न्यूट्रोपेनिया क्या है और यह कैसे होता है?

Jun 25, 2018, 17:25 IST

न्यूट्रोपेनिया एक रक्त की स्थिति है जो कि न्युट्रोफिल की कमी होने के कारण होती है. पर्याप्त न्युट्रोफिल के बिना, मनुष्य का शरीर बैक्टीरिया से लड़ नहीं सकता है. न्यूट्रोपेनिया होने के कारण कई प्रकार के संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से न्यूट्रोपेनिया क्या है, कैसे होती है, इसके लक्षण आदि के बारे में अध्ययन करेंगे.

What is Neutropenia and how it is caused?
What is Neutropenia and how it is caused?

न्यूट्रोफिल ((neutrophil) एक सामान्य प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं होती है, जो खासकर जीवाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और इसके असामान्य रूप को न्यूट्रोपेनिया (Neutropenia) कहते है. ऐसा कहना गलत नही होगा कि न्यूट्रोपेनिया एक ऐसी बीमारी है जो असामान्य रूप से न्यूट्रोफिल की कम संख्या होने के कारण मनुष्य में होती हैं और इससे पीड़ित रोगी जीवाणु संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं.

जब वयस्कों के खून में प्रति माइक्रोलिटर 1,500 से कम न्यूट्रोफिल की गणना होती है तो उसको न्यूट्रोपेनिया माना जाता है. बच्चों में कोशिकाओं की गणना न्यूट्रोपेनिया की ओर संकेत करती है, लेकिन यह उनकी उम्र के अनुसार भिन्न हो सकती है.

ऐसा कहा जाता है कि बचपन में, न्यूट्रोपेनिया अक्सर होता है लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका इलाज़ आसान नहीं है. आइये इस लेख के माध्यम से न्यूट्रोपेनिया (Neutropenia) के लक्षण, कारण और कैसे ये मनुष्य की सेहत को प्रभावित करता है इत्यादि के बारे में अध्ययन करेंगे.

न्यूट्रोपेनिया होने का कारण

कुछ घंटों या दिनों के भीतर गठित न्यूट्रोपेनिया को तीव्र न्यूट्रोपेनिया भी कहते है जो न्यूट्रोफिल के उत्पादन में व्यवधान के परिणामस्वरूप विकसित हो सकता है. महीनों और वर्षों की अवधि तक रहने वाले न्यूट्रोपेनिया को क्रोनिक न्यूट्रोपेनिया कहते है जो कि कोशिकाओं के उत्पादन में कमी या प्लीहा में उनके अत्यधिक अनुक्रमण के कारण होता है.

न्यूट्रोपेनिया अस्थि मज्जा, कैंसर कीमोथेरेपी, संक्रमण, कुछ दवाओं (दवा प्रेरित न्यूट्रोपेनिया), और ऑटोम्यून्यून विकारों के जन्मजात विकारों सहित कई चिकित्सीय स्थितियों के कारण या उससे जुड़ा हुआ हो सकता है.

न्यूट्रोपेनिया के प्रकार

न्यूट्रोपेनिया एक ऐसी रक्त की स्थिति है जिसमें न्युट्रोफिल का स्तर कम हो जाता है. पर्याप्त न्युट्रोफिल के बिना, आपका शरीर बैक्टीरिया से लड़ नहीं सकता न्यूट्रोपेनिया होने से आपके कई प्रकार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. न्यूट्रोपेनिया के चार प्रकार होते हैं: जन्मजात, चक्रीय, ऑटिमिम्यून, और इडियोपैथिक.

हम आपको बता दें कि जन्मजात न्यूट्रोपेनिया और चक्रीय न्यूट्रोपेनिया जन्म से ही मौजूद होते हैं लेकिन ऑटिइम्यून न्यूट्रोपेनिया और इडियोपैथिक न्यूट्रोपेनिआ जीवन में बाद में विकसित होते हैं. जन्मजात न्यूट्रोपेनिया को अनुवांशिक परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है.

