अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

Aug 12, 2019, 17:12 IST

पूरे विश्व में ‘अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस’ 12 अगस्त को मनाया जाता है और भारत में 12 जनवरी को 'राष्ट्रिय युवा दिवस' मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस क्यों और कैसे मनाया जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

International Youth Day
International Youth Day

सम्पूर्ण विश्व का भविष्य युवाओं पर निर्भर करता है और देश के विकास में युवाओं का बड़ा योगदान भी होता है.

 अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस सबसे पहले कब मनाया गया था?

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 17 दिसम्बर, 1999 को युवा विश्व सम्मलेन के दौरान की गयी सिफारिशों को मानते हुए 54/120 प्रस्ताव पारित किया गया तथा प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी. पहली बार सन 2000 में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन आरम्भ किया गया था.

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2019 का थीम

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2019 का थीम है "ट्रांस्फोर्मिंग एजुकेशन" (Transforming education) और 2018 का थीम था "युवाओं के लिए सुरक्षित स्थान” (Safe Spaces for Youth).

थीम का उद्देश्य है सभी युवाओं के लिए शिक्षा को अधिक प्रासंगिक, न्यायसंगत और समावेशी बनाने के प्रयासों पर प्रकाश डालना है.

सतत विकास (Sustainable Development) 2030 एजेंडा के लक्ष्य 4 में कहा गया है - "समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना".

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2019 के दिन यह जांच की जाएगी कि सरकारें, युवा, युवा का नेतृत्व करने वाले और युवा-केंद्रित संगठन अथवा अन्य हितधारक,  शिक्षा में परिवर्तन के लिए क्या कर रहे हैं और उनके ये प्रयास किस प्रकार से सतत विकास (Sustainable Development) के 2030 के एजेंडा को पूरा करने  में योगदान दे रहे हैं.

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अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य गरीबी उन्मूलन एवं सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए युवा लोगों की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करना है.

सामाजिक आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विकास और युवाओं की पसंद को नाकारा नहीं जा सकता है.  अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का मतलब है कि सरकार युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे.

आंकड़े हमें याद दिलाते हैं कि शिक्षा प्रणालियों को अधिक समावेशी और सुलभ बनाने के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन अभी भी आवश्यक हैं:

(1) केवल 10% लोगों ने निम्न आय वाले देशों में उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी की है.

(2) वैश्विक आबादी का 40 % किसी भी भाषा में नहीं पढ़ाया जाता है, जिसे वे बोलते हो या पूरी तरह से समझते हों.

(3) माध्यमिक विद्यालय के 75% से अधिक शरणार्थी (refugees) स्कूल से बाहर हैं.

इसके अलावा, स्वदेशी युवाओं, विकलांग लोगों, युवा महिलाओं, कमजोर समूहों या कमजोर परिस्थितियों में युवा लोग, इत्यादि शिक्षा को पाने के लिए अतिरिक्त चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जो उनकी विविध आवश्यकताओं और क्षमताओं को तो दर्शाती ही है साथ ही उनकी अद्वितीय व्यक्तित्व और पहचान को भी दर्शाती हैं.

भारत 'युवाओं का देश'

पूरे विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है. भारत में 25 वर्ष से कम आयु के 50% से अधिक और 35 वर्ष से कम आयु के 65% से अधिक युवा हैं. अर्थात् हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है. आवश्यकता है आज हमारे देश की युवा शक्ति को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की, उनमे अच्छे संस्कार, उचित शिक्षा एवं प्रोद्यौगिक विशेषज्ञ बनाने की, उन्हें बुरी आदतों जैसे- नशा, जुआ, हिंसा इत्यादि से बचाने की. क्योंकि चरित्र निर्माण ही देश की, समाज की, उन्नति के लिए परम आवश्यक है.

शिक्षा एक 'विकास गुणक' (development multiplier) है जिसमें यह सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) में प्रगति को स्पीड अप  करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, चाहे वह गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य, लिंग समानता, सभ्य काम और विकास, कम असमानताएं, जलवायु पर एक्शन या शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करना हो. शिक्षा को प्रभावी तौर पर सीखने के परिणामों की ओर ले जाना चाहिए, स्कूल पाठ्यक्रम और शिक्षण का सही उद्देश्य में फिट होना ही न केवल 4थी औद्योगिक क्रांति, काम और जीवन के भविष्य के लिए, बल्कि उन अवसरों और चुनौतियों के लिए भी जो तेजी से बदलते हुए सामाजिक संदर्भो को लाते हैं.

इसमें कोई संदेह नहीं कि चरित्र निर्माण ही देश की, समाज की, उन्नति के लिए परम आवश्यक है. दुश्चरित्र युवा न तो अपना भला कर सकता है, न समाज का और न ही अपने देश का. देश के निर्माण के लिए, देश की उन्नति के लिए, देश को विश्व के विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा करने के लिए युवा वर्ग को ही मेधावी, श्रमशील, देश भक्त और समाज सेवा की भावना को जगाए रखना होगा.

बिना शिक्षा के कोई भी युवा अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने में अक्षम रहता है. वह शिक्षा के बिना जीवन में कोई भी कार्य, व्यापार, व्यवसाय उन्नति नहीं कर सकता. यदि कोई युवा अपने विद्यार्थी जीवन के समय का सदुपयोग कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो मनोरंजन, मस्ती और ऐश के लिए पूरे जीवन में भरपूर अवसर मिलते हैं. वर्तमान समय में युवा विद्यार्थियों को रोजगार पर, शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, अर्थात् प्रोद्यौगिकी से सम्बंधित विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए. जो देश की उन्नति में योगदान देने के साथ-साथ रोजगार की असीम संभावनाएं भी बनाती है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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