भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है. ज्ञातव्य है कि भारत के पहले लोकसभा चुनाव में 173 मिलियन लोगों ने वोट डाले थे जो कि 2019 में बढ़कर 900 मिलियन हो गये हैं. बीते सालों में महंगाई में वृद्धि हुई है जिसके कारण चुनाव सामग्री बनवाने की लागत भी बढ़ गयी है. ऐसे समय में चुनाव आयोग ने लोक सभा और विधान सभा चुनावों में खर्च की सीमा को वर्ष 2014 में बढ़ा दिया था.
चुनाव में धन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव आचार संहिता, 1961 के नियम 90 में संशोधन करके चुनाव में खर्च की सीमा निर्धारित की है.
बड़े राज्यों में लोक सभा चुनावों में खर्च की सीमा 70 लाख रुपये और छोटे राज्यों में 54 लाख रुपये है. विधान सभा में चुनाव के लिए बड़े राज्यों में चुनाव खर्च की अधित्तम सीमा 16 लाख से बढाकर 28 लाख रुपये कर दी गयी है.
बड़े राज्यों में शामिल हैं;
1. उत्तर प्रदेश
2. महाराष्ट्र
3. तमिलनाडु
4. पश्चिम बंगाल
5. कर्नाटक
6. बिहार
7. मध्य प्रदेश आदि
अब तक के सभी लोकसभा चुनावों में किस पार्टी को कितनी सीटें मिली हैं?
छोटे राज्यों में शामिल हैं;
1. गोवा
2. सिक्किम
3. अरुणाचल प्रदेश
4. दिल्ली को छोड़कर सभी केंद्र शासित प्रदेश
चुनाव खर्च के मुख्य कारक हैं;
1. सार्वजनिक बैठक और जुलूस पर खर्च,
2. इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से विज्ञापन पर खर्च
3. रैली कार्यकर्ताओं पर खर्च
4. वाहनों पर खर्च
5. अभियान सामग्री पर व्यय
विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उनकी चुनाव खर्च सीमा इस प्रकार है;
राज्य / संघ राज्य क्षेत्र का नाम | किसी एक चुनाव में खर्च की अधिकतम सीमा | |
संसदीय क्षेत्र में खर्च | विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में खर्च | |
1. आंध्र प्रदेश | 70,00,000 | 28,00,000 |
2. अरुणाचल प्रदेश | 54,00,000 | 20,00,000 |
3. असम | 70,00,000 | 28,00,000 |
4. बिहार | 70,00,000 | 28,00,000 |
5. छत्तीसगढ़ | 70,00,000 | 20,00,000 |
6. गोवा | 54,00,000 | 28,00,000 |
7. गुजरात | 70,00,000 | 28,00,000 |
8. हरियाणा | 70,00,000 | 28,00,000 |
9. हिमाचल प्रदेश | 70,00,000 | 28,00,000 |
10. जम्मू और कश्मीर | 70,00,000 | 28,00,000 |
11. झारखंड | 70,00,000 | 28,00,000 |
12. कर्नाटक | 70,00,000 | 28,00,000 |
13. केरल | 70,00,000 | 28,00,000 |
14. मध्य प्रदेश | 70,00,000 | 28,00,000 |
15. महाराष्ट्र | 70,00,000 | 28,00,000 |
16. मणिपुर | 70,00,000 | 20,00,000 |
17. मेघालय | 70,00,000 | 20,00,000 |
18. मिजोरम | 70,00,000 | 20,00,000 |
19. नागालैंड | 70,00,000 | 20,00,000 |
20. उड़ीसा | 70,00,000 | 28,00,000 |
21. पंजाब | 70,00,000 | 28,00,000 |
22. राजस्थान | 70,00,000 | 28,00,000 |
23. सिक्किम | 54,00,000 | 20,00,000 |
24. तमिलनाडु | 70,00,000 | 28,00,000 |
25. त्रिपुरा | 70,00,000 | 20,00,000 |
26. उत्तर प्रदेश | 70,00,000 | 28,00,000 |
27. उत्तराखंड | 70,00,000 | 28,00,000 |
28. पश्चिम बंगाल | 70,00,000 | 28,00,000 |
29. तेलंगाना | 70,00,000 | 28,00,000 |
केंद्र शासित प्रदेश | ||
केंद्र शासित प्रदेश का नाम | किसी एक चुनाव में खर्च की अधिकतम सीमा | |
संसदीय क्षेत्र में खर्च | ||
1. अंडमान और निकोबार | 54,00,000 | |
2. चंडीगढ़ | 54,00,000 | |
3. दादरा और नगर हवेली | 54,00,000 | |
4. दमन और दीव | 54,00,000 | |
5. दिल्ली | 70,00,000 | |
6. लक्षद्वीप | 54,00,000 | |
7. पुदुचेरी | 54,00,000 |
उपर्युक्त लेख से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि चुनाव की लागत में “दिन दूनी और रात चौगुनी वृद्धि” हो रही है जो कि लोकतंत्र के स्वस्थ विकास के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इस तरह के चुनाव केवल अमीरों द्वारा जीते जायेंगे और देश की जनसँख्या का एक बड़ा वर्ग बिना प्रतिनिधि के रह जायेगा.
सन 1952 से अब तक लोकसभा चुनाव में प्रति मतदाता लागत कितनी बढ़ गयी है?
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