क्या आप जानते हैं कि सन्डे को ही छुट्टी क्यों होती है?

Sep 20, 2022, 13:08 IST

क्या आप बिना सन्डे की छुट्टी के अपनी जिंदगी में सुकून महसूस कर सकते हैं? शायद नहीं. लेकिन ऐसे कितने लोग हैं जो यह जानते हैं कि सन्डे की छुट्टी कब से शुरू हुई, क्यों शुरू हुई?  आइये इस लेख के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते हैं.

Reason behind declaring Sunday as a holiday
Reason behind declaring Sunday as a holiday

पूरे हफ्ते काम करने के बाद हम सभी को सन्डे का इंतजार रहता है. क्योंकि सन्डे को सभी दफ्तर, स्कूल, कॉलेज बंद रहते है. पर क्या आपने कभी सोचा है कि सन्डे को ही क्यों भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है. किसकी वजह से सन्डे को अवकाश के रूप में घोषित किया गया था. आइये हम सन्डे को छुट्टी के दिन के रूप में घोषित किये जाने के पीछे के कारणों का पता करते हैं.

सन्डे या रविवार को छुट्टी के रूप में घोषित किए जाने का इतिहास

जब भारत में ब्रिटिश शासन किया करते थे तब मिल मजदूरों को सातों दिन काम करना पड़ता था, उन्हें कोई भी छुट्टी नहीं मिलती थी. हर रविवार को ब्रिटिश अधिकारी चर्च जाकर प्रार्थना करते थे परन्तु मिल मजदूरों के लिए ऐसी कोई परम्परा नहीं थी. उस समय श्री नारायण मेघाजी लोखंडे मिल मजदूरों के नेता थे, उन्होंने अंग्रेजों के सामने साप्ताहिक छुट्टी का प्रस्ताव रखा और कहा की 6 दिन काम करने के बाद सप्ताह में एक दिन अपने देश और समाज की सेवा करने के लिए भी मिलना चाहिए.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रविवार हिंदू देवता “खंडोबा” का दिन है, इसलिए भी सन्डे को साप्ताहिक छुट्टी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए. लेकिन उनके इस प्रस्ताव को ब्रिटिश अधिकारियों ने अस्वीकार कर दिया था.परन्तु लोखंडे ने हार नहीं मानी और अपना संघर्ष जारी रखा. अंततः 7 साल के लम्बे संघर्ष के बाद 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने आखिरकार रविवार को छुट्टी का दिन घोषित कर दिया . हैरानी की बात यह है कि भारत सरकार ने कभी भी इसके बारे में कोई आदेश जारी नहीं किए हैं.

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क्या आप श्री नारायण मेघाजी लोखंडे के बारे में जानते हैं?

Shri Narayan Lokhande
source:www.googleimages.com
- श्री लोखंडे को भारत में 19वीं सदी में कपड़ा मीलों में कार्यप्रणाली में बदलाव के रूप में याद किया जाता है.
- वह श्रम आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे.
- भारत में श्री लोखंडे को ट्रेड यूनियन आंदोलन के जनक के रूप में भी जाना जाता है.
- वे महात्मा ज्योतिबा फुले के सहयोगी थे जिन्होंने लोखंडे की मदद से भारत के पहले कामगार संगठन “बांबे मिल एसोसिएशन” की शुरूआत की थी.
- भारत सरकार ने 2005 में उनकी तस्वीर वाली एक डाक टिकट भी जारी की थी.           

अर्थात  यह कहना गलत नहीं होगा की श्री नारायण मेघाजी लोखंडे की वजह से ही मजदूरों को रविवार को साप्ताहिक छुट्टी, दोपहर में आधे घंटे की खाने की छुट्टी और हर महीने की 15 तारीख को मासिक वेतन दिया जाने लगा था.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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