रेलवे हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। रोजाना हजारों यात्री रेल गाड़ी से यात्रा करते हैं। रेलवे हर वर्ग के लोगों के लिए सुविधाजनक परिवहणों में से एक है। लेकिन, क्या आप जानते हैं भारत की सबसे पुरानी ट्रेन कौन सी है और किस साल में यह चलाई गई थी। आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि भारत में 159 साल पहले एक ट्रेन चलाई गई थी, जिसका नाम कालका मेल है। यह ट्रेन कोलकाता के हावड़ा को हरियाणा के पंचकूला स्थित कालका से जोड़ती है। कालका मेल 1866 में कलकत्ता और दिल्ली के बीच चलने लगी थी। इसके बाद 1891 में इसका विस्तार दिल्ली से कालका तक कर दिया गया। ब्रिटिश काल में यह सबसे मशहूर ट्रेन हुआ करती थी। तो आइए जानते हैं कालका मेल से जुड़ी रोचक बातों के बारे में।
किसने बनवाई थी भारत की पहली ट्रेन?
आपको बता दें कि कालका मेल खास तौर पर अंग्रेजों के लिए बनाई गई थी। इसके पीछे एक वजह थी। दरअसल, उस समय अंग्रेजों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया था। लेकिन वहाँ इतनी गर्मी होती है की अंग्रेज़ उसे बर्दाशत नहीं कर पाएं और इससे बचने के लिए उन्होंने शिमला को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बना लिया। अंग्रेजों ने कोलकाता से शिमला जाने के लिए खास तौर पर इस ट्रेन का निर्माण करवाया था।
किस नाम से शुरू हुई थी ट्रेन?
यह भारत की सबसे पुरानी और प्राचीन ट्रेन है और यही कारण है कि इस ट्रेन का नाम अब तक तीन बार बदला जा चुका है। शुरुआती समय में इसका नाम ईस्ट इंडिया रेलवे मेल था। इसी ट्रेन के ज़रिए वायसराय समेत अंग्रेज गर्मियों में अपनी राजधानी कोलकाता से शिमला स्थानांतरित करते थे। फिर इसका नाम बदलकर कालका मेल कर दिया गया।
इसी ट्रेन से लापता हुए थए नेताजी सुभाष चंद्र बोस
इस ट्रेन का नेताजी सुभाष चंद्र बोस से एक खास संबंध है। शायद ही कोई यह जानता होगा कि 80 साल पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस इसी ट्रेन से लापता हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि 18 जनवरी 1941 को नेताजी ने अंग्रेजों को चकमा देने के लिए इसी ट्रेन से धनबाद जिले के गोमो जंक्शन से रवाना हुए थे।
क्या है ट्रेन का नया नाम?
इस ट्रेन से नेताजी की यादें जुड़ी हैं। 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर इस ट्रेन का नाम बदल दिया गया। अब इस ट्रेन का नाम हावड़ा कालका मेल से बदल कर नेताजी एक्सप्रेस रख दिया गया है।
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