लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद केंद्र में सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. बता दें की नरेंद्र मोदी 9 जून को शाम 6 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था. यह पीएम मोदी का लगातार तीसरा कार्यकाल होगा. साथ ही बताया जा रहा है कि पीएम मोदी के साथ कई कैबिनेट मंत्रियों के भी शपथ लेने की संभावना है.
बता दें कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अहम बैठक में यह फैसला लिया गया. इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और अन्य एनडीए नेता शामिल हुए. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू ने अपने-अपने राज्यों में क्रमश: 16 और 12 सीटें जीतकर एनडीए को समर्थन दिया है.
यह भी पढ़ें:
कब बनी थी पहली गठबंधन सरकार और कौन बना था प्रधामंत्री?
भारत के कौन-से नेता मुख्यमंत्री या मंत्री रहे बिना सीधे बने प्रधानमंत्री?
रविवार शाम 6 बजे शपथ ग्रहण:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जून को शाम 6 बजे पीएम पद की शपथ लेंगे. उनके साथ कैबिनेट स्तर के कई अन्य नेता भी शपथ लेंगे. बता दें कि भाजपा ने 543 लोकसभा सीटों में से 240 सीटें हासिल कीं जो बहुमत से 32 सीटें कम रह गयी. साल 2019 के चुनावों में पार्टी ने 303 सीटें जीती थी जो इस बार की तुलना में 62 अधिक थी. बता दें की पीएम मोदी को पहले ही गठबंधन का नेता चुन लिया गया था.
चलिये अब जानने की कोशिश करते है कि क्या प्रधानमंत्री की शपथ सांसदों की शपथ से अलग होती है? इस अंतर को विस्तार से समझते है.
प्रधानमंत्री और सांसदों की शपथ में क्या है अंतर?
भारतीय संविधान के अनुसार, देश के प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को राष्ट्रपति शपथ दिलाते है. 18वीं लोक सभा की बात करें तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाएंगी. 9 जून को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में लगातार तीसरी बार शपथ लेंगे. पीएम के शपथ में बाद मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले अन्य सदस्य कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेंगे. बता दें कि सभी नेता संविधान के अनुसार कार्य करने की शपथ लेते है. अब आपको बता दें कि यह शपथ सांसदों के शपथ ग्रहण से अलग होता है.
यह भी देखें: Lok Sabha Election Results 2024: सबसे अधिक और सबसे कम वोटों से जीतने वाले उम्मीदवार कौन है?
सभी निर्वाचित सांसदों को लेनी होती है शपथ:
भारतीय संविधान के अनुसार, संसद के किसी भी सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज करने से पहले निर्वाचित या मनोनीत सदस्यों को शपथ लेनी होती है. राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष निर्वाचित सदस्य शपथ लेते है. सदस्यों को तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रपत्र के अनुसार शपथ लेनी होती है और हस्ताक्षर करना होता है.
आपकी जानकरी के लिए बताते चले कि प्रधानमंत्री और किसी भी मंत्री के पद के शपथ में समय संसद के सदस्य होने की कोई अनिवार्यता नहीं होती है. लेकिन संविधान के नियमों में अनुसार, यह जरुरी है कि अगले छह महीने में पीएम या मंत्री संसद के दोनों सदनों (राज्य सभा और लोकसभा) में से किसी एक का सदस्य बनना जरुरी है.
संसद सदस्य के रूप में पीएम को लेनी होती है शपथ:
पीएम पद की शपथ के बाद, पीएम या मंत्री जिस भी सदन के लिए चुन के आते है उस सदन के सदस्य के रूप में फिर से शपथ लेनी होती है, जो कि अन्य सदन के सदस्यों के शपथ के समान ही होती है. ऐसे में हम कह सकते है कि पीएम दो बार शपथ लेते है. लकिन आपको बता दें कि सदस्य रहे बिना यदि सदन की कार्यवाही होती है तो सदस्यों के सवालों के जवाब के लिए उन्हें उपस्थित होना होगा क्योंकि मंत्रिमंडल लोकसभा और राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी होता है.
यह भी देखें: क्या है ई-श्रम कार्ड? लाभ, पात्रता और ऑनलाइन अप्लाई की सभी डिटेल्स यहां देखें
Comments
All Comments (0)
Join the conversation