भारत जैसा देश जो कि पूरी दुनिया में सबसे युवा देश कहा जाता है, व्यापक बेरोजगारी/ गरीबी के दौर से गुजर रहा है | ऐसी दशा में व्यक्ति, समाज और सरकार सभी के सामने पर्याप्त रोजगार उत्पन्न करने का दबाव बढ़ता जा रहा है | इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टार्टअप योजना और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किये हैं |
1. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना : MUDRA का पूरा नाम माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट फंड रिफाइनेंस एजेंसी है| भारत सरकार द्वारा इस योजना की शुरूआत छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और दुकानदारों को लाभ पहुँचाने के लिए की गई है| इस योजना की घोषणा माननीय वित्त मंत्री द्वारा वित्तीय वर्ष 2016 के केंद्रीय बजट में की गई थी| मुद्रा योजना का उद्देश्य बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं और सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से छोटे व्यवसायियों को धन उपलब्ध करवाना है।
मुद्रा योजना क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध करायेगी?
मुद्रा बैंक ने कर्ज लेने वालों को तीन हिस्सों में बांटा हैः व्यवसाय शुरू करने वाले, मध्यम स्थिति में कर्ज तलाशने वाले और विकास के अगले स्तर पर जाने की चाहत रखने वाले।
इन तीन हिस्सों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुद्रा बैंक ने तीन कर्ज उपकरणों की शुरुआत की हैः
शिशुः इसके दायरे में 50,000 रुपए तक के कर्ज आते हैं।
किशोरः इसके दायरे में 50,000 से 5 लाख रुपए तक के कर्ज आते हैं।
तरुणः इसके दायरे में 5 से 10 लाख रुपए तक के कर्ज आते हैं।
शुरुआत में कुछ ही क्षेत्रों तक योजनाएं सीमित हैं, जैसे- “जमीन परिवहन, सामुदायिक, सामाजिक एवं वैयक्तिक सेवाएं, खाद्य उत्पाद और टेक्सटाइल प्रोडक्ट सेक्टर”। समय के साथ नई योजनाएं शुरू की जाएंगी, जिनमें और ज्यादा क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।
इस योजना के तहत दिये जाने वाले ऋण से संबंधित नियम एवं शर्तों का निर्धारण बैंक /ऋणदात्री संस्था (lending Institution) और भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा निर्धारित किया जायेगा | बैंक/ऋणदात्री संस्था, स्टार्टअप के लिए भेजे गए प्रस्ताव का अध्ययन (सफल होगा या नही ) करेगी और इसके बाद लोन देगी | लोन में दी जाने वाली राशि का निर्धारण और लोन की वापसी कैसे होगी इस बात का निर्धारण बैंक, ‘स्टार्टअप कंपनी’ की आमदनी को देखकर करेगी |
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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की मदद से निम्न व्यवसायों को आसानी से शुरू किया जा सकता है |
a. बेकरी का बिजनेस : आजकल फ़ास्ट फ़ूड के बढ़ते चलन के कारण इस व्यापार को भारत के किसी भी छोटे/बड़े शहर में शुरू किया जा सकता है |
स्वयं की लागत: Rs. 85,000
सरकारी मदद: 3.50 लाख
वार्षिक कमाई : 4.0 लाख
विस्तृत जानकारी: इस बिज़नेस को शुरू करने के लिए आपको शुरुआत में 85000 रुपये स्वयं की जेब से और बकाया के 3.5 लाख रुपये सरकार से ले सकते हैं | प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत आप 2.95 लाख रुपये का टर्म लोन तथा 1.50 लाख रुपये का कार्यशील पूंजी लोन (working capital loan) ले सकते हैं | इसे छोटे से शहर में भी शुरू किया जा सकता है | इस बिज़नेस से आप अपनी लागत को निकालकर लगभग 35000 रुपये/महीने कमा सकते हैं |
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भारत सरकार के कल्याण कार्यक्रम
b. सेनेटरी नैपकिन का बिज़नेस: इस बिज़नेस को 15000 रुपये की निजी लागत से भी शुरू किया जा सकता है | भारत सरकार द्वारा स्वच्छता पर अधिक ध्यान दिए जाने के कारण इस बिज़नेस में और भी चमक आ गयी है |
स्वयं की लागत:. 15,000 रुपये
सरकारी मदद: 1.50 लाख रुपये
वार्षिक कमाई : 1.8 लाख रुपये
