नया निजी बैंक खोलने के लिए किन-किन शर्तों को पूरा करना होता है?

Apr 9, 2018, 18:53 IST

रिज़र्व बैंक ने नए बैंकों को खोलने के लिए फरवरी 22, 2013; को दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे. इन दिशा निर्देशों में एक प्रावधान यह भी है कि नए बैंक के लिए पेड-अप वोटिंग इक्विटी पूंजी कम से कम 5 अरब रुपये होनी चाहिए, इसका मतलब है कि बैंक के पास 5 अरब रुपये की पूँजी हर समय मौजूद होनी चाहिए.

Inauguration ceremony of Bandhn bank
Inauguration ceremony of Bandhn bank

भारत में सबसे बड़ी मोनेटरी अथॉरिटी रिज़र्व बैंक है और कमर्शियल बैंकों से सम्बंधित सभी दिशा-निर्देश रिज़र्व बैंक के द्वारा ही जारी किये जाते हैं.रिज़र्व बैंक ने नए बैंकों को खोलने के लिए फरवरी 22, 2013; को दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे. भारत में दो नए कमर्शियल बैंक; IDFC बैंक और बंधन बैंक हैं. IDFC बैंक की स्थापना अक्टूबर 1, 2015 को की गयी थी जबकि बंधन बैंक की स्थापना थी जबकि बंधन बैंक की स्थापना 23 दिसंबर 2014 को हुई थी.

नये बैंकों को बैंक बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 और पहले से मौजूद विवेकपूर्ण मानदंडों के प्रावधानों का पालन करना होगा. इस लेख में हम यह जानेंगे कि भारत में नए निजी बैंकों की स्थापना करने के लिए किन-किन दिशा निर्देशों का पालन करना होगा.

नए निजी बैंकों की स्थापना के लिए निम्न दिशा निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए;

1.ऐसे व्यक्ति / पेशेवर जो कि भारत के मूल निवासी हैं और एक वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर बैंकिंग और वित्त क्षेत्र में 10 वर्ष का अनुभव रखते हैं वे बैंक खोलने के लिए आवेदन कर सकते हैं.

2. निजी क्षेत्र की ऐसी इकाई / समूह जो कि भारत के निवासियों द्वारा नियंत्रित या अधिकृत हैं और जिनके पास कम से कम 10 वर्ष का अनुभव है; साथ ही ऐसे इकाई / समूह की कुल संपत्तियां 50 अरब या उससे अधिक की हों.

3. बड़े औद्योगिक घरानों/पात्र संस्थाओं को नया बैंक खोलने की अनुमति नही है लेकिन उन्हें नए बैंकों में 10 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति होगी.

4. प्रमोटर / प्रमोटर ग्रुप / NOFHC, की बैंक के पेड-अप वोटिंग इक्विटी पूंजी में कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सेदारी होनी चाहिए जो कि बैंक के शुरू होने से 5 वर्ष तक बनी रहनी चाहिए. बैंक के व्यवसाय शुरू होने की तारीख से 15 साल की अवधि के भीतर प्रमोटर / प्रमोटर ग्रुप / NOFHC की बैंक में हिस्सेदारी घटकर 15% तक आ जानी चाहिए.

पेमेंट बैंक और कमर्शियल बैंक में क्या अंतर होता है?

5. नए बैंक के लिए पेड-अप वोटिंग इक्विटी पूंजी कम से कम 5 अरब रुपये होनी चाहिए इसका मतलब है कि बैंक के पास 5 अरब रुपये की पूँजी हर समय होनी चाहिए.

6. बैंक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा, देश में लागू प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के आधार पर तय की जाएगी. इसमें प्रमोटर / प्रमोटर ग्रुप को एक निश्चित सीमा में शेयर रखने ही पड़ेगें. वर्तमान में बैंकिंग क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 75% है. हालाँकि सरकार इसे 100% करने पर विचार कर रही है.

7. बैंकों को अपनी नयी शाखाओं में से कम से कम 25% शाखाओं को बिना बैंक वाले ग्रामीण क्षेत्रों में खोलना होगा और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (Priority Sector Lending) को ऋण के लक्ष्यों को भी पूरा करना होगा.

8. बैंक को अपना बिज़नस शुरू करने के 6 साल के भीतर अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कराना होगा.

9. बैंक को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (Priority Sector Lending)  को ऋण देने के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना होगा जैसा कि पहले से मौजूद घरेलू वाणिज्यिक बैंक कर रहे हैं.

10. बैंकों के बोर्ड को बहुमत की संख्या में स्वतंत्र निदेशकों को नियुक्त करना होगा.

11. बैंक के लिए आवेदन करने वाले आवेदक द्वारा प्रस्तुत व्यवसाय योजना (business plan) यथार्थवादी और व्यवहार्य होना चाहिए, साथ ही यह भी बताना चाहिए कि बैंक वित्तीय समावेशन को किस तरह से बढ़ाएगा.

उपर दिए गए दिशा निर्देशों को पढ़कर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि रिज़र्व बैंक नए बैंकों को लाइसेंस देते समय इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि जनता के जमा पैसे सुरक्षित रहें, देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिले और आर्थिक शक्ति का केन्द्रीकरण केवल कुछ हाथों में ना हो जाये.

पेमेंट बैंक किसे कहते हैं और इसकी क्या विशेषताएं है?

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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