ग्रीन ई-क्लियरेंस औद्योगिक परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी देने की एकल खिड़की है। भारतीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 20,000m2 से अधिक निर्माण परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत भारत में छोटे से बड़े उद्योग, छोटी आवासीय भवनों के निर्माण से लेकर वाणिज्यिक परिसरों के निर्माण तक तथा टाउनशिप जैसे परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करना अनिर्वार्य कर दिया गया है।
ग्रीन ई-क्लियरेंस परियोजना क्या है?
प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप (पीएमजी) ने लोगजैम की पृष्ठभूमि पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल को स्थापित किया हैं जिसे ग्रीन ई-क्लियरेंस कहा जाता है। यह मूल रूप से ग्रीन क्लीयरेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए शुरू की गई है ताकि बुनियादी ढांचे में सुधार हो और उद्यमियों और निवेशकों के विश्वास को बढाया जा सके। ग्रीन ई-क्लीयरेंस के प्रावधान नीचे दिए गए हैं:
1. इसकी शुरुवात 1 जुलाई, 2014 में हुयी थी।
2. संबंधित विभाग से अनुमोदन के लिए, कंपनी वेबसाइट पर सभी आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करना होता है।
3. कंपनी अपने आवेदन की स्थिति को देख सकती है।
4. निर्धारित समय अवधि के भीतर मंजूरी प्रदान की जाएगी।
5. अधिसूचित उद्योग जैसे सीमेंट, रासायनिक उर्वरक, तेल और गैस, और बिजली के लिए ई-क्लियरेंस प्राप्त करना आवश्यक है।
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ग्रीन ई-क्लेयरेंस का महत्व
इंसान के खाने से लेकर रहने तक की सारी चीजे प्रकृति से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होती है। इसलिए, परियोजना के संचयी लाभ को प्रभावित किए बिना संसाधनों को अनुकूलित करना आवश्यक है। ग्रीन ई-क्लेयरेंस सतत विकास या फिर स्थायी विकास का समर्थन करता है। ग्रीन ई-क्लीयरेंस के महत्व के बारे में नीचे व्याख्या की गयी है:
1. उपयोगकर्ता के स्तर पर: ग्रीन क्लीयरेंस से उपयोगकर्ता को सस्ते दाम में चीज़े उपलब्ध हो जाएगी क्युकी यह सिस्टम विनिर्माण और रखरखाव लागत को कम कर देगा। साथ ही साथ एक सकारात्मक छवि के लिए और मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर पर्यावरण प्रमाण पत्र उपभोग की वस्तुओ पर दिया जायेगा।
2. सामुदायिक स्तर पर: स्थानीय रोजगार में वृद्धि; समुदाय की भावना में वृद्धि; स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कार्बन बचत, हवा की गुणवत्ता और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सहायता; सूक्ष्म जलवायु पर बेहतर नियंत्रण; और स्थानीय बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम करना।
3. पर्यावरण के लिए: क्षेत्रीय जैव-विविधता को बनाए रखना और बढ़ाना; प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना तथा कार्बन उत्सर्जन को कम करना।
पर्यावरण और पारिस्थितिकीय: समग्र अध्ययन सामग्री
Image source: cdn.divyahimachal.com
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