क्या है मैसूर शहर की कहानी, यहां पढ़ें

Jul 24, 2024, 20:14 IST

विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद मैसूर 1565 ई. में हिंदू वोडेयार राजवंश के अधीन स्वतंत्र राज्य बन गया। 1761 में हैदर अली ने मैसूर में पुनः स्थापित राजवंश को उखाड़ फेंका और उस राज्य पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया, जिसके बाद 1782 में टीपू सुल्तान ने शासन किया।

मैसूर शहर की कहानी
मैसूर शहर की कहानी

विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद 1565 ई. में मैसूर हिंदू वोडेयार राजवंश के अधीन स्वतंत्र राज्य बन गया । देवराज (दलवई या प्रधान सेनापति) और नानराजा (सर्वाधिकारी या राजस्व और वित्त नियंत्रक) ने सत्ता संभाली और वास्तविक शासक बन गए। ये क्षेत्र पेशवा और निजाम के बीच विवाद का विषय बन गया था। दूसरे कर्नाटक युद्ध में नानराजा ने अंग्रेजों के साथ गठबंधन किया और तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) पर कब्जा कर लिया।

1761 में हैदर अली, जिसने अपना करियर एक सैनिक के रूप में शुरू किया था, ने मैसूर में पुनः स्थापित राजवंश को उखाड़ फेंका और उस राज्य पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। हैदर अली (1760-1782) ने मैसूर राज्य की सत्ता हड़प ली, जिस पर दो वोडेयार भाइयों देवराज और नानाराज का शासन था।

उन्होंने स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए निजाम और मराठों से लड़ाई लड़ी। उन्होंने फ्रांसीसी और निजाम के साथ गठबंधन किया और 1767-69 ई. में प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध में अंग्रेजों को करारी शिकस्त दी और अप्रैल 1769 में उन्हें संधि अर्थात मद्रास की संधि के रूप में शर्तें स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। 1780-84 ई. में द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान उन्होंने मराठा और निजाम के साथ गठबंधन करके अंग्रेजों को बहुत अपमानजनक पराजय दी। 1782 में द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

टीपू सुल्तान हैदर अली (1782-1799) का पुत्र था , जिसने अपने क्षेत्रों को बचाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी। वह पहले भारतीय राजा थे, जिन्होंने अपने प्रशासन में पश्चिमी तरीकों को लागू करने का प्रयास किया। उन्होंने सैन्य प्रशिक्षण और संगठन के आधुनिक तरीकों का उपयोग किया और आधुनिक हथियार बनाने के लिए एक कार्यशाला की स्थापना की।

उन्होंने मराठा और निजाम की सहयोगी सेनाओं के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध तीसरा एंग्लो-मैसूर युद्ध (1790-92 ई.) लड़ा। उन्होंने श्रीरंगपट्टनम की संधि पर हस्ताक्षर किये, जिसके अनुसार उन्हें मैसूर का आधा क्षेत्र विजयी मित्र राष्ट्रों को सौंपना पड़ा। चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में लड़ते समय उनकी मृत्यु हो गई।

टीपू सुल्तान के बारे में उल्लेखनीय जानकारी

-श्रृंगेरी के जगद्गुरु शंकराचार्य के महान प्रशंसक तथा उन्हें देवी शारदा की प्रतिमा के निर्माण के लिए धन देने की पेशकश, जिसे मराठाओं ने नष्ट कर दिया था।

-उनकी आत्मकथा: तारीख-ए-खुदाई

-एक सैन्य मैनुअल लिखा- फतहुल मुजाहिदीन, जिसमें रॉकेट प्रौद्योगिकी और रॉकेट ब्रिगेड के बारे में जानकारी शामिल है

-उन्होंने अपने पिता हैदर अली द्वारा शुरू की गई लाल बाग परियोजना (बंगलुरू) को पूरा किया और कावेरी पर कृष्णराज सागर बांध की नींव रखी ।

मैसूर साम्राज्य के तहत दक्षिण भारत में ललित कलाओं का विकास हुआ और साथ ही वीणा शेषना जैसे प्रसिद्ध कलाकारों और संगीतकारों को संरक्षण मिला, जो कर्नाटक संगीत का केंद्र बन गए । इस काल में मैसूर चित्रकला, भारत-यूरोपीय वास्तुकला और कन्नड़ साहित्य का महत्त्वपूर्ण विकास हुआ , जिसमें पारंपरिक धार्मिक विषयों के साथ-साथ संगीत ग्रंथ, नाटक और रंगमंच जैसे विषयों पर लेखन भी शामिल है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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