दिया गया। यह स्वतंत्र भारत की पहली इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी बनी थी। वहीं, साल
2001 में भारत सरकार ने इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) का दर्जा दिया और यह IIT रुड़की बना। यह IIT प्रणाली में शामिल होने वाला सातवां IIT था, लेकिन भारत का सबसे पुराना इंजीनियरिंग संस्थान बना रहा।

IIT रुड़की की विशेषता

-एशिया का पहला और भारत का सबसे पुराना तकनीकी संस्थान।
-21वीं सदी में अत्याधुनिक शोध और नवाचार में अग्रणी
-जल संसाधन, भूकंप अभियंत्रण, सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस आदि में उच्च शिक्षा-हजारों छात्रों को टेक्नोलॉजी और विज्ञान में प्रशिक्षित कर चुका है

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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