Hindi Diwas 2025: भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिन देश में स्कूलों से लेकर कॉलेजों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारत में हिंदी का अधिक बोलबाला है, जो कि उत्तर भारत से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाती है। हिंदी एक ऐसी भाषा है, जहां आपको शब्दों के हेरफेर में सम्मान झलकता हुआ मिलेगा। उदाहरण के तौर पर देखें, तो हिंदी में एक ही व्यक्ति को तू, तुम और आप कहकर पुकारा जा सकता है, लेकिन तीन शब्दों में सम्मान का स्तर अलग है। यही वजह है कि हिंदी सिर्फ भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक भाषा के रूप में भी पहचान रखती है। हालांकि, यदि हिंदी को ध्यान से समझा जाए, तो हिंदी व्याकरण में हिंदी के पांच भेद होते हैं। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
तत्सम शब्द
तत्सम शब्द वे शब्द होते हैं, जो सीधे संस्कृत भाषा से लिए गए हैं। इन शब्दों का रूप ठीक वैसे ही होता है, जैसे कि हमें संस्कृत भाषा में देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर देखें, तो हमें पुस्तक, मनुष्य और मित्र जैसे उदाहरण देखने को मिलते हैं।
तद्भव शब्द
ये वे शब्द होते हैं, जो संस्कृत से लिए गए हैं, लेकिन अपभ्रंश व प्राकृत से होते हुए इनके रूप में बदलाव हुआ और ये हिंदी में पहुंचे। उदाहरण के तौर पर देखें, तो सूर्य का सूरज हुआ, दुग्ध का दूध हुआ और पुष्प का फूल हो गया।
देशज शब्द
देशज शब्द वे होते हैं, जो हिंदी के अपने शब्द हैं। ये शब्द न फारसी,अरबी, पुर्तगाली भाषा से आए हैं और न ही ये संस्कृत भाषा से आए हैं। उदाहरण के तौर पर देखें, तो चुप, उछलना या खटखटाना हिंदी भाषा के शब्द हैं।
विदेशज
ये वे शब्द होते हैं, जो कि विदेशी भाषाएं से आए हैं। इनमें अरबी, फारसी, अंग्रेजी, तुर्की और पुर्तगाली भाषा के शब्द जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर देखें, तो किताब शब्द अरबी का है। वहीं, बाजार शब्द फारसी है। कुर्सी शब्द पुर्तगाली है, तो अफसर शब्द तुर्की से लिया गया है।
अर्द्धतत्सम शब्द
ये वे शब्द होते हैं, जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं। हालांकि, हिंदी में इनका रूप सरल देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर नयन का नैन या फिर मुख का मुंह आदि।
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