कार्य, शक्ति और ऊर्जा का संक्षिप्त विवरण

Dec 16, 2016, 10:20 IST

कार्य का होना तब माना जाता है जब वस्तु पर बल लगाने से वस्तु में गति उत्पन्न होती है और कार्य करने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है| हम जो भोजन करते हैं, उससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है और यदि कार्य मशीन द्वारा किया जाता है तब ऊर्जा की आपूर्ति ईंधन या बिजली द्वारा की जाती है| इस लेख में हम कार्य, शक्ति और ऊर्जा का संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं जिसमें उनकी कार्यप्रणाली, सूत्रों और एक-दूसरे के बीच के संबंध का वर्णन किया गया है, जो विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए काफी उपयोगी है|

जब कभी बल वस्तु को गतिशील बनाता है, तब कहा जाता है कि कार्य पूरा हुआ| लेकिन कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है| मनुष्यों या पशुओं को कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति भोजन द्वारा होती है जबकि मशीनों को कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति इंधनों या बिजली द्वारा होती है| इसलिए, हम कह सकते हैं कि जब कार्य होता है तब समान मात्रा में ऊर्जा का भी उपयोग किया जाता है| इस लेख में हम कार्य, शक्ति और ऊर्जा का संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं जिसमें उनकी कार्यप्रणाली, सूत्रों और एक-दूसरे के बीच के संबंध का वर्णन किया गया है, जो विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए काफी उपयोगी है|

कार्य (Work)

जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाने से उस वस्तु का बल की दिशा में विस्थापन (गति उत्पन्न होना) होता है तब माना जाता है कि कार्य (work) हुआ है| उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति किसी कार्यालय या घर की सीढ़ियां चढ़ता है, तब कहा जाता है कि कार्य हुआ है क्योंकि वह गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत गतिशील होता है|

मूलतः, किसी बल द्वारा किया गया कार्य दो कारकों पर निर्भर करता है:

(i) बल की मात्रा

(ii) दूरी (जिसके जरिए वस्तु बल की दिशा में गतिशील होता है)

इसलिए, कार्य को बल एवं बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल द्वारा मापा जाता है| यह एक अदिश (scalar quantity) राशि है और इसका SI मात्रक जूल (joule) होता है|

कार्य = बल X दूरी (बल की दिशा में तय की गई दूरी)

या कार्य (Work) = F X S 

- जब किसी वस्तु पर F बल लगाने से वह S दूरी तक विस्थापित होती है, तब

Source:www.cdn1.askiitians.com

कार्य (W) = F S Cosθ

जहां θ = बल और विस्थापन के बीच का कोण है

नोट: कार्य करने हेतु किसी बल के लिए शर्त होती है कि वह उस वस्तु में गति पैदा करे अर्थात यदि तय की गई दूरी शून्य है तो किसी वस्तु पर किया गया कार्य भी शून्य होता है| उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी दीवार को धक्का देता है और वह दीवार स्थिर रहती है, तब उस व्यक्ति द्वारा दीवार पर किया गया कार्य शून्य कहलाएगा क्योंकि दीवार में कोई गति उत्पन्न नहीं होती है| लेकिन व्यक्ति द्वारा खुद के शरीर पर किया गया कार्य शून्य नहीं होगा क्योंकि दीवार को धक्का देने के दौरान व्यक्ति ने ऊर्जा का प्रयोग किया, जिसके कारण उसकी मांसपेशियों में खिंचाव हुआ और उसने थकान महसूस की|

इसे हम एक और उदाहरण से समझते हैं- यदि कोई व्यक्ति अपने हाथों में भारी सूटकेस लेकर बस स्टॉप पर स्थिर खड़ा है, तो संभवतः वह जल्द थक जाएगा लेकिन इस स्थिति में वह कार्य नहीं कर रहा है क्योंकि व्यक्ति द्वारा उठाया गया सूटकेस बिलकुल भी गतिशील नहीं है|  

इसलिए, अब यह स्पष्ट है कि किसी वस्तु पर सिर्फ बल लगाने से कार्य नहीं होता है| कार्य तभी होता है जब बल लगाने से वस्तु गतिशील होती है|   

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गुरुत्वाकर्षण के विपरीत यदि कार्य किया जाए तो क्या होगा?

जब कभी गुरुत्वाकर्षण के विपरीत कार्य किया जाता है तो किए गए कार्य की मात्रा वस्तु के वजन और जिस माध्यम के द्वारा वस्तु को उठाया जाता है, उसकी ऊर्ध्वाधर दूरी के गुणनफल के समान होता है|

किसी वस्तु को उठाने में किया गया कार्य = वस्तु का वजन x ऊर्ध्वाधर दूरी

W = m x g x h

जहां  W = किया गया कार्य

     m = वस्तु का द्रव्यमान

     g = गुरूत्वीय त्वरण

     h = उंचाई (जहाँ तक वस्तु को उठाया गया)

ऊर्जा (Energy)

किसी वस्तु द्वारा कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं| ऊर्जा एक अदिश राशि है अर्थात इसमें सिर्फ परिमाण होता है दिशा नहीं होती है| इसका SI मात्रक जूल है|

1 जूल कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को 1 जूल ऊर्जा कहते हैं|  

1 किलोजूल (KJ) = 1000 जूल (J)

कार्य या ऊर्जा के मात्रक के रूप में जूल का नाम ब्रिटिश भौतिकशास्त्री जेम्स प्रेस्कॉट जूल के नाम पर रखा गया है|