गंभीर जन्मजात न्यूट्रोपेनिया को कोस्टमन सिंड्रोम भी कहते है. इस स्थिति में न्युट्रोफिल का स्तर काफी कम होता है और कुछ मामलों में, न्यूट्रोफिल होता ही नहीं हैं. यह शिशुओं और युवा बच्चों को गंभीर संक्रमण के खतरे में डालता है.

चक्रीय न्यूट्रोपेनिया ऐसे न्युट्रोफिल का कारण हैं जिसके 21 दिन के चक्र में भिन्नता होती है. इसकी गणना सामान्य से कम तक होती है. इसमें न्यूट्रोपेनिया की अवधि कुछ दिनों तक चल सकती है. सामान्य चक्र शेष चक्र के लिए अनुसरण करते हैं. चक्र फिर से रीसेट करता है और फिर से शुरू होता है.

ऑटिइम्यून न्यूट्रोपेनिया में, मनुष्य का शरीर एंटीबॉडी बनाता है जी कि खुद ही न्यूट्रोफिल से लड़ते हैं. ये एंटीबॉडी न्युट्रोफिल को मारते हैं जिसके कारण न्यूट्रोपेनिया हो जाता है. यह बाद में जीवन में विकसित होती है.

इडियोपैथिक न्यूट्रोपेनिया जीवन में किसी भी समय विकसित होती है और किसी को भी प्रभावित कर सकती है. इसका कारण ज्ञात नहीं किया जा सका है.

हीमोफीलिया रोग क्या है और कितने प्रकार का होता है?

 न्यूट्रोपेनिया के लक्षण

न्यूट्रोपेनिया के लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं:

- बुखार का होना

- न्यूमोनिया

- साइनस संक्रमण

- कान का संक्रमण

- मसूड़े में सूजन और मुंह में घाव का होना

- त्वचा का खराब होना

- दस्त लगना आदि.

न्यूट्रोपेनिया का उपचार

इस रोग का उपचार उसके होने के कारण पर निर्भर करता है जिसके कारण यह होता है. इसलिए, संक्रमण का इलाज करना चाहिए जिससे न्यूट्रोपेनिया का विकास हुआ. बीमारी की गंभीरता और रूप के आधार पर, डॉक्टर निर्णय लेता है कि न्यूट्रोपेनिया का इलाज कैसे करना चाहिए. इसलिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर मुख्य जोर दिया जाता है. दवाओं से प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए एंटीबायोटिक्स, विटामिन, दवाएं उपयोग की जाती हैं. इन परीक्षणों का उपयोग कर डॉक्टर न्युट्रोपेनिया का उपचार कर सकता है:

एक पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) न्युट्रोफिल की गणना की जा सकती है जिसमें आंतरायिक सीबीसी परीक्षण छह सप्ताह तक प्रति सप्ताह तीन बार न्युट्रोफिल गिनती में बदलाव के लिए किया जाता है, इलाज ग्रैन्यूलोसाइट-कॉलोनी उत्तेजक कारकों (जी-सीएसएफ) के साथ भी किया जा सकता है. यह हार्मोन की एक कृत्रिम प्रति है जो न्यूट्रोफिल को अस्थि मज्जा में बढ़ने का कारण बनता है. जी-सीएसएफ न्युट्रोफिल की संख्या में वृद्धि कर सकता है आदि.

इसलिए हम कह सकते हैं कि न्यूट्रोपेनिया एक रक्त की स्थिति है जिसमें न्युट्रोफिल के स्तर में कमी होने के कारण सफेद रक्त कोशिकाएं प्रभावित हो जाती है जिससे आपके शरीर को संक्रमण का खतरा हो सकता है. पर्याप्त न्युट्रोफिल के बिना, आपका शरीर बैक्टीरिया से लड़ नहीं सकता है. न्यूट्रोपेनिया होने के कारण कई प्रकार के संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है.

डिमेंशिया क्या है और किन कारणों से होता है?

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News