मराठा राज्य में वफादार मंत्रियों को विभिन्न प्रशासनिक एव राजा के साथ ही राजनीतिक मामलों की सहायता के लिए नियुक्त किए गए थे उन्हे पेशवा बोला जाता है। यहाँ हम " पेशवाओं की सूची" दे रहे हैं जिससे मराठा शासन के दौरान पेशवाओं की नियुक्ति और उनके कालक्रम को समझने में मदद मिलेगी।
नाम | विवरण | शासनकाल शुरू किया (AD) | शासनकाल खत्म हुआ (AD) |
बालाजी विश्वनाथ | 1719 में मुगल सम्राट फारूखशियार की गवाही में सैयद ब्रदर्स की मदद की | | 17 नवंबर 1713 | 12 अप्रैल 1720 |
बाजीराव I | मध्य भारत (मालवा) और राजपूताना को जीत में मदद की और उत्तर-पश्चिम में गुजरात और और दक्षिण में डेक्कन में अपना उपनिवेश बढ़ाया | 1738 में मुगल दिल्ली पे छापा मारा| वह सबसे शक्तिशाली पेशवा था| यहां बाजीराव प्रथम के बारे कुछ उद्धरणों का उल्लेख हैं – "वह जैसे जीता था वैसे ही इसकी मौत हुई| इसकी मृत्यु अपने लोगों के बीच टैंट में रहते हुए हुई थी| आज भी इन्हें मराठी पेशवाओं में एक योद्धा और हिंदू शक्ति के रूप में याद किया जाता है|” — सर रिचर्ड कारनैक टेंपल, शिवाजी एंड द राइज ऑफ द मराठा | 12 अप्रैल 1720 | 28 अप्रैल 1740 |
बालाजी बाजीराव | मराठा शासित प्रदेशों का उत्तर-पश्चिम, पूर्व और मध्य भारत के अधिकांश क्षेत्रों में विस्तार करने में कामयाब रहे| 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई हार गए| | 28 अप्रैल 1740 | 23 अप्रैल 1761 |
माघव राव I | आंतरिक मतभेदों और युद्ध में निजाम के साथ सफलता पूर्वक लड़े| | 23 जून 1761 | 18 नवबंर 1772 |
नारायन-राव | गार्डी गार्ड्स को मारा | 18 नवंबर 1772 | 30 अगस्त 1773 |
रघुनाथ-राव | उत्तर-पश्चिम में पेशावर तक साम्राज्य का विस्तार और उत्तर भारत में मराठा शक्ति की गिरावट के लिए भी जिम्मेदार| नाना फडणीस और 11 अन्य प्रशासकों द्वारा अपदस्थ जिसे अब "बारभाई साजिश" कहा जाता है| | 1773 | 1774 |
माघव-राव II | नाना फडणीस के राजनीतिक षड्यंत्र का बोलबाला| उत्तर भारत में मराठा शक्ति के पुनरुत्थान में दिखे| | 1774 | 27 अक्तूबर 1795 |
बाजीराव II | पहला शासनकाल - पूना की लड़ाई में, यशवंतराव होलकर इंदौर के शासक से हार गया था| ब्रिटिश सुरक्षा के लिए भाग गए, और दिसंबर 1802 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ वसई की संधि निष्कर्ष निकाली, एक सहायक बल के रखरखाव के लिए राज्य क्षेत्र छोड़ा और बिना अन्य शक्ति के साथ संधि करने के लिए सहमत| इसकी वजह से दूसरा एंग्लो-मराठा युद्ध छिड़ा| यहा से महासंघ का पतन शुरू हुआ| | 1796 | 1802 |
दूसरा शासनकाल - दूसरे शासनकाल के दौरान तीसरा एंग्लो-मराठा युद्ध शुरू हुआ| जनवरी 1818 में कोरेगांव की लड़ाई में हार के बाद वे अंग्रेजों से बचकर भाग रहे थे| आखिरकार, सतारा से मराठा के राजा प्रताप सिंह को पकड़कर जबरन अंग्रेजों ने उसकी प्रभुता पदभार को अपने पक्ष में घोष्ज्ञित करवा लिया| और इससे मराठा महासंघ के प्रमुख के रूप में पेशवा का कानूनी हक समाप्त हो गया| 3 जून 1818 को बाजीराव ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया; इन्हें कानपुर के पास बिथुर में बंधी बना लिया गया| | 1803 | 1818 | |
नाना साहिब | 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान एक नेता के रूप में निर्वासित, मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र, इन्होंने मराठा महासंघ और पेशवा परंपरा को बहाल करने की मांग की थी | | 1851 | 1857 |
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