विस्तृत जानकारी: इस व्यापार को शुरू करने के लिए आपको लगभग 1.5 लाख रुपये की जरुरत होगी जिसमे 1.35 लाख का लोन प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से मिल जायेगा | यदि आप 1440 सेनेटरी नैपकिन एक दिन में तैयार करते हैं और एक पैकेट में 8 नैपकिन भी रखी जाती हैं तो एक साल में 54000 पैकेट तैयार किये जा सकते हैं | यदि एक पैकेट की कीमत 13 रुपये रखी जाती है तो आप साल भर में लगभग 7 लाख रुपये की बिक्री के सकते हैं | और यदि इस आय में से पूरी लागत को निकाल दिया जाये तो साल में 2 लाख रुपये तक की बचत की जा सकती है |
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c. रेडीमेड गारमेंट का बिज़नेस : छोटे और बड़े सभी शहरों में शुरू किया जा सकने वाला यह बिजनेस बहुत ही फायदेमंद साबित हो रहा है | इस बिजनेस को आप 50000 से 80000 रुपये की लागत से शुरू कर सकते हैं और आपकी महीने की कमाई 20000 से लेकर 40000 रुपये तक हो सकती है | प्रधानमंत्री मुद्रा स्कीम के अंतर्गत 1.10 लाख का टर्म लोन और 2.25 लाख का वर्किंग कैपिटल लोन मिल सकता है
स्वयं की लागत:. 80,000 रुपये
सरकारी मदद: 3.35 लाख रुपये
वार्षिक कमाई : 5 लाख रुपये
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d. मुर्गी पालन के लिए ऋण: वर्तमान समय में मांसाहारी भोजन खाने वालों की संख्या बढ़ने के कारण यह सबसे ज्यादा उभरता हुआ बिज़नेस है | इस बिज़नेस को शुरू करने के लिए आपको पहली यह शर्त पूरी करनी होगी कि आपके 500 मीटर के दायरे में कोई और मुर्गी पालन केंद्र नही होना चाहिये | इसके लिए अगर आपको लोन की जरुरत है तो आप भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी पास की ब्रांच में जाकर “Broiler Plus” नामक योजना के तहत 5000 मुर्गियां पालने के लिए 3 लाख रुपये का लोन ले सकते हैं और यदि आप 15000 मुर्गियां पालना चाहते हैं तो अधिकत्तम 9 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है | यह लोन छप्पर बनाने, कमरा बनाने, पानी और बिजली की व्यवस्था करने और अन्य उपकरण खरीदने के लिए मिल सकता है | इस लोन को चुकता करने के लिए आपको 5 साल का समय मिलेगा जिसे न चुका पाने की हालत में 6 महीने तक का अतिरिक्त समय भी मिल सकता है |
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आजादी के बाद भारत में ग्रामीण विकास के कार्यक्रम
2. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: भारत को आज पूरी दुनिया में सबसे युवा देश का दर्जा प्राप्त है| हमारे पास 60.5 करोड़ लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं। यदि इस युवा समुदाय को रोजगार उपलब्ध नही कराया गया तो यह देश को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे भी ले जा सकता है | इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरुआत 16 जुलाई 2015 को की गयी थी |
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मुख्य रूप से श्रम बाजार में पहली बार प्रवेश कर रहे लोगों पर जोर होगा और विशेषकर कक्षा 10 व 12 के दौरान स्कूल छोड़ गये छात्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की जुलाई में हई बैठक में अगले चार वर्षों (2016-2020) के दौरान एक करोड़ से अधिक लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए 12 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) को मंजूरी दे दी। अब तक इस योजना के अंतर्गत 18 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है |प्रशिक्षण के दौरान इन प्रशिक्षुओं को 8000 रुपये प्रति माह का पारितोषिक भी दिया जायेगा |
योजना का क्रियान्वयन एनएसडीसी के प्रशिक्षण साझेदारों द्वारा किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 2,300 केंद्रों के एनएसडीसी के 187 प्रशिक्षण साझेदार हैं। इनके अलावा केंद्र व राज्या सरकारों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं को भी इस योजना के तहत प्रशिक्षण के लिए जोड़ा जाएगा। सभी प्रशिक्षण प्रदाताओं को इस योजना के लिए योग्य होने के लिए एक जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा।
इस योजना में कौन-कौन भाग ले सकता है?
