जानें भारत में ब्रह्माजी का एक ही मंदिर क्यों हैं

Sep 22, 2017, 18:44 IST

ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिमूर्ति के नाम से जाने जाते हैं. ब्रह्मा संसार के रचनाकार, विष्णु पालनहार और महेश को संहारक माना जाता है, इसलिए ये तीनो देव सबसे प्रधान देवता हैं. भारत में ही क्या सम्पूर्ण विश्व में शिव और विष्णु भगवान् के काफी मंदिर हैं परन्तु भारत में एक ऐसा स्थान है जहां केवल ब्रह्माजी का ही मंदिर हैं. आइए ऐसे मंदिर के बारें में अध्ययन  करते  हैं और यह कहाँ स्थित हैं.

Temple of Lord Brahma in Pushkar
Temple of Lord Brahma in Pushkar

ये हम सब जानते है कि भारत में या हिन्दू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिमूर्ति के नाम से जाने जाते हैं और ये ही प्रधान देवता भी हैं. ब्रह्मा संसार के रचनाकार, विष्णु पालनहार और महेश को संहारक माना जाता है. भारत में विष्णु और महेश के काफी मंदिर हैं परन्तु एक ही ऐसा स्थान हैं जहां केवल ब्रह्माजी का ही मंदिर है. इस लेख के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसा क्यों हैं.
ब्रह्माजी का मंदिर आखिर है कहाँ

Lord Brahma

देश में ऐसा स्थान हैं जहां केवल ब्रह्माजी का ही मंदिर है और वो भी भारत में राजस्थान के पुष्कर तीर्थ स्थल में. पद्म पुराण के अनुसार ऐसा इसलिए हैं क्योंकि ब्रह्माजी की पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया था. अब सवाल यह उठता है कि ब्रह्माजी को उन्हीं की पत्नी ने आखिर श्राप क्यों दिया था.
सावित्री ने ब्रह्माजी को श्राप क्यों दिया था
हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के अनुसार वज्रनाश नामक राक्षस ने धरती पर उत्पात मचाया हुआ था. उसके अत्याचारों से तंग आकर ब्रह्माजी ने उसका वध कर दिया. परन्तु वध करते वक्त ब्रह्माजी के हाथों से कमल का पुष्प तीन जगहों पर गिरा जहाँ पर तीन झीलें बन गई. इस घटना के बाद इस जगह का नाम पुष्कर पड़ गया और फिर ब्रह्माजी ने संसार की भलाई के लिए इसी स्थान पर यज्ञ करने का फैसला किया.

Story of Brahma Temple
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पुष्कर में यज्ञ करने के लिए ब्रह्माजी पहुचे परन्तु उनकी पत्नी सावित्री को आने में देर हो गई और इस यज्ञ को पूरा करने के लिए उनकी पत्नी का होना अनिवार्य था, लेकिन सावित्री के समय पर न पहुचने की वजह से ब्रह्माजी ने गुर्जर समुदाय की एक कन्या ‘गायत्री’ से विवाह करके इस यज्ञ को शुरू किया. उसी दौरान सावित्री जी वहां पहुंची और ब्रह्माजी के साथ किसी और स्त्री को बैठे और पूजा करते हुए देख कर क्रोधित हो गई और श्राप दे दिया कि प्रथ्वी पर देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी.
सभी देवता सावित्री के इस रूप को देखकर डर गए और विनती करने लगे की वो अपना श्राप वापिस ले लें, परन्तु उन्होंने किसी की नहीं सुनी. गुस्सा ठंडा होने के बाद सावित्री जी ने कहाँ की इस पृथ्वी पर सिर्फ पुष्कर में ही आपकी पूजा होगी और अगर कोई भी आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा. इन सबमें विष्णुजी ने भी ब्रह्माजी की मदद की थी इसलिए सरस्वती देवी ने विष्णु भगवान् को भी श्राप दिया था की जब वह राम का पृथ्वी पर अवतार लेंगे तो 14 साल के वनवास में अपनी पत्नी से विरह का कष्ट सेहन करना पड़ेगा.
पुष्कर का मंदिर किसने बनवाया था
पुष्कर में किसने और कब ब्रह्माजी का मंदिर बनवाया था इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता है. परन्तु मान्यता है की तकरीबन एक हज़ार दो सौ साल पहले अरण्व वंश के एक शासक को स्वप्न आया था कि पुष्कर में एक मंदिर है जिसकी रख-रखाव की आवश्यकता है, तब उस राजा ने इस मंदिर के पुराने ढांचे को दुबारा से बनवाया था. यह मंदिर ‘जगत पिता ब्रह्मा’ के नाम से भी जाना जाता हैं. प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर इस मंदिर के आसपास काफी बड़ा मेला लगता हैं. मेले के दौरान ब्रह्माजी के मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. इन दिनों में भगवान ब्रह्मा की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है.

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सावित्री जी के मंदिर के बारे में 

Where is Savitri Temple situated
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जब सावित्रीजी का क्रोध शांत हो गया तब ब्रह्माजी के मंदिर के पीछे की पहाड़ियों पर जाकर तपस्या में लीन हो गई और ऐसी मान्यता है कि आज भी देवी वहीं रहकर भक्तों का कल्याण कर रही हैं. परन्तु वहां तक पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढियां चढ़नी पड़ती हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से सुहाग की लम्बी उम्र होती है और मनोवांछित फल प्राप्त होता हैं.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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