गुजरात में पाए गए हड्प्पन शहरों की सूची

Mar 21, 2014, 16:20 IST

सिंधु घाटी सभ्यता जिसे की हम हडप्पा सभ्यता के नाम से भी जानते हैं विश्व की प्राचीनतम महान सभ्यता थी|

सिंधु घाटी सभ्यता जिसे की हम हडप्पा सभ्यता के नाम से भी जानते हैं विश्व की प्राचीनतम महान सभ्यता थी| स्वतंत्रता पश्चात पुनरखनन के बाद जिसे हडप्पा सभ्यता का प्रथम स्थल माना गया वह गुजरात के रंगपुर में लिंबी तालुका जिले पास है | सन 1954-1958 तक गुजरात में तथा सौराष्ट्र एवं कच्छ प्रायद्वीप के पास होने वेल सभी सर्वेक्षणो में हडप्पा सभ्यता के विभिन्न चरणों को देखा गया |  हडप्पा वासियों ने 2500 ईसा पूर्व में कच्छ के मार्ग से होते हुए एक बहुत ही अद्भुत तरीके से बसना प्रारंभ किया था |

लोथल-

- गुजरात में स्थित यह स्थल 1957 में एस आर राव द्वारा खोजा गया |
- सिंधु घाटी सभ्यता का यह शहर गुजरात मे भोगवा नदी के किनारे बसा था, तथा यह गुजरात के साबरमती नदी की उपनदी के किनारे बसा था जो की खंभात की खाड़ी के पास था | यह उन स्थानों से करीब था जहाँ की अर्ध बहुमूल्य कीमती पत्थर आसानी से उपलब्ध हो सके |
- लोथल का नाम अहमदाबाद में ढोलका तालुका में सर्जवाला गाँव में एक टीले के प्राप्त होने के कारण पड़ा था |
- यह सिंधु घाटी का एकमात्र स्थल है जहाँ नकली इंटो का बना हुआ गोदी बाड़ा प्राप्त हुआ है और ऐसा अनुमान है क यह गोदी बाड़ा सिंधु के लोगों के लिए सामुद्री मार्ग का एक महत्वपूर्ण ज़रिया होगा. जो की एक बड़ी दीवार से चारो ओर से घिरा हुआ था जो की संभवतः बाढ से बचने के लिए बनाई गयी होगी |  विश्व का प्रथम ज्वारीय तट भी लोथल मे ही प्राप्त हुआ है |
- लोथल से ही दो लोगो के साथ दफ़नाए जाने का साक्ष्य भी मिलता है |
- 1800 ईसा पूर्व के काल का लोथल मे धान की कृषि का भी साक्ष्य भी मिलता है| धान की कृषि के अन्य स्थल रंगपुर एवं अहमदाबाद हैं |
- लोथल एवं चनूडारो में मोतियों की दुकान का भी पता चलता है |
-  अपने सूती वस्त्रों के उद्योग में विस्तार के वजह से ही लोथल हडप्पा का मैनचेस्टेर माना जाता था |
- तांबे को पिघलने की भट्टी का भी साक्ष्य प्राप्त हुआ है |
- पारस की खाड़ी की मोहर (एक गोल बटन नुमा मोहर) की भी प्राप्ति हुई है |
- एक या दो तेरकोटा की मिस्त्र से संबंधित दो ममिस जो की मलमल की वस्त्र मे लिपटी हुई है की भी प्राप्ति हुई है |
- लोथल व कालिबंगा में य्ग्य संबंधी अग्नि का भी साक्ष्य मिला है जो की संभवतः उनकी चिकित्सकीय व शल्य संबंधी कुशलता का वर्णन करती है |
- लोथल के घरों मे शतरंज जैसी वस्तुएँ भी प्राप्त हुई हैं |
- अंतिम क्रिया के स्थान पर जली हुई इंटो की प्राप्ति से पता चलता है कि कफ़न का प्रयोग होता था. कई स्थानों पर दो लोगो के एक साथ दफ़नाए जाने का भी पता चलता है. किंतु सती का साक्ष्य नही है |
- लोथल उन स्थानो मे से एक है जहा मेसोपोटामिया के साथ संबंध का साक्ष्य मिला है. इस स्थान के संबंध अन्य कई समुद्र पार के क्षेत्रों से भी था जिनका पता पर प्राप्त उन स्थानों के मोहरों से चलता है |
- स्ननागार एवं उत्तम निकास व्यवस्था जो की हड़प्पा की एक विशेषता थी वो लोथल में भी मिलती है. रसोई एवं कूए का स्थान शहर के उपरी भाग पर था |
- छोटे मनके की प्राप्ति लोथल की विशेषता है |

धौलवीरा

- इस स्थल की खोज सन 1990 में आर एस बिष्ट द्वारा ए एस आई की टीम के साथ मिलकर की | यह स्थल कच्छ के रण में जो खादर बेल्ट के अंतर्गत आता है वहाँ स्थित है |
- हडप्पा के स्थलों मे धौलवीरा सबसे बड़ा है, इसके अलावा जो अन्य स्थल है वो हरियाणा के राखीगर्ही मे स्थित है |
- धौलवीरा मुख्य रूप से तीन भागों मे विभाजित है, जिनमे से दो चौकोर रूप से गिरे हुएँ हैं तथा अन्य एक पुनः दो भाग दुर्ग एवं निचले भाग मे विभाजित है |  मध्य भाग का शहर मात्र धौलवीरा में ही दिखता है |
- निर्माण हेतु पत्थरों का प्रयोग होता था |
- 10 अक्षरों वाले एक बोर्ड की भी प्राप्ति हुई है |
- यह वह स्थान है जहाँ मेघ्लिथ प्रकार के दफ़नाए जाने का पता चलता है |
- कृषि व इससे संबंधित क्रिया जैसे सिंचाई आदि का भी साक्ष्य मिलता है |
- धौलवीरा में हड़प्पा का अनाज के गोदाम का भी साक्ष्य मिला है |
- धौलवीरा, मॅंडी एवं दैमबाद में सुगठित सोने की अंगूठी का भी पता चलता है |
- धौलवीरा एक ऐसे स्थान पर स्थित था जो की संभवतः भूकंप मे नष्ट हो गया होगा |

सुरकोटडा

- यह गुजरात के भुज क्षेत्र मे स्थित है तथा इसकी खोज सन 1972 में जे पी जोशी द्वारा की गयी |
- करीब 2300 ईसा पूर्व में यह स्थान हड़प्पा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहाँ चारो ओर से घिरा हुआ दुर्ग था, तथा घर मिट्टी के ईंटों से निर्मित है जिनमें स्नानघर व निकासी की समुचित व्यवस्था है |
-  दुर्ग एवं शेष नगर दोनो ही चारों ओर से गिरे हुए थे इसका पता खनन में प्राप्त चीज़ों से चलता है |
- यह खनन में प्राप्त एक मात्र नगर है जो की चारों ओर से पत्थरों से घिरा था तथा एक मात्र नगर भी जहाँ घोड़े मिलने का पता चलता है |
- यहाँ पर मटके मे दफ़नाए जाने का साक्ष्य मिलता है |

रंगपुर

- गुजरात के अहमदाबाद से 51 की मी की दूरी पर यह नगर स्थित है. धान की भूसी का मिलना इस स्थान की सबसे बड़ी विशेषता है |

 

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Education Desk

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