भारत द्वारा अफगानिस्तान में बांध का निर्माण क्यों किया जा रहा है और इससे पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

Nov 27, 2020, 09:07 IST

भारत सरकार द्वारा अफगानिस्तान में सामुदायिक विकास परियोजनाओं के चौथे चरण की शुरुआत की जाएगी। इसमें 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लगभग 150 परियोजनाएँ शामिल हैं। 

Shahtoot dam
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 कोविड-19 महामारी की वजह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम 23 से 24 नवंबर 2020 तक जिनेवा में 'अफगानिस्तान सम्मेलन 2020' का आयोजन से किया गया। इस साल सम्मेलन का विषय शांति, समृद्धि और आत्मनिर्भरता था।

इस अवसर पर भारत ने अफगानिस्तान में विकास कार्यों के लिये 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लगभग 150 परियोजनाओं की घोषणा की है।

अफगानिस्तान सम्मेलन हर चार साल बाद आयोजित किया जाता है। 

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस सम्मेलन की सह-मेजबानी संयुक्त राष्ट्र, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान और फ़िनलैंड सरकार ने की।

भारत सरकार द्वारा सामुदायिक विकास परियोजनाओं के चौथे चरण की शुरुआत की जाएगी। इसमें 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लगभग 150 परियोजनाएँ शामिल हैं। 

इसके साथ ही भारत ने काबुल नदी पर शहतूत बांध के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस बांध के बनने के बाद काबुल शहर के 20 लाख निवासियों को स्वच्छ जल प्रदान करेगा। 
 
पाकिस्तान द्वारा विरोध

शहतूत बांध के निर्माण को लेकर पाकिस्तान द्वारा लगातार विरोध दर्ज किया जा रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि इस बांध के बनने के बाद उसके  यहां की नदियों के जल प्रवाह में कमी आएगी क्योंकि यह प्रोजेक्ट काबुल नदी की एक अहम सहायक नदी पर बनाया जाना है। बता दें कि काबुल नदी हिंदूकुश पर्वत के संगलाख क्षेत्र से निकलती है और काबुल, सुरबी और जलालाबाद होते हुए पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा चली जाती है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि कई संस्थाएं साल 2025 तक  पाकिस्तान में भयंकर जल संकट का अनुमान लगा चुकी हैं।

पूर्व में भारत द्वारा प्रदान की गईं सहायताएं:

1- साल 2002 से लेकर अब तक भारत ने अफगानिस्तान के विकास और पुन: र्निर्माण की दिशा में 3 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की है।

2- साल 2009 में काबुल शहर को बिजली पहुचाने के लिए भारत ने अफगानिस्तान में 202 किलोमीटर की फुल-ए-खुमरी ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया था।

3- COVID-19 महामारी से निपटने के लिये भारत ने अफगानिस्तान को अब तक 20 टन दवाइयॉ और अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ 75,000 टन गेहूँ की सहायता प्रदान की है।

आपको बता दें कि साल 1996 से लेकर 2001 तक भारत ने अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान कोई निवेश नहीं किया था। 

भारत-अफगानिस्तान के संबंध

साल 1990 के अफगान गृहयुद्ध के बाद तालिबान सत्ता में आ गया और भारत-अफगानिस्तान के बीच संबंध कमज़ोर होते चले गए। साल 2001 में तालिबानी शासन खत्म होने के बाद साल 2002 से भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय और पुन: र्निर्माण के लिए सहायता प्रदान की। 

मौदूजा दौर की बात की जाए तो भारत और अफगानिस्तान के संबंध बेहद मज़बूत और मधुर हैं। अफगानिस्तान जितना अपने तात्कालिक पड़ोसी पाकिस्तान के निकट नहीं है, उससे कहीं अधिक निकटता उसकी भारत के साथ है। भारत अफगानिस्तान में अरबों डॉलर लागत वाले कई मेगा प्रोजेक्ट्स पूरे कर चुका है और कुछ पर अभी भी काम चल रहा है। 

भारत एक शांतिपूर्ण, समृद्ध, संप्रभु, लोकतांत्रिक और एकजुट अफगानिस्तान की दिशा में काम करने हेतु अफगानिस्तान के लोगों तथा विश्व समुदाय के साथ हाथ-से-हाथ मिलाकर चलने के लिये तत्त्पर है। 

Arfa Javaid
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Content Writer

Arfa Javaid is an academic content writer with 2+ years of experience in in the writing and editing industry. She is a Blogger, Youtuber and a published writer at YourQuote, Nojoto, UC News, NewsDog, and writers on competitive test preparation topics at jagranjosh.com

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