Chenab Rail Bridge: इंजीनियरिंग चमत्कार का सबसे बड़ा उदाहरण भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में देखने को मिला है, जहां दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बनाया गया है. यह इस बार इसलिए खबरों में है क्योंकि हाल ही में इस ब्रिज पर पहला सफल रेल ट्रायल किया गया. यह आधुनिक इंजीनियरिंग का जीता जागता प्रमाण है. यह ब्रिज चिनाब नदी (Chenab River) के ऊपर बना हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग 359 मीटर (1,178 फीट) है, जो पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टॉवर से भी ऊंचा है.
World Highest Railway Bridge: इस ब्रिज का निर्माण कई चुनौतियों को पार करने के बाद संभव हो पाया है. इसकी चुनौतियों में भौगोलिक परिस्थितियाँ, तीव्र मौसम परिवर्तन, और सुरक्षा संबंधित मुद्दे शामिल थे. इस ब्रिज का डिजाइन और निर्माण न केवल भारतीय इंजीनियरिंग कौशल का प्रदर्शन है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है.
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जल्द ही दौड़ेगी ट्रेन:
मिली खबरों के अनुसार, संगलदान से रियासी के बीच पहली ट्रेन को हरी झंडी 30 जून को दिखाए जाने की संभावना है, जो जम्मू के रियासी जिले को रेलवे लाइन के जरिए कश्मीर से जोड़ेगी. बता दें कि चिनाब ब्रिज भारतीय रेलवे के उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है, जो कश्मीर घाटी को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है.
1st trial train between Sangaldan to Reasi. pic.twitter.com/nPozXzz8HM
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) June 16, 2024
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज: हाई लाइट्स
दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज की ऊंचाई, लंबाई, डिज़ाइन और लागत सहित अन्य रोचक डिटेल्स आप यहां देख सकते है-
ऊंचाई | 359 मीटर (1,178 फीट), (एफिल टॉवर से भी अधिक) |
लंबाई | लगभग 1,315 मीटर (4,314 फीट) |
डिज़ाइन | अर्ध-पर्वतारोही आर्क डिजाइन |
निर्माण सामग्री | उच्च गुणवत्ता वाले स्टील और कंक्रीट |
स्टील | 30,000 मीट्रिक टन |
कुल लागत | ₹14,000 करोड़ |
नदी | चेनाब |
तकनीकी विशेषताएँ | ब्रिज की संरचना को 266 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है |
World Highest Railway Bridge चिनाब ब्रिज से जुड़े अन्य तथ्य:
इस ब्रिज के निर्माण में कई अन्य बातों का भी ध्यान रखा गया है जैसे, इसे अत्यधिक परिस्थितियों को सहने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें -40°C तक के तापमान और भूकंपीय गतिविधि शामिल है.
इस परियोजना का पहला चरण, 118 किमी काजीगुंड-बारामूला खंड, अक्टूबर 2009 में शुरू हुआ था. इसके बाद जून 2013 में 18 किमी बनिहाल-काजीगुंड खंड और जुलाई 2014 में 25 किमी उधमपुर-कटरा खंड का उद्घाटन हुआ था.
इसके निर्माण के दौरान पर्यावरणीय संरक्षण के उच्च मानकों का पालन किया गया. साथ ही नदी और आसपास के वनस्पति और जीव-जंतु के आवास की सुरक्षा को सुनिश्चित किया गया है.
इसे भारत की तकनीकी क्षमता, प्रगति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक भी माना जा रहा है. यह ब्रिज भारत के रेलवे नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी सराहना की जाती है.
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