भारत में पुलिस व्यवस्था का श्रेय ब्रिटिश अधिकारियों को दिया जाता है। ब्रिटिश द्वारा बनाई गई है यह व्यवस्था आज भी भारत में चल रही है। इस कड़ी में भारत के प्रत्येक राज्य में पुलिस व्यवस्था लागू है, जिसका काम अपराध पर नियंत्रण करना और अपराधियों पर अंकुश लगाना है।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में पुलिस व्यवस्था की शुरुआत कैसे हुई थी, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
ग्रामिक और स्थानिक पर होती थी जिम्मेदारी
भारत के इतिहास पर गौर करें, तो लोगों की समस्याओं का निपटारा करने के लिए पहले दंडधारी नाम का एक पद हुआ करता था। हालांकि, बाद में ग्रामीण और शहरी व्यवस्था बनने पर ग्राम के लिए ग्रामिक और शहर के लिए स्थानिक पद की व्यवस्था होने लगी। इनके ऊपर अपराध को रोकने और अपराधियों पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी हुआ करती थी।
मुगल काल में मुखिया
भारत में जब मुगल काल शुरू हुआ, तो मुखिया और चौकीदार जैसे पद सामने आए। मुखिया गांव में कर वसूला करता था, तो चौकीदार की मदद से गांव में शांति व्यवस्था को बनाए रखा जाता था।
दो तरह के होते थे चौकीदार
पहले दो तरह के चौकीदार हुआ करते थे, जिनमें उच्च और सामान्य श्रेणी शामिल थे। उच्च श्रेणी के चौकीदार गांव में अपराध पर नियंत्रण किया करते थे। वहीं, लोगों को एक गांव से दूसरे गांव तक सुरक्षित छोड़ने की जिम्मेदारी भी उनकी होती थी, जबकि सामान्य श्रेणी के चौकीदार खेत और फसलों की सुरक्षा किया करते थे।
मुगलकाल में आया फौजदार और कोतवाल
मुगलकाल में ही फौजदार और कोतवाल जैसे पद सामने आए। ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा के लिए फौजदार की तैनाती होती थी, जबकि नगरीय इलाकों में कोतवाल की तैनाती होती थी। यही वजह है कि आज भी कुछ शहरों में हम नगर कोतवाली लिखा हुआ मिलता है।
1781 में बनाई गई रूपरेखा
भारत में जब बंगाल पर ब्रिटिश राज हुआ, तो वारेंट हास्टिंग की दिमाग में पुलिस जैसी व्यवस्था का विचार आया। उन्होंने फौजदार और चौकीदारों को मिलाकर पुलिस की रूपरेखा बनाने का काम किया।
इस तरह बनी पुलिस
पुलिस का श्रेय बंगाल के गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस को दिया जाता है। उनका मानना था कि अपराध पर नियंत्रण के लिए एक स्थायी पुलिस बल होना चाहिए, जिसे प्रतिमाह वेतन भी मिले।
इसके बाद सभी जिला मजिस्ट्रेट को आदेश को जारी कर जिले को पुलिस के अनुसार बांटने को कहा गया। साथ ही, प्रत्येक जिले की पुलिस की कमान दारोगा नाम के अधिकारी के हाथों में देने का निर्देश भी दिया गया।
आपको बता दें कि दारोगा शब्द मुगल काल से ही प्रचलन में आ गया था, जिसे ब्रिटिश काल में पुलिस व्यवस्था में इस्तेमाल किया गया। ब्रिटिश काल में पुलिस कानून व्यवस्था के लिए 1861 एक्ट बनाया गया, जिसके तहत पुलिस को उसकी कार्यशक्ति व अनुशासन के बारे में बताया गया।
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