उत्तर प्रदेश विविध संस्कृति, अनूठी पंरपराओं और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। भारत का यह राज्य देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जिसका कुल क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे भारत का 7.33 फीसदी है। वहीं, पूरे भारत के क्षेत्रफल की बात करें, तो यह 32,87,263 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
भारत का यह प्रदेश देश में सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। प्रदेश के यह जिले अपनी अलग-अलग विशेषताओं की वजह से जाने जाते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला बाघों की भूमि के रूप में जाना जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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उत्तर प्रदेश के कुल जिले
उत्तर प्रदेश के कुल जिलों की बात करें, तो प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। इसके साथ ही प्रदेश चार संभाग में विभाजित है, जो कि पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड है। प्रदेश का सबसे दक्षिणी जिला सोनभद्र, सबसे पूर्वी जिला बलिया, सबसे उत्तरी जिला सहारनपुर और सबसे पश्चिमी जिला शामली है।
उत्तर प्रदेश में बाघों की भूमि
उत्तर प्रदेश में यूं तो 75 जिले हैं, लेकिन इनमें से एक जिला ऐसा भी है, जो कि अपनी विशेष पहचान रखता है। खास बात यह है कि यह जिला किसी वस्तु से नहीं बल्कि, बाघों के लिए जाना जाता है, तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले को हम बाघों की भूमि के रूप में जानते हैं।
क्यों कहा जाता है बाघों की भूमि
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बागपत को ही हम बाघों की भूमि के रूप में क्यों जानते हैं, तो बागपत जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, शहर को पहले व्यग्रप्रस्थ-बाघों की भूमि के रूप में जाना जाता था। इसके नाम को लेकर अलग-अलग कहानियां भी हैं, जिसमें एक कहानी यह भी है कि शहर ने अपना नाम वक्षप्रसथ शब्द से प्राप्त किया है, जिसका अर्थ भाषण देने की जगह होता है। ऐसे शब्दों और संस्करणों से प्रेरित होकर शहर का नाम बाघपत और बाद में बागपत दिया गया और आज यह बागपत नाम से ही जाना जाता है।
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