जानिये कैसे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का "लोगो" आज भी गुलामी का प्रतीक है?

Mar 17, 2022, 12:43 IST

 भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का 'लोगो' आज भी भारत की गुलामी का प्रतीक है. दरअसल BCCI का यह 'लोगो' अंग्रेजों द्वारा शुरू किये गये एक आवर्ड 'Order of the Star of India'से लिया गया है. अंग्रेजों ने इस अवार्ड की शुरुआत देश के साथ गद्दारी करने वाले और ब्रिटिश क्राउन के साथ वफादारी करने वाले राजाओं और राजकुमारों को खुश करने के लिए 1861 में की थी.

History of BCCI Logo
History of BCCI Logo

दुनिया के हर क्रिकेट बोर्ड का अपना 'लोगो' होता है जिससे उस देश की टीम की पहचान होती है. भारत की क्रिकेट टीम का 'लोगो' है एक सूर्य के आकार का गोला जिसके अन्दर एक स्टार बना हुआ है. 

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) भारत में क्रिकेट के विकास के लिए एक राष्ट्रीय प्रबंधकीय निकाय (National Governing Body)है. बीसीसीआई का निर्माण दिसंबर 1928 में तमिलनाडु सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक 'सोसाइटी' के रूप में हुआ था. बीसीसीआई का अपना संविधान है जिसमें बोर्ड के सुचारु संचालन और खिलाड़ियों और प्रशासकों के लिए नियमों और दिशा निर्देशों के बारे में बताया गया है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि BCCI का यह 'लोगो' आज भी भारत की गुलामी का प्रतीक है. दरअसल BCCI का यह 'लोगो' अंग्रेजों द्वारा शुरू किये गये एक आवर्ड 'Order of the Star of India'से लिया गया है.

order of star india award

कौन-कौन से ब्रिटिशकालीन कानून आज भी भारत में लागू हैं?

इस सम्बन्ध में एक RTI कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल द्वारा मांगी गयी सूचना मांगी गयी थी. इस RTI का जवाब देने के लिए सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछा है कि जब BCCI का "लोगो" 90% तक अंग्रजों द्वारा शुरू किये गए अवार्ड से मेल खाता है तो उसको अब तक बदला क्यों नहीं गया है.

सुभाष अग्रवाल ने याचिका में पूछा था कि आखिर सरकार BCCI के वर्तमान 'लोगो' के स्थान पर भारत के तिरंगा झंडा या अशोक चक्र या फिर भारत के राजचिन्ह अशोक स्तम्भ या फिर कोई और 'लोगो' का इस्तेमाल क्यों नहीं करती है.

यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि सरकार ने वर्ष 2012 में BCCI और अन्य खेल संस्थानों को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाने के लिए हामी भी भर दी थी लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं निकाला जा सका है.

स्टार ऑफ़ इंडिया अवार्ड शुरू होने के पीछे का कारण भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 में छुपा हुआ है. अंग्रेजों ने इस अवार्ड की शुरुआत इस ग़दर में देश के साथ गद्दारी करने वाले और ब्रिटिश क्राउन के साथ वफादारी करने वाले राजाओं और राजकुमारों को खुश करने के लिए 1861 में की थी. कहने तो यह एक वीरता पुरस्कार था लेकिन क्वीन विस्टोरिया ने इसकी स्थापना गदारों को सम्मानित करने के लिए की थी.

आश्चर्य की बात यह है कि यह अवार्ड भारत की आजादी के बाद अर्थात 1948 में भी दिया गया था. इस सम्मान को पाने वाले अंतिम जीवित व्यक्ति अलवर के राजा का 2009 में निधन होने के साथ ही भारत में यह अवार्ड अब किसी के पास नहीं बचा है.

इस अवार्ड से नवाजे गए प्रमुख राजाओं के नाम इस प्रकार हैं;

1. जयजीराव सिंधिया, ग्वालियर के महाराजा (1861)

king of gwalior

2. महाराजा दुलीप सिंह, सिख साम्राज्य के महाराजा (1861)

3. महाराजा रणबीर सिंह, जम्मू-कश्मीर (1861)

4. तुकोजीराव होलकर, इंदौर के महाराजा (1861)

5. महाराजा नरेंद्र सिंह, पटियाला के राजा (1861)

6. सयाजीराव गायकवाड़ III, बड़ौदा के महाराजा (1861)

7. नेपाल के महाराजा बीर शमशेर जंग बहादुर राणा

Shamshe jang star of india

8. त्रावणकोर के महाराजा (1866)

9. जोधपुर के महाराजा (1866)

10. निजाम मीर उस्मान अली खान सिद्दीकी, हैदराबाद के निजाम

दरअसल अंग्रेजों द्वारा भारत पर किया गया राज हम भारतीयों के दिमाग में इतनी भीतर तक घुस गया है कि जाने अनजाने हमें पता ही नहीं चलता है कि हम आज भी कौन से ऐसी चीजें/कानून इस्तेमाल करते आ रहे है जो कि अंगेजों में हम पर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए थोपी थीं या शुरू की थी.

BCCI के ‘लोगो’ के अलावा भारत में पुलिस की ड्रेस, इंडियन पैनल कोड, इंडियन एयरलाइन्स का ‘लोगो’ जैसी बहुत ही चीजें हम अंग्रेजों की दी हुई इस्तेमाल कर रहे हैं. अब सरकार को इस मुद्दे पर सख्ती से सोचने की जरूरत है क्योंकि भारत जैसे एक संप्रभु देश के लिए गुलामी की किसी भी निशानी को ढोने की जरूरत नहीं है.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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