भारत के 5 सबसे अनोखे रेलवे स्टेशन, जानें इनमें से किस स्टेशन के लिए लेना पड़ता है वीजा

भारत में यात्रा करने के शौकिन कई लोगों के लिए पहली पसंद ट्रेन यात्रा होती है, जो कि देश के विभिन्न खूबसूरत जगहों से गुजरती हुई अलग-अलग स्टेशनों पर रूककर वहां के इतिहास, स्वाद, भाषा और संस्कृति से रूबरू कराती है। देश में 7000 से ज्यादा रेलवे स्टेशन हैं। कई रेलवे स्टेशन अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं तो कई अपने लंबे प्लेटफॉर्म के लिए मशहूर है। आइये इस लेख में भारत के 5 अनोखे रेलवे स्टेशनों के बारे में जानते हैं.
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भारत के 5 सबसे अनोखे रेलवे स्टेशन
1. नवापुर रेलवे स्टेशन (Navapur Railway Station)
महाराष्ट्र के नंदुरबार (Nandurbar) जिले में एक तालुका मुख्यालय नवापुर में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जो दो राज्यों में स्थित है। इस स्टेशन का एक हिस्सा महाराष्ट्र में, जबकि दूसरा हिस्सा गुजरात में आता है और इसकी यह खासियत इसे अन्य रेलवे स्टेशनों से अलग बनाती है। यही वजह है कि इस स्टेशन पर बेंच पर बैठते वक्त लोग ध्यान देते हैं कि वे किस राज्य में बैठे हैं, क्योंकि बेंच के आधे हिस्से में महाराष्ट्र लिखा हुआ है और आधे में गुजरात। यही नहीं स्टेशन पर घोषणाएं भी चार भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, मराठी और गुजराती में होती है।
नवापुर रेलवे स्टेशन का टिकट काउंटर और पुलिस स्टेशन महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में स्थित है, जबकि तापी जिले में गुजरात की ओर प्रतीक्षालय, शौचालय और स्टेशन मास्टर का कार्यालय बना हुआ है।
इसके पीछे कारण बताया जाता है कि जब इस स्टेशन का निर्माण हुआ था, तब महाराष्ट्र और गुजरात एक ही राज्य हुआ करते थे। ये स्टेशन संयुक्त मुंबई प्रांत का हिस्सा था। मुंबई प्रांत का विभाजन 1 मई, 1960 को हुआ तो दो राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में विभाजित हो गया। इस बंटवारे में नवापुर स्टेशन आया और अपनी अलग पहचान बना ली।
2. भवानी मंडी (Bhawani Mandi)
भारत में भवानी मंडी स्टेशन एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जिसमें ट्रेन का इंजन एक राज्य में तो ट्रेन के गार्ड का डिब्बा दूसरे राज्य में होता है। यह रेलवे स्टेशन दो राज्यों राजस्थान और मध्यप्रदेश के अंतर्गत आता है। इस रेलवे स्टेशन के एक छोर पर राजस्थान तो दूसरे छोर पर मध्यप्रदेश का बोर्ड लगा हुआ है। ये रेलवे स्टेशन दो राज्यों की सीमा पर बना हुआ है। इसकी ख़ास बात यह है कि इस स्टेशन का बुकिंग काउंटर मध्य प्रदेश के मंदसोर जिले में है तो दूसरी और स्टेशन में प्रवेश का रास्ता और वेटिंग रूम, राजस्थान के झालावाड़ जिले में है. सबसे अनोखी बात इस स्टेशन की यह है कि यहां पर टिकट की लाइन मध्यप्रदेश में शुरू होती है और लोग राजस्थान तक खड़े होते हैं.
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3. बेनाम रेलवे स्टेशन (A Railway station without name)
क्या आपने कभी बिना नाम के रेलवे स्टेशन के बारे में सुना है? या ऐसे स्टेशन के बारे में सुना हो जो बिना किसी नाम के पूरी तरह कार्यात्मक हो.
पश्चिम बंगाल के बर्धवान (Burdwan) जिले के रैना गांव में आपका स्वागत है. बर्धवान टाउन से लगभग 35 किलोमीटर दूर बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर भारतीय रेलवे ने 2008 में यहां एक नया स्टेशन का निर्माण किया था. लेकिन, जब से यह अस्तित्व में आया है, तब से इसे बिना नाम के स्टेशन के रूप में जाना जाने लगा है.
उस वक्त इस स्टेशन को नाम भी दिया गया था और वो नाम था रैनागढ़, लेकिन रैना गांव के लोगों को यह नाम पसंद नहीं आया और उन्होंने रेलवे बोर्ड से इसके बारे में शिकायत कर दी. तब से इस स्टेशन के नाम पर कोई फैसला नहीं आया है और ना ही इस स्टेशन को कोई नाम मिला.
4. झारखंड का बेनाम स्टेशन
झारखंड की राजधानी रांची से टोरी जाने वाली ट्रेन भी एक बेनाम स्टेशन से होकर गुजरती है. यहां पर किसी भी प्रकार का कोई साइन बोर्ड भी देखने को नहीं मिलेगा.
जब इस स्टेशन से 2011 में पहली बार ट्रेन का परिचालन हुआ, तो रेलवे ने इसका नाम बड़कीचांपी रखने का सोचा था, लेकिन इसपर कमले गाँव का विरोध करने पर यह स्टेशन बेनाम ही रह गया. उन लोगों का कहना था कि इस रेलवे स्टेशन को बनाने के लिए उनके गाँव की जमीन और मजदूर लगे थे, इसलिए इस गाँव का नाम कमले स्टेशन होना चाहिए. इस प्रकार इस विवाद के बाद आज भी इस स्टेशन को कोई नाम नहीं मिला है.
5. अटारी (Atari)
भारत में एक ऐसा इकलौता रेलवे स्टेशन है, जहां वीजा होना अनिवार्य है और इस रेलवे स्टेशन का नाम अटारी है. ये स्टेशन अमृतसर का अटारी रेलवे स्टेशन है. इस स्टेशन पर जाने के लिए पाकिस्तानी वीजा का होना अनिवार्य कर दिया गया है. यह स्टेशन भारत पकिस्तान की सीमा पर स्थित है और इस कारण से यह हमेशा सुरक्षा बलों की सख्त निगरानी में रहता है. यदि कोई बिना वीजा के यहाँ पकड़ा जाता है, तो उस पर 14 फोरन एक्ट के तहत मामला दर्ज होता है.
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