स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता (पश्चिम बंगाल) में हुआ था . वे वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उनको 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में दिए गए भाषण के कारण पूरी दुनिया में एक अलग ही पहचान मिली है .
स्वामी जी के बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था और पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे. रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य रहे विवेकानन्द को सम्मानित करने के लिए 12 जनवरी को विश्व युवा दिवस मनाया जाता है.
जानें स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कैसे हुई थी
इस लेख में आपको स्वामी विवेकानन्द द्वारा बोले गए 10 सबसे प्रेरणादायक कथनों के बारे में बताया गया है .
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1. “उठो,जागों और तब तक मत रुको जब तक कि तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये”.
2. “दिन में एक बार स्वयं से बात जरूर करो अन्यथा आप संसार के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति से मिलने से चूक जायेंगे".
3. “हमारे देश को नायकों की जरुरत हैं, नायक बनो, तुम अपना कर्तव्य करते जाओ, तुम्हारे अनुसरण कर्ता खुद बढ़ जायेंगे".
4. “कुछ सच्चे, ईमानदार और ऊर्जावान पुरुष और महिलाएं एक वर्ष में एक सदी की भीड़ से भी अधिक कार्य कर सकते हैं”.
5. “मृत्यु तो निश्चित हैं, एक अच्छे काम के लिये मरना सबसे बेहतर हैं”.
6. "पहली बार में बड़ी योजनाओं को मत बनाओ, लेकिन, धीरे-धीरे शुरू करो, अपने पैर जमीन पर रखकर आगे और आगे की तरफ बढ़ते रहो".
7. “धन पाने के लिये कड़ा संघर्ष करो पर उससे लगाव मत करो.
8. छल और पाखंड के माध्यम से किसी भी बड़े लक्ष्य को प्राप्त नही क्या जा सकता है बल्कि इसे प्यार, जूनून और असीमित ऊर्जा के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है .
9. “आप भगवान में तब तक विश्वास नहीं कर सकते जब तक कि आप खुद में विश्वास नहीं करते”.
10. "जो आप पर भरोसा करते हैं उनके साथ कभी भी धोखा न करें".
स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस पर ही क्यों राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है?
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