- किसी वस्तु द्वारा खुद पर किए गए कार्य से उत्पन्न ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं| यह दो प्रकार का होता है:

(i) स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)

(ii) गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)

Source: www.petervaldivia.com

स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy): अपने स्थान या आकार की वजह से किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता या किसी वस्तु की स्थिति या आकार की वजह से उसमें उत्पन्न ऊर्जा को हम स्थितिज ऊर्जा कहते हैं| उदाहरण के लिए– संकुचित धागे की ऊर्जा, ऊंचाई पर एकत्रित जल की ऊर्जा, एक घड़ी में लगे स्प्रिंग की ऊर्जा आदि|

- जमीन से उपर अपनी स्थिति की वजह से किसी वस्तु में उत्पन्न ऊर्जा को गुरूत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं|

- वस्तु के आकार और आकृति में बदलाव की वजह से उत्पन्न ऊर्जा को प्रत्यास्थ (elastic) स्थितिज ऊर्जा कहते हैं|

- पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा mgh होती है|

जहां  m = द्रव्यमान, g = गुरूत्वीय त्वरण, h = पृथ्वी के सतह से वस्तु की ऊंचाई है|

गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy): किसी वस्तु में उसकी गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं| यदि m द्रव्यमान की वस्तु v गति से गतिशील है तो वस्तु की गतिज ऊर्जा 1/2mv2 होगी|

उपरोक्त सूत्र से यह स्पष्ट है कि:

- यदि वस्तु का द्रव्यमान दोगुना हो जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा भी दुगुनी हो जाएगी| 

- यदि वस्तु का द्रव्यमान आधा हो जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा आधी रह जाएगी|

- यदि वस्तु का वेग दुगुना कर दिया जाए, तो उसकी गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी|

- यदि वस्तु का वेग आधा कर दिया जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा एक चौथाई रह जाएगी|

गतिज ऊर्जा और संवेग के बीच संबंध

K.E = p2/2m जहां p = संवेग = mv

उपरोक्त समीकरण से स्पष्ट है कि संवेग को दुगुना करने पर गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी|

शक्ति (Power)

कार्य करने की दर को शक्ति (Power) कहते हैं| यह एक अदिश राशि है|  

शक्ति = किया गया कार्य/ कार्य करने में लगा समय

या  P = W/t

जहां P = शक्ति

    W = किया गया कार्य

    t = कार्य करने में लगा समय

इसके अलावा, जब कार्य होता है तो उसमें कार्य के बराबर मात्रा में ऊर्जा खर्च होती है| इसलिए, शक्ति को ऊर्जा की खपत या उपयोग के दर के रूप में भी परिभाषित किया जाता है| 

शक्ति = ऊर्जा खपत/ ऊर्जा खपत करने में लगा समय

या P = E/t

जहां P = शक्ति

    E = उपयुक्त ऊर्जा

    t = ऊर्जा खपत करने में लगा समय

शक्ति का SI मात्रक वाट (W) होता है|

एक वाट किसी उपकरण की वह शक्ति होती है जिसके कारण वह 1 जूल प्रति सेकेंड की दर से कार्य करता है| 

1 वाट = 1 जूल/सेकेंड

या 1W = 1 J/s

1 किलोवाट (KW) = 103 वाट (watt)

1 मेगावाट (MW) = 106 वाट (watt)

अश्व शक्ति (Horse power) शक्ति की एक अन्य इकाई है जो 746 वाट के बराबर होती है अर्थात 1 अश्व शक्ति (horse power) लगभग 0.75 किलोवाट (0.75 KW) के बराबर होती है|

1 वाट सेकेंड = 1 वाट x 1 सेकेंड

1 वाट घंटा (Wh) = 3600 जूल

1 किलोवाट घंटा (kWh) = 3.6 x 106 जूल

ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत

ऊर्जा का न तो निर्माण होता है और न ही उसका विनाश होता है| ऊर्जा को सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है| जब कभी एक रूप में ऊर्जा का उपयोग होता है, तो दूसरे रूप में समान मात्रा में ऊर्जा उत्पादित होती है| इसलिए, ब्रह्मांड की कुल ऊर्जा नियत बनी रहती है|

ऊर्जा रूपान्तरण के कुछ उपकरण निम्न हैं:

क्र. सं.

उपकरण

ऊर्जा का रूपान्तरण

1

डायनेमो

यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में

2

मोमबत्ती

रसायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में

3

माइक्रोफोन

ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में

4

लाउडस्पीकर

विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में

5

सौर सेल

सौर ऊर्जा/प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में

6

ट्यूबलाइट

विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा एवं ऊष्मा ऊर्जा में

7

बिजली का बल्ब

विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा एवं ऊष्मा ऊर्जा में

8

बैट्री

रसायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में

9

बिजली का मोटर

विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में

10

सितार

यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कार्य को समझने से कई भौतिक स्थितियों को बहुत हद तक सरल बनाया जा सकता है| चूंकि यह हमें दूरी और समय के साथ बल का मूल्यांकन करने में सक्षम बनाता है| इसके अलावा, यह न सिर्फ दी गई वस्तु पर कार्य करने वाले बल को समझने में बल्कि पूरी प्रक्रिया में उस वस्तु के साथ क्या होता है, उसके बारे में व्यापक समझ प्रदान करता है|

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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