ज्वारभाटा किसे कहते हैं तथा यह मानव जीवन के लिए कैसे महत्वपूर्ण है?

Mar 21, 2018, 18:48 IST

महान्‌ गणितज्ञ सर आइजैक न्यूटन द्वारा प्रतिपादित गुरुत्वाकर्षण के नियम किसी वस्तु का गुरुत्वाकर्षण उसकी मात्रा का समानुपाती तथा उसकी दूरी के वर्ग का प्रतिलोमानुपाती होता है। इस लेख में हमने ज्वारभाटा को परिभाषित किया है तथा मानव जीवन में इसके महत्त्व को बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

What is Tides, why it occurs and how it is important for human life in Hindi (Source: www.almanac.c)
What is Tides, why it occurs and how it is important for human life in Hindi (Source: www.almanac.c)

हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्ये के चक्कर लगाती रहती है। इसी तरह चंद्रमा भी पृथ्वी के चक्कर लगाती है। चंद्रमा जब भी पृथ्वी के निकट आती है तो पृथ्वी को अपने गुरुत्वकर्षण बल से अपनी ओर खीचती है लेकिन इस खिचाव का ठोस जमीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता परन्तु समुंद्री जल में हलचल पैदा कर देती है। महान्‌ गणितज्ञ सर आइजैक न्यूटन द्वारा प्रतिपादित गुरुत्वाकर्षण के नियम किसी वस्तु का गुरुत्वाकर्षण उसकी मात्रा का समानुपाती तथा उसकी दूरी के वर्ग का प्रतिलोमानुपाती होता है। ज्वार की उत्पत्ति में इस नियम का सही सही पालन होता है।

ज्वारभाटा किसे कहते हैं?

चन्द्रमा एवं सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीये जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वारभाटा कहते हैं। सागरीये जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ाने को ज्वार (Tide) तथा सागरीये जल को नीचे गिरकर पीछे लौटने (सागर की ओर) भाटा (Ebb) कहते हैं।

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ज्वारभाटा क्यों उत्पन्न होता है?

पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं। चन्द्रमा का ज्वार-उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दोगुना होता है क्युकी यह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट है। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते हैं तो उच्च ज्वार उत्पन्न होता है।  दोनों पक्षों की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के केंद्र पर समकोण बनाते हैं, इस स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के आकर्षण बल एक-दुसरे को संतुलित  करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते हैं तो निम्न ज्वार उत्पन्न होता है।

Tides

पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान पर प्रतिदिन 12 घंटे 26 मिनट के बाद ज्वार तथा ज्वार के 6 घंटा 13 मिनट बाद भाटा आता है। ज्वार प्रतिदिन दो बार आता है- एक बार चन्द्रमा के आकर्षण से और दूसरी बार पृथ्वी के अपकेन्द्रीय बल के कारण। लेकिन इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित साउथेम्पटन में ज्वार प्रतिदिन चार बार आते हैं।

नदियों, झीलों, तालाबों और अन्य छोटे जल निकायों में ज्वारभाटा क्यों नहीं होते हैं?

ज्वार-भाटा की घटना केवल सागर पर ही लागू नहीं होती बल्कि उन सभी चीजों पर लागू होतीं हैं जिन पर समय एवं स्थान के साथ परिवर्तनशील गुरुत्वाकर्षण बल लगता है। इसका अनुभव नदियों, झीलों, तालाबों और अन्य छोटे जल निकायों में नहीं होता है क्युकी बड़े जल क्षेत्र में इसका परिणाम व्यापक होता है। इसलिए महासागर और समुद्र में ज्वारभाटा का अनुभव आसानी से हो जाता है।

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मानव जीवन के लिए ज्वारभाटा कैसे महत्वपूर्ण है?

प्रत्येक प्राकृतिक घटना मानव जीवन के लिए प्रासंगिक है और जीवित प्राणियों पर अपना प्रभाव डालती है। इसी संदर्भ में ज्वार के महत्व पर नीचे चर्चा की गयी है:

1. मत्स्य पालन (Fishing): ज्वार समुद्री जीवन जैसे समुद्री पौधों और मछलियों की प्रजनन गतिविधियों को भी प्रभावित करता है।

2. ज्वारपूर्ण खाद्य क्षेत्र (Tidal Zone Foods): ज्वारभाटा की नियमिता के कारण ज्वारीय क्षेत्र के समुद्री जीव जैसे केकड़े, मसल, घोंघे, समुद्री शैवाल आदि की संख्या संतुलित रहती है अगर ज्वारभाटा नियमित ना हो तो इनकी संख्या कम या ये विलुप्त हो सकते हैं।

3. नौ-परिवहण (Navigation): उच्च ज्वार समुद्री यात्राओं में मदद करते हैं। वे समुंद्री किनारों के पानी का स्तर बढ़ा देते हैं जिसकी वजह से जहाज को बंदरगाह पर पहुंचाने में मदद मिलती है।

4. मौसम (Weather): ज्वारभाटा के नियमिता के कारण समुंद्री जलवायु समुंद्री जल जीवन के रहने योग्य बनती है और पृथ्वी के तापमान को संतुलित करता है।

5. ज्वार ऊर्जा (Tidal Energy): ज्वारभाटा प्रतिदिन दो बार आता है जिसके कारण पानी में तीव्रता आती है। अगर हम इस उर्जा को संचित कर ले तो यह अक्षय उर्जा का एक और स्रोत हो सकता है। जिसके कारण तट के किनारे रहने वाले समुदायों को नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान किया जा सकता है।

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