विशेष कार्यक्रम को पूरा करने वाले युवाओं को मंत्रालय द्वारा प्रमाण-पत्र दिया जायेगा। एक-बार प्रमाण पत्र मिलने के बाद इस सभी सरकारी व निजी, यहाँ तक कि विदेशी संगठनों, संस्थाओं और उद्यमों द्वारा भी वैध माना जायेगा। प्रशिक्षण देने के लिये विभिन्न श्रेणियों को लिया गया है; जैसे: वो बच्चे जिन्होंने स्कूल या कॉलेज छोड़ दिया है, और कुछ बहुत अधिक प्रतिभाशाली लड़कें और लड़कियाँ आदि। इसके साथ ही गाँव के वो लोग जो हस्तशिल्प, कृषि, बागवानी आदि का परंपरागत कौशल रखते है इस योजना में अपनी पसंद का प्रशिक्षण लेकर अपना बिज़नेस शुरू कर सकते हैं या किसी जगह नौकरी कर सकते हैं |
PMKVY की प्रक्रिया:
• PMKVY द्वारा मान्यात प्राप्त एक प्रशिक्षण केंद्र अपने क्षेत्र में खोजें, जो आपकी पसंद का कौशल विकास पाठ्यक्रम प्रदान करता हो।
• http://skillindia.gov.in/ की वेबसाइट का इस्तेमाल करें, कॉल करें 08800-55555 या अपने निर्वाचन क्षेत्र में आयोजित होने वाले कौशल विकास शिविर में भाग लें ।
• लोगों को अनाधिकृत गैर-मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण केद्रों से सावधान रहने की चेतावनी दी जाती है | यदि इस योजना का किसी प्रकार से उल्लंघन होता है, कृपया शिकायत निपटारा पोर्टल के जरिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने से भी पीछे न हटें।
ध्यान रखें कि ...
• अपनी पसंद के और उस पाठ्यक्रम ने प्रवेश पाए जिसके लिए आप योग्य हों।
• उम्मीदवारों को प्रशिक्षण तथा मूल्यांकन शुल्क भरना होगा ।
• दाखिले के समय ज्ञापको अपना आधार कार्ड तथा बैंक खाते का विवरण प्रदान करना होगा।
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क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों का निर्धारण कैसे होता है?
3. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम: नवम्बर, 2011 में एक स्कीम को पूर्व की PMRSY और REGP स्कीमों का विलय करके अगस्त, 2008 में 'प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)' नामक एक राष्ट्र स्तरीय ऋण संबंद्ध सब्सिडी स्कीम शुरू की गयी| इस कार्यक्रम के अंतर्गत सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपए तक और विनिर्माण क्षेत्र में 25 लाख रुपए तक के लागत वाले सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। यह वित्तीय सहायता ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत की 25 प्रतिशत सब्सिडी (कमजोर वर्गो सहित विशेष श्रेणी के लिए 35 प्रतिशत ) उपलब्ध कराई जाती है जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 15 प्रतिशत (कमजोर वर्गो सहित विशेष श्रेणी के लिए 25 प्रतिशत) उपलब्ध कराई जाती है।
इस योजना के लिए कौन-कौन पात्र है:
i. 18 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी भारतीय व्यक्ति|
ii. स्वयं सहायता समूह (जिन्होंने किसी भी अन्य योजना के तहत लाभ नहीं उठाया है) भी इस के तहत सहायता के लिए पात्र हैं|
iii. विनिर्माण क्षेत्र और/व्यापार सेवा क्षेत्र में 5 लाख से10 लाख रुपये लागत की परियोजना की स्थापना के लिए, लाभार्थियों कम से कम आठवीं पास होना चाहिए|
iv. चैरिटेबल ट्रस्ट
भारत निर्माण योजना की क्या विशेषताएं हैं?
4. स्टार्टअप इंडिया योजना:
एक नया अभियान जिसका नाम स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया है, की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस 2015 के भाषण में की गयी थी और 16 जनबरी 2016 को इसकी शुरुआत की गई थी | इस योजना की शुरुआत देश के युवाओं में उद्यमिता की भावना को बढ़ाना है, जिसके लिये एक स्टार्ट-अप नेटवर्क को स्थापित करने की आवश्यकता है। स्टार्टअप एक ऐसी इकाई है जिसका मुख्यालय भारत में है और जो पांच साल से कम पुराना हो और सालाना कारोबार 25 करोड़ रुपये से कम हो | सही मायने में यदि देश को बेरोजगारी से बाहर निकालना है तो देश के लोगों में नौकरी करने की जगह नौकरी देने की सोच को विकसित करना होगा |
स्टार्टअप की वर्तमान स्थिति क्या है ?
देश में स्टार्टअप की संख्या हर साल बढ़ रही है| साल 2010 में 480 स्टार्टअप शुरू हुए थे 2011 में 525 जबकि 2012 में 590, 2013 में 680 और फिर 2014 में 805 स्टार्टअप शुरू हुए| 2015 में ये आंकड़ा एक हजार के पार हो गया और वर्तमान वर्ष में सबसे ज्यादा यानी 1200 स्टार्टअप शुरू हुए| नैसकॉम की साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत स्टार्टअप के मामले में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है| स्टार्टअप की रफ्तार कुछ ऐसी है कि साल 2014 में 179 स्टार्टअप में 14500 करोड़ का निवेश हुआ जबकि 2015 में 400 स्टार्टअप में करीब 32 हजार करोड़ का निवेश हुआ है यानि हर हफ्ते करीब 625 करोड़ रुपए|
स्टार्टअप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना भी आसान बनाया जाएगा अर्थात अब लालफीताशाही को इसमें आड़े नही आने दिया जायेगा जैसा कि पुराने समय में कोई उद्योग शुरू करने में होता था | मसलन, कोई भी स्टार्टअप वेबपोर्टल या मोबाइल App पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकेगा जिसका अप्रूवल एक दिन में ही आ जायेगा | इसके अलावा नए कारोबारी को बिजनेस शुरू करने के लिए किन-किन डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता होगी, क्या शर्तें पूरी करनी होगी, यह सब पोर्टल और App पर मौजूद होगा|
स्टार्टअप योजना में निम्नलिखित का प्रावधान है-
1. नये उद्यम स्थापित करने के लिए कार्यशील पूंजी (working capital)के लिए 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक के बीच ऋण।
2. रुपये 10,000 का एक बड़ा फंड निर्माण ताकि स्टार्टअप शुरू करने वाले उद्यमियों को धन उपलब्ध कराया जा सके|
3. उद्यमियों को पूँजी लाभ कर से 3 साल तक की छूट
4. उद्यमियों को लाभ कर से 3 साल तक की छूट
5. संशोधित और अधिक अनुकूल दिवालियापन संहिता ताकि उद्यमी 90 दिनों के अन्दर रोजगार बंद कर सके |
6. भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि के साथ पुन: वित्त सुविधा।
7. राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) के माध्यम से ऋण गारंटी के लिए 5000 करोड़ रुपये के कोष का निर्माण।
8. पेटेंट पंजीकरण शुल्क में 80% की कमी ताकि उद्यमी अपने 'आईडिया (idea)' पेटेंट करा सके ताकि कोई और व्यक्ति उसका आईडिया चोरी न कर सके |
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