पीएनएस गाजी एक पाकिस्तानी नौसैनिक पनडुब्बी थी, जिसका इस्तेमाल बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए नौसैनिक युद्ध में किया गया था, इसलिए इस युद्ध को “गाजी हमला” (Ghazi Attack) के रूप में जाना जाता है। इसे आईएनएस विक्रांत का पता लगाने के लिए तथा विशाखापत्तनम में स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी कमान को नष्ट करने के लिए पूर्वी पाकिस्तान के तट (जोकि अब बांग्लादेश का पूर्वी तट है) पर तैनात किया गया था।
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पाकिस्तान के नौसेना कमान में पीएनएस गाजी कैसे आया?
टेंच श्रेणी के डीजल एवं इलेक्ट्रिक पनडुब्बी “यू.एस.एस. डिएब्लो (SS-479)” पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के पास था, जिसे “सुरक्षा सहायता कार्यक्रम” (SAP) के तहत 1963 में पाकिस्तान को लीज पर दिया गया था। इसके बाद इसका नाम “पीएनएस गाजी” रखा गया, जोकि पाकिस्तानी नौसेना का पहला विध्वंसक पनडुब्बी था।
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पाकिस्तानी नौसेना में पीएनएस गाजी का सेवाकाल
पीएनएस गाजी को 1964 में पाकिस्तानी नौसेना में शामिल किया गया थाl 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में इसे आईएनएस विक्रांत (भारत का एकमात्र विमानवाहक युद्धपोत) पर नजर रखने के लिए कराची तट पर तैनात किया गया थाl लेकिन जब आईएनएस विक्रांत को विशाखापत्तनम तट पर स्थानांतरित कर दिया गया तो मजबूरन पाकिस्तान को पीएनएस गाजी को बंगाल की खाड़ी में पूर्वी पाकिस्तान तट पर तैनात करना पड़ाl
गाजी हमले की घटना और भारतीय नौसेना की प्रतिक्रिया
गाजी हमले की घटना की शुरूआत उस समय हुई थी, जब पाकिस्तानी नौसेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तैयार किए गए 14 टारपीडो द्वारा आईएनएस ब्रह्मपुत्र को आईएनएस विक्रांत समझकर उस पर हमला किया थाl लेकिन इस हमले से आईएनएस ब्रह्मपुत्र को अधिक क्षति नहीं हुआl
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1971 में, आईएनएस विक्रांत को विशाखापट्टनम बंदरगाह पर स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके कारण पाकिस्तानी नौसेना कमांडरों के बीच असुरक्षा पैदा हो गया और उन्होंने आईएनएस विक्रांत को ध्वस्त करने के लिए पीएनएस गाजी को 3,000 मील (4,800 किलोमीटर से अधिक) की दूरी तय कर अरब सागर से बंगाल की खाड़ी में भेज दियाl
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पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी के डूबने का कारण क्या था?
भारतीय नौसेना को स्थानीय मछुआरों द्वारा श्रीलंका के तट पर पीएनएस गाजी की मौजूदगी की जानकारी मिली, जिसके बारे में आईएनएस अक्षय द्वारा तेल की परत को देख कर अनुमान लगाया गया था। इसके बाद नौसैनिक बेड़े के गोताखोरों ने 300 फीट से अधिक लंबाई की पनडुब्बी की पुष्टि कीl इस जानकारी से भारतीय नौसेना का पूर्वी कमान दंग रह गया, क्योंकि उन्हें पता था कि पाकिस्तान के पास सिर्फ चार पनडुब्बियां हैं और बेड़े में 300 फीट से अधिक लम्बाई की केवल एक पनडुब्बी पीएनएस गाजी हैl
अतः भारतीय नौसेना ने पीएनएस गाजी को तहस-नहस करने के लिए लेफ्टिनेंट कोमोडोर (एसडीजी) इंदर सिंह के नेतृत्व में आईएनएस राजपूत (मिसाइल विध्वंसक) नामक पनडुब्बी को बंदरगाह से चुपचाप निकलने का आदेश दियाl 4 दिसंबर 1971 को आईएनएस राजपूत और पीएनएस गाजी के बीच हुए नौसैनिक हमले में पीएनएस गाजी डूब गया, लेकिन इस करवाई में आईएनएस राजपूत की संरचना को काफी गंभीर क्षति पहुंची थीl
गाजी हमले की अनकही कहानी
आईएनएस राजपूत को पीएनएस गाजी को गुमराह करने के लिए रवाना किया गया था, जोकि वास्तव में आईएनएस राजपूत के लिए एक आत्मघाती मिशन थाl इसका कारण यह था कि आईएनएस राजपूत, पीएनएस गाजी की सैन्य एवं विध्वंसक क्षमता के कारण उसके सामने कहीं नहीं ठहरता था, लेकिन उसे आईएनएस विक्रांत की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के सामने चारा के रूप में पेश किया गया थाl
आईएनएस राजपूत द्वारा अत्यधिक वायरलेस सिग्नल के माध्यम से पीएनएस गाजी के उन शक्तिशाली हथियारों को गुमराह किया गया, जो उन्हें काफी मजबूत बनाता थाl इसी बीच अपने खानों में हुए आकस्मिक विस्फोट के कारण पीएनएस गाजी स्वतः नष्ट हो गया और समुद्र की गहराइयों में डूब गयाl इस तरह पीएनएस गाजी को डूबोने में आईएनएस राजपूत के डेप्थ चार्जरों का कोई योगदान नहीं थाl
1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 90 लोगों के साथ पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस गाजी के डूबने की घटना को भारत की पहली सबसे प्रभावशाली सैन्य विजय में से एक माना जाता है। वर्तमान समय में पनडुब्बी पीएनएस गाजी विशाखापत्तनम बंदरगाह से करीब 1.5 समुद्री मील की दूरी पर समुद्र में स्थित है, जो बंदरगाह के काफी करीब है। जहाजों को मलबे से बचने में मदद करने के लिए और भारत की नौसैनिक महिमा का बखान करने के उद्देश्य से नौपरिवहन मानचित्र (navigational maps) पर इस स्थान को चिह्नित किया गया है।
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