जाने क्यों वकील काले कोट और सफेद बैंड पहनते हैं?

Sep 13, 2016, 12:01 IST

आप में से अधिकांश व्यक्तियों ने जजों एवं वकीलों को काले कोट और सफेद बैंड लगाये देखा होगा| लेकिन क्या आप जानते हैं कि वकील काले कोट क्यों पहनते हैं और सफेद बैंड क्यों लगाते हैं| कुछ वकीलों को भी इस बात की जानकारी नहीं होगी कि वे काले कोट और सफेद बैंड क्यों पहनते हैं| आइए हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं|

स्थानीय अदालतों में कई बदलाव होने के बावजूद आज भी एक आम आदमी को न्याय प्राप्त करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है| विडंबना यह है कि अदालत की स्थापना जन सामान्य को न्याय दिलाने के उद्येश्य से ही की गयी थी|

वकील काले कोट क्यों पहनते हैं

मुझे यकीन है कि कई लोग इस बात से अनजान होंगे कि वकील काले कोट क्यों पहनते हैं और सफेद बैंड क्यों लगाते हैं|यहां तक ​​कि कुछ वकीलों को भी इस बात की जानकारी नहीं होगी कि क्यों वे काले कोट और सफेद बैंड पहनते हैं| आइए हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं|

इसके बारे में विभिन्न स्पष्टीकरण दिए गए हैं लेकिन इसके पीछे की कहानी बहुत समय पहले सन् 1327 से शुरू होती है जब एडवर्ड तृतीय ने रॉयल कोर्ट में भाग लेने के लिए ड्रेस कोड के आधार पर न्यायाधीशों के लिए वेशभूषा तैयार करवाई थी। लेकिन ब्रिटेन में 13 वीं सदी के अंत में इस पेशे की संरचना को सख्ती से जजों के बीच विभाजित किया गया था। सार्जेंट अपने सिर पर एक सफेद बाल वाले विग पहनते थे और सेंट पेल्सकैथेड्रल में प्रैक्टिस करते थे| वकीलों को चार भागों स्टूडेंट,प्लीडर, बेंचर एवं बैरिस्टर में विभाजित किया गया था जो जजों का स्वागत करते थे और वे मूलतः शाही घराने या अभिजात्य परिवार के निवासी होते थे| उस समय सुनहरे कपड़े पर लाल और भूरे रगों से तैयार गाउन फैशन बन गया था|

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1600 में इस पैटर्न में बदलाव आया और 1637 में प्रिवी काउंसिल ने फैसला सुनाया कि समाज के अनुसार वकीलों को कपड़े पहनने चाहिए| इस प्रकार वकीलों द्वारा पूरी लंबाई की गाउन पहनने की प्रवृत्ति की शुरूआत हुई| 1685 में परिधान के रूप में रोब्स को अपनाया गया था जो राजा चार्ल्स द्वितीय के निधन के कारण शोक का प्रतीक था| ऐसा माना जाता था कि गाउन और विग न्यायाधीशों और वकीलों को अन्य व्यक्तियों से अलग करती है|

इसके अलावा, 1694 में क्वीन मैरी द्वितीय की चेचक से मृत्यु होने पर उसके पति राजा विलियम तृतीय ने सभी न्यायाधीशों और वकीलों को सार्वजनिक शोक की निशानी के रूप में काले गाउन पहन कर अदालत में इकट्ठा होने का आदेश दिया।

लेकिन इस आदेश को कभी रद्द नहीं किया गया जिसके कारण आज भी यह प्रथा चल रही है| हालांकि, वकीलों को भी यह पहनावा पसंद आया और उन्होंने इसे वर्दी के रूप में अपनाया क्योंकि यह उन्हें अदालत में एक अलग पहचान देती है|

भारत में अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत सभी अदालतों के सभी अधिवक्ताओं के लिए सफेद बैंड के साथ काले कोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया जो उन्हें एक शांत और सम्मानजनक स्वरुप प्रदान करता है| यह वकीलों में अनुशासन लाता है और न्याय के लिए लड़ने के प्रति विश्वास का निर्माण करता है| यह ड्रेस कोड वकीलों को अन्य पेशेवरों से अलग करने में भी उपयोगी है।

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वकीलों और न्यायाधीशों द्वारा काले कोट और सफेद बैंड पहनने का दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि काले रंग एक ऐसा रंग है जिस पर कोई अन्य रंग चित्रित नहीं किया जा सकता है| इसका मतलब यह है कि न्यायाधीश द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम है और उसे बदला नहीं जा सकता है। वकीलों के लिए इसका मतलब यह है कि वे अपनी राय, विचार और कानूनी प्रक्रियाओं की व्याख्या करते समय अपने विवेक से समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं।

वकील सफेद बैंड क्यों लगाते हैं|

वकीलों द्वारा पहने जाने वाले सफेद कॉलर बैंड के पीछे भी कुछ इतिहास है। 1640 में, कुछ वकील शर्ट के कॉलर को छिपाने के लिए लिनन के सादे बैंड का प्रयोग करते थे। ये बैंड मूल रूप से चौड़े होते थे और लेस के साथ बांधे जाते थे। 1860 तक, ये बैंड दो आयतों के रूप में परिवर्तित हो गए थे जो आधुनिक बैरिस्टर के कॉलर बैंड के समान थे| इसके अलावा एक अन्य सिद्धांत के अनुसार यह माना जाता था कि ये दो आयतकार बैंड मोजेज की टेबलेट (tablet of Mosses) का प्रतिनिधित्व करती है जिसे अब वर्तमान समय में डॉक्टरों, पादरियों और शायद इसीलिए विद्वत्ता के सूचक के रूप में जाना जाता है| दूसरी ओर सफेद पवित्रता (शांति) और पारदर्शिता का सूचक है जिसका मतलब है कि न्यायाधीश का निर्णय अंतिम और हर पहलू में शुद्ध है|

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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