भारत में हींग का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौनसा है? उत्तर में है स्थित

Sep 9, 2025, 17:43 IST

हिमाचल प्रदेश भारत में हींग (asafoetida) का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह इस मसाले की देश में पहली बार हो रही घरेलू खेती का नेतृत्व कर रहा है। जानें कि भारत में हींग की खेती कैसे शुरू हुई, इसके लिए कैसी जलवायु की जरूरत होती है, और इसका सांस्कृतिक और औषधीय महत्व क्या है।

हिमाचल प्रदेश भारत में हींग (asafoetida) का सबसे बड़ा और वर्तमान में एकमात्र महत्वपूर्ण उत्पादक है। सदियों से भारत हींग के आयात के लिए पूरी तरह से अफगानिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान पर निर्भर रहा है। लेकिन, 2020 में CSIR–IHBT (इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी) ने हिमाचल प्रदेश के ठंडे रेगिस्तानी इलाके, लाहौल और स्पीति में भारत का पहला हींग खेती प्रोजेक्ट शुरू किया। इस इलाके की जलवायु मध्य एशिया में हींग की खेती के लिए जरूरी प्राकृतिक परिस्थितियों से काफी मिलती-जुलती है।

भारत में हींग का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य

हींग उत्पादन में हिमाचल प्रदेश पहले स्थान पर है। यह फेरुला ऐसाफोइटिडा (Ferula asafoetida) पौधे की खेती शुरू करने वाला पहला राज्य है, जिससे यह तीखी गंध वाला मसाला तैयार होता है। हाल तक, भारत अपनी सालाना लगभग 1,200 टन की मांग का 90% से ज्यादा हिस्सा आयात करता था। लेकिन हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाकों में हींग की खेती सफल होने के बाद, अब भारत का नाम भी दुनिया के हींग उत्पादक देशों में शामिल हो गया है।

हिमाचल प्रदेश में कितना हींग उत्पादन होता है?

2024 तक, हिमाचल प्रदेश में 300 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर हींग की खेती की जा चुकी है। यह खेती मुख्य रूप से लाहौल घाटी में हुई है। इस मसाले की फसल को कटाई के लिए तैयार होने में 5 साल लगते हैं, इसलिए 2025 से बड़े पैमाने पर उत्पादन की उम्मीद है। सरकार की योजना हींग की खेती को 750 हेक्टेयर से ज्यादा तक बढ़ाने की है। इसका लक्ष्य अगले कुछ सालों में उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है।

भारत में हींग के बारे में रोचक तथ्य

1. भारत का लंबा आयात इतिहास

भारत 600 से ज्यादा सालों से हींग का आयात कर रहा है। वह अफगानिस्तान और ईरान जैसे देशों से आयात पर हर साल 900 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करता है।

2. ठंडे रेगिस्तान की फसल

हींग गर्म जलवायु में नहीं उग सकती। यह ठंडे रेगिस्तानी वातावरण में अच्छी तरह से उगती है, इसलिए हिमाचल, उत्तराखंड और लद्दाख के कुछ हिस्से इसकी खेती के लिए सबसे सही हैं।

3. तैयार होने में लगते हैं 5 साल

फेरुला के पौधे को पूरी तरह से बड़ा होने और गोंद जैसा रस देने में लगभग 5 साल लगते हैं। इससे यह किसानों के लिए एक लंबी अवधि की लेकिन ज्यादा मूल्य वाली फसल बन जाती है।
4. औषधीय गुण

आयुर्वेद में हींग का इस्तेमाल पाचन, सांस से जुड़ी समस्याओं और सूजन कम करने वाले फायदों के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।

5. भारत में हींग की मांग

भारत में हर साल लगभग 1,500 टन हींग की खपत होती है। इसका इस्तेमाल दाल और सब्जियों से लेकर अचार और पापड़ तक, हर चीज में किया जाता है।

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Bagesh Yadav
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