Cyber Fraud: बिना OTP बताए उड़ रहे हैं खाते से पैसे, जानें साइबर ठगी के नए तरीके

Cyber Frauds in Banking Sector: साइबर फ्रॉड से जुड़े मामले हमारे सामने हर रोज आते हैं जहां साइबर ठग नए-नए तरीके अपनाकर लोगों के अकाउंट से रुपए निकाल लेते हैं। मौजूदा दौर के साइबर ठग भी शातिर हो गए हैं और बिना ओटीपी ही बैंक खातों से रकम उड़ा ले रहे हैं। लेकिन कैसे? आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं।
बिना ओटीपी कैसे निकल रहे हैं पैसे?
साइबर अपराधी बिना ओटीपी आपके खाते से पैसे निकालने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। आइए एक-एक करके इन सभी तरीकों पर नज़र डालते हैं।
केस 1
साइबर ठग आपको फोन करके बताते हैं कि आपका अकाउंट हैक किया जा रहा है। इसके कुछ ही मिनट बाद अकाउंट बैलेंस शून्य होने का मैसेज आपके मोबइल पर आ जाता है। ऐसे में आप घबरा जाते हैं और साइबर ठगी का नया खेल यहां से शुरू होता है।
दरअसल, लोगों को जब इस बात की जानकारी होती है कि उनके खाते का बैलेंस शून्य हो चुका है, तो वो अपनी रकम वापस पाने के लिए ठगों के आगे गिड़गिड़ाते हैं। ऐसे में ठग उन्हें आश्वासन देते हैं कि उन्हें कुछ रुपये वापस मिल सकते हैं अगर वो अपने मोबाइल पर आने वाला ओटीपी उन्हें बताएं। लोग इस झांसे में फंस जाते हैं और ओटीपी बता देते हैं। ओटीपी मिलते ही ठग रकम को अपने खाते में ट्रांसफर कर अपने मकसद में सफल हो जाते हैं।
इस केस में साइबर पुलिस का दावा है कि ओटीपी न बताने पर आपके खाते में रकम वापस लौट सकती है। बता दें कि ठग लोगों के अकाउंट को हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा लेते हैं। इस एफडी की अवधि एक ही दिन की होती है। ऐसे में अपने मनसूबों को पूरा करने के लिए साइबर ठगों के पास कुछ ही घंटों का समय होता है। इस दौरान ओटीपी मिलते ही वे एफडी से रकम सीधे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। यदि आप ओटीपी नहीं बताते हैं तो आपके पैसे सुरक्षित हैं और 12 घंटों के अंदर आपके खाते में वापस आ जाते हैं।
केस 2
साइबर ठग आपको फोन कर आपको जानकारी देते हैं कि आपका पेटीएम या फोनपे आदि का केवाईसी वेरिफिकेशन नहीं हुआ है और अगर आप केवाईसी नहीं कराते हैं तो आपका खाता बंद कर दिया जाएगा। ऐसे में लोग ठग की बातों का यकीन कर लेते हैं और उनसे आगे का प्रोसेस पूछते हैं।
कई बार लोग उन्हें घर पर आकर केवाईसी वेरिफिकेशन के लिए कहते हैं, लेकिन कोरोना महामारी का बहाना बनाते हुए ठग ऑनलाइन वेरिफिकेशन पर ज़ोर डालते हैं। इसके बाद वे आपसे क्विक सपोर्ट, टीम व्यूवर आदि एप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं और आपसे आईडी पूछकर आपका फोन हैक कर लेते हैं।
इसके बाद वे आपसे किसी दूसरे अकाउंट से पेटीएम या फोनपे आदि में एक रुपया डलवाते हैं और पैसे डालते ही उनका काम पूरा हो जाता है। क्योंकि आपका फोन हैकर्स ने हैक कर लिया होता है तो उन्हें आपके क्रेडिट कार्ड का पिन पता चल जाता है, जिसके बाद वे ट्रांजैक्शन कर आपके खाते से पैसे निकालने में सफल हो जाते हैं।
इस केस में साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि टीम व्यूवर या क्विक सपोर्ट जैसी कोई भी एप डाउनलोड करने से बचें और एप की आइडी केवल उन्हीं लोगों को दें जिनपर आपको पूर्णत: विश्वास हो।
केस 3
आपके ई-मेल पर अक्सर ऑफर्स और ईनाम जीतने के मेल आते हैं। इन पर क्लिक करते ही आपसे आपके खाते से जुड़ी जानकारी मांगी जाती है। जानकारी मिलते ही हैकर्स फिशिंग के माध्यम से आपके खाते से पैसे उड़ाने में कामयाब हो जाते हैं। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त अच्छी तरह से जांच लें कि वेबसाइट सिक्योर है या नहीं।
साथ ही आक्सीजन लेवल, ब्लड प्रेशर आदि जांचने का दावा करने वाली एप को डाउनलोड न करें। इस एप के जरिए आपसे आपका अंगूठा या उंगलियां रखकर कॉपी करने के लिए कहा जाएगा और आपके आधार से जुड़े बैंक खाते से पैसे उड़ जाएंगे।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतें:
1- आधार और बैंक अकाउंट से लिंक मोबाइल नंबर किसी के साथ साझा न करें।
2- किसी भी शख्स को ओटीपी, पासवर्ड या कस्टमर आईडी जैसी डिटेल नहीं बताएं।
3- किसी को भी डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का नंबर, सीवीवी आदि न बताएं।
4- ई-कॉमर्स वेबसाइट को सावधानी से यूज करें क्योंकि यहां से ठग आपकी क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल कॉपी कर लेते हैं।
5- एसएमएस या मेल पर आई हुई कोई भी ऑफर्स और ईनाम संबंधित लिंक न खोलें।
6- किसी भी अंजान व्यक्ति के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने से बचें।
7- टीम व्यूवर या क्विक सपोर्ट जैसी एप डाउनलोड करने से बचें